भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में बताया कि वह वीगन (Vegan) बन गए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी से प्रेरित होकर वीगन बने हैं। सीजेआई ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में बात करते हुए खुलासा किया कि उनकी बेटी ने उनसे ‘क्रूरता-मुक्त जीवन’ जीने के लिए कहा था और इसी के चलते उन्होंने यह फैसला लिया।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि न तो वह और न ही उनकी पत्नी कोई रेशम या चमड़े का उत्पाद खरीदते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी दो बेटियां हैं प्रियंका और माही जो दिव्यांग हैं और मैं जो कुछ भी करता हूं उसमें वे मुझे प्रेरित करती रहती हैं। मैं हाल ही में वीगन बन गया हूं क्योंकि मेरी बेटी ने कहा कि हमें क्रूरता मुक्त जीवन जीना चाहिए।”

सीजेआई दिल्ली हाई कोर्ट की डिजिटल लॉ रिपोर्ट के लॉन्च के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान अपने फैसले के बारे में बात करते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले डेयरी उत्पाद, शहद छोड़कर और पूरी तरह से वीगन लाइफस्टाइल अपनाकर इसकी शुरुआत की। हालांकि, उनकी बेटियों ने उनसे कहा कि यह पर्याप्त नहीं है और उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वह ऐसा कुछ भी नहीं पहनेंगे जो एनिमल क्रूयल्टी से बना उत्पाद हो।

रेशम या चमड़े के उत्पाद नहीं खरीदते सीजेआई और उनकी पत्नी

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आगे बताया, “मैं कोई रेशम उत्पाद या कोई चमड़े का उत्पाद नहीं खरीदता। मेरी पत्नी भी कोई रेशम या चमड़े का उत्पाद नहीं खरीदती। हमारे पास जो कुछ भी है हम उसे फेंक नहीं सकते लेकिन कम से कम यह वीगन लाइफस्टाइल की ओर पहला कदम है।”

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय परिसर में सागर रत्ना रेस्टोरेंट के एक आउटलेट का उद्घाटन भी किया। कोर्ट परिसर में सागर रत्ना का यह आउटलेट न्यूरोडायवर्स लोगों द्वारा चलाया जाएगा।

दिव्यांग व्यक्ति व्हीलचेयर को खुद चलाना चाहता है- डीवाई चंद्रचूड़

इस बारे में बात करते हुए सीजेआई ने कहा कि इसका मिशन स्वतंत्र जीवन जीना है। उन्होंने कहा कि हर कोई जो व्हीलचेयर पर है, विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्ति उस व्हीलचेयर को खुद चलाना चाहता है। ऐसे में सागर और शौर्य फाउंडेशन के सहयोग से स्थापित किया गया यह उद्यम सशक्तिकरण और स्वतंत्र जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “जब मेरे माता-पिता बड़े हो रहे थे, तो वे सब कुछ अपने दम पर करना चाहते थे। यह आपके जीने की ललक है अपनी शर्तों पर जीवन और यही जीने का सार है और दिव्यांगों की आकांक्षाएं भी हैं।”

सीजेआई ने आगे कहा कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग समाधान हैं और न्यूरोडायवर्सिटी को अपनाया जाना चाहिए क्योंकि उनमें से प्रत्येक का एक अलग व्यक्तित्व होता है और हर एक को अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जब भी मैं अलग-अलग तरह से सक्षम लोगों के संपर्क में आता हूं, मुझे एहसास होता है कि उनके पास जबरदस्त क्षमता है।”

सभी हाई कोर्ट में दिव्यांगों द्वारा चलाये जाने वाले कैफेटेरिया खोलने चाहिए- सीजेआई

डीवाई चंद्रचूड़ ने इस दौरान सीनियर वकील मुकुल रोहतगी की उस बात का भी जिक्र किया जब उन्होंने कहा था कि सीजेआई को सभी उच्च न्यायालयों को पत्र लिखकर ऐसे ही वेंचर शुरू करने के लिए कहना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि वह कल ही उच्च न्यायालयों को पत्र लिखेंगे।

सीजेआई ने कहा, “प्रत्येक हाई कोर्ट को दिव्यांगों द्वारा चलाए जाने वाला एक कैफेटेरिया क्यों नहीं खोलना चाहिए? इसे फिर जिला अदालतों में भी शुरू किया जा सकता है। कल्पना कीजिए कि हम सम्मानजनक जीवन और सम्मानजनक आजीविका के लिए कितने अवसर पैदा करेंगे।” .

क्या होती है वीगन डाइट?

वीगन डाइट में मांस, अंडे के साथ डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, घी, मावा, पनीर भी नहीं खाते हैं। इस डाइट में केवल अनाज, सब्जियां, फल, फलियां और ड्राय फ्रूट्स जैसी चीजें ही खाई जा सकती हैं। आसान शब्दों में कहें तो वीगन डाइट सिर्फ ऐसे खाद्य पदार्थों पर टिकी होती है जो या तो सीधे पौधों से मिलते हैं या प्लांट बेस्ड फूड से बनाए जाते हैं। हालांकि, वीगन और शाकाहार एक नहीं है। शाकाहारी लोग पनीर, मक्खन, दूध, दही, शहद जैसी चीजें भी खाते हैं जबकि वीगन ऐसा नहीं करते हैं। यह कई तरह की होती है। जैसे-

होल फूड वीगन डाइट
इस तरह की डाइट में साबुत अनाज, फलियां, फल, सब्जियां, नट्स और बीज शामिल होते हैं।

रॉ फूड वीगन डाइट
इस डाइट में कच्चे फल, कच्ची सब्जियां, नट्स, बीज आदि का सेवन किया जाता है।

स्टार्च सॉल्यूशन वीगन डाइट
इस डाइट में कम फैट और हाई कार्बन वाले वेजिटेरियन फ़ूड आते है। लेकिन इसमें फल की जगह आलू, चावल और मक्का का सेवन किया जाता है।

कैसे हुई वीगन डाइट की शुरुआत?

वीगन या वेगनिज्म (Veganism) शब्द पहली बार 50 के दशक में चर्चित हुआ। ब्रिटिश नागरिक और एक्टिविस्ट डोनाल्ड वॉटसन ने शाकाहारियों के लिए ‘वीगन’ शब्द इजाद किया और वीगन सोसायटी बनाई। कुछ साल बाद यह ब्रिटेन से बाहर दूसरे देशों भी में वीगन डाइट प्रचलित हो गई। वीगन लोग सिर्फ खानपान में वीगन डाइट फॉलो नहीं करते बल्कि वीगन चमड़ा या उससे बने उत्पाद, ऊन, मोती जैसी चीजें भी इस्तेमाल नहीं करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ये चीजें जानवरों को नुकसान पहुंचाकर हासिल की जाती हैं।