सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नियुक्ति के लिए मेरिट के साथ-साथ नैतिक चरित्र और परिवार की पृष्ठभूमि एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा है। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एम. हिदायतुल्लाह के कार्यकाल का एक किस्सा खासा मशहूर है। कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति के लिए भरसक प्रयास किया। हर तरीके से जोड़-तोड़ की, लेकिन सीजेआई हिदायतुल्लाह ने उन्हें बस इसलिए जज नहीं बनने दिया क्योंकि उस जज को कैंसर था।
बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ अपनी किताब Supreme Whispers में लिखते हैं कि सीजेआई हिदायतुल्ला ने साल 1969 में तीन जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की। इसका आधार यह था कि वे काफी पढ़े-लिखे थे। दो जजों ने तो इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की थी। इनमें से एक, दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस आईडी दुआ की नियुक्ति का प्रमुख आधार यह था कि वे सीजेआई के पड़ोसी थे। दोनों के बच्चे साथ खेला करते थे।
मशहूर है चीफ जस्टिस का स्कैंडल
पूर्व सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ के कार्यकाल के भी कई किस्से चर्चित हैं। जब वे सीजेआई बने तो उत्तर भारत के एक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का नाम सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए प्रस्तावित किया गया। उन दिनों उस जज के एक स्कैंडल की जोर-शोर से चर्चा थी। जब जस्टिस चंद्रचूड़ (Former CJI YV Chandracnud) को उस स्कैंडल का पता चला तो वीटो का इस्तेमाल करते हुए उस जज की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति रोक दी थी।
अभिनव जज का नाम लिये बगैर लिखते हैं कि उस जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप था और और इसके पक्ष में पुख्ता सबूत थे। चर्चा थी कि उस जज का एक एडवोकेट की पत्नी के साथ अफेयर चल रहा है। बाद में जज ने कथित तौर पर एडवोकेट की बेटी पर भी हाथ डालने का प्रयास किया।
एडवोकेट की बेटी ने कर दी थी जज की पिटाई
अभिनव (Abhinav Chandrachud) लिखते हैं कि इस बात की जोर शोर से चर्चा थी कि जब जज ने एडवोकेट की बेटी से यौन उत्पीड़न का प्रयास किया तो, लड़की ने उसकी पिटाई कर दी। अगले दिन जज चेहरे पर पट्टी लगाए कोर्ट में पहुंचे और साथी जजों को बताया कि वह चेहरे के बल गिर पड़े थे, इस वजह से चोट लगी।
भ्रष्टाचार के आरोपी को नहीं बनने दिया था जज
अभिनव लिखते हैं कि यह इकलौता मामला नहीं था, जिसमें सीजीआई चंद्रचूड़ ने किसी जज की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति रोक दी थी। ऐसा ही मामला पश्चिम भारत के एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का था। उनपर भ्रष्टाचार के आरोप थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया था। जब सीजेआई के सामने उनकी फाइल आई तो वीटो का इस्तेमाल करते हुए जज बनने से रोक दिया था।