सुप्रीम कोर्ट के वेकेशन कैलेंडर की अक्सर विभिन्न वर्गों द्वारा आलोचना की जाती रही है। हाल ही में गर्मी की छुट्टी से लौटते ही जस्‍ट‍िस पारडीवाला ने ताबड़तोड़ तीन फैसले सुनाए। जिसके बाद CJI चंद्रचूड़ ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि हमारे साथियों ने छुट्टी के दौरान जमकर मेहनत की है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा, “गर्मी की छुट्टियों के बाद कोर्ट ने पूरी तरह काम करना शुरू कर दिया है। ऐसा लगता है कि हमारे साथी जजों ने छुट्टियों के दौरान कड़ी मेहनत की है।” सीजेआई ने यह बात तब कही जब जस्टिस जेबी परडीवाला ने लगातार तीन फैसले सुनाए, जो कुल 232 पेज के थे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी सीजेआई के बात पर सहमति जताते हुए कहा, “वे सभी अनजान लोग जो कहते हैं कि अदालतें छुट्टियां ले रही हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि जज छुट्टियों के दौरान यही कर रहे हैं।”

सीजेआई ने की जजों को दी जाने वाली छुट्टियों पर बात

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में जजों को दी जाने वाली छुट्टियों को लेकर होने वाली आलोचना के बारे में बात की। हाल ही में प्रयागराज में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हमारी छुट्टियों के लिए हम सभी की आलोचना की जाती है। लाइव लॉ की खबर के मुताबिक सीजेआई ने कहा था, ‘लोग कहते हैं इनको छुट्टी बहुत ज्यादा मिलती है। लोग यह नहीं समझते कि जज सप्ताह के सातों दिन काम करते हैं। हमारे जिला न्यायाधीश हर दिन काम करते हैं, यहां तक ​​कि शनिवार और रविवार को भी उन्हें कानूनी सहायता शिविर लगाना पड़ता है या अन्य प्रशासनिक कार्य करने पड़ते हैं।’

जजों को मिलने वाली छुट्टियों के दिनों पर बहस बार-बार सामने आई है। 2022 में, तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा था, “भारत के लोगों में यह भावना है कि अदालतों को मिलने वाली लंबी छुट्टियां न्याय चाहने वालों के लिए ठीक नहीं है और यह उनका दायित्व और कर्तव्य है कि सदन का संदेश या भावना न्यायपालिका तक पहुंचाएं।”

कोर्ट को कितनी मिलती हैं छुट्टियां?

सर्वोच्च न्यायालय में 193 वर्किंग डे होते हैं जबकि हाई कोर्ट लगभग 210 दिन और निचली अदालतें 245 दिन कार्य करती हैं। उच्च न्यायालयों को सेवा नियमों के अनुसार अपने कैलेंडर तैयार करने की शक्ति है।

सुप्रीम कोर्ट का वार्षिक ग्रीष्मावकाश आम तौर पर सात सप्ताह के लिए होता है। यह मई के अंत में शुरू होता है और अदालत जुलाई में फिर से खुलती है। अदालत दशहरा और दिवाली के लिए एक-एक सप्ताह और दिसंबर के अंत में दो सप्ताह के लिए बंद होती है। पिछले कुछ समय से इसकी आलोचना हो रही है।

आम तौर पर, कुछ न्यायाधीश अदालत में छुट्टी होने पर भी अत्यावश्यक मामलों की सुनवाई के लिए उपलब्ध रहते हैं। दो या तीन न्यायाधीशों की बेंच जिन्हें “अवकाश पीठ” कहा जाता है, महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करते हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता।

अदालत की छुट्टियों की आलोचना क्यों की जाती है?

किरेन रिजिजू ने कहा था, “बार-बार बढ़ाई जाने वाली छुट्टियाँ अच्छा विकल्प नहीं हैं, खासकर लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और न्यायिक कार्यवाही की धीमी गति को देखते हुए। एक सामान्य वादी के लिए छुट्टियों का मतलब मामलों को सूचीबद्ध करने में और अधिक देरी है।”

इस प्रथा की शुरुआत औपनिवेशिक काल से हुई। 2000 में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों की सिफारिश करने के लिए गठित न्यायमूर्ति मलिमथ समिति ने सुझाव दिया था कि लंबे समय तक पेंडिंग मामलों को ध्यान में रखते हुए, छुट्टियों की अवधि को 21 दिनों तक कम किया जाना चाहिए। इसमें सुझाव दिया गया कि सर्वोच्च न्यायालय हर साल 206 दिन और उच्च न्यायालय 231 दिन काम करें।

कम की गईं कोर्ट की छुट्टियां

2009 में न्यायमूर्ति ए आर लक्ष्मणन की अध्यक्षता वाले भारतीय विधि आयोग ने अपनी 230वीं रिपोर्ट में इस प्रणाली में सुधार की बात की। रिपोर्ट में कहा गया है, “पेंडिंग केसों को ध्यान में रखते हुए, उच्च न्यायपालिका में छुट्टियों में कम से कम 10 से 15 दिन की कटौती की जानी चाहिए और अदालत के कामकाजी घंटों को कम से कम आधे घंटे तक बढ़ाया जाना चाहिए।”

2014 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए नियमों को अधिसूचित किया तो उसने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश की अवधि सात सप्ताह से अधिक नहीं होगी जो पहले 10 हफ्ते थी।

2014 में जब पेंडिंग मामलों की संख्या 2 करोड़ तक पहुंच गई थी, तब सीजेआई आरएम लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को पूरे साल खुला रखने का सुझाव दिया था। सीजेआई लोढ़ा ने सुझाव दिया कि साल की शुरुआत में अलग-अलग जजों का शेड्यूल मांगा जाना चाहिए और उसी के अनुसार कैलेंडर बनाया जाना चाहिए। जस्टिस लोढ़ा का कार्यकाल केवल पांच महीने तक चलने के कारण उस प्रस्ताव पर अमल नहीं हो सका।

क्यों होनी चाहिए कोर्ट में लंबी छुट्टियां?

लंबी छुट्टियों के पक्ष में वकीलों ने अक्सर यह तर्क दिया है कि ऐसे पेशे में जहां मेंटल प्रेशर और लंबे समय तक काम करने की मांग होती है, वकीलों और न्यायाधीशों दोनों के लिए छुट्टियों की बहुत आवश्यकता होती है।

जस्टिस आम तौर पर डेली 10 घंटे से अधिक काम करते हैं। सुबह 10:30 बजे से शाम 4 बजे तक अदालत में दिन भर के काम के अलावा, वे अगले दिन की तैयारी में भी कुछ घंटे बिताते हैं। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि न्यायाधीश छुट्टियों का उपयोग फैसले लिखने के लिए करते हैं।

दूसरा तर्क यह है कि जब अदालत का सत्र चल रहा हो तो न्यायाधीश अन्य कामकाजी पेशेवरों की तरह छुट्टी नहीं लेते हैं। 2015 में याकूब मेमन की फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आधी रात को दायर याचिका पर सुनवाई के बाद भी, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस प्रफुल्ल पंत अगली सुबह काम पर लौट आए। फेमिली इमरजेंसी और स्वास्थ्य दुर्लभ अपवाद हैं, लेकिन न्यायाधीश शायद ही कभी सामाजिक व्यस्तताओं के लिए छुट्टी लेते हैं।

छुट्टियों के दौरान जजों ने क्या किया?

इस बार सुप्रीम कोर्ट की गर्मी की छुट्टियाँ 20 मई से शुरू हुईं। सात सप्ताह की छुट्टियों के दौरान कई जज सेम‍िनार आद‍ि में ह‍िस्‍सा लेने या छुट्ट‍ियां मनाने के ल‍िए व‍िदेश गए। कई ने अवकाश पीठ में ज्वलंत मुद्दों पर सुनवाई की।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी याचिका अनसुनी न हो, 20 अवकाश पीठों का गठन किया गया, जिनमें से तीन पीठें प्रतिदिन मामलों की सुनवाई कर रही थीं।

वेकेशन के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका, नीट अभ्यर्थियों के प्रश्नपत्र लीक की याचिका पर सुनवाई की गयी। नए आपराधिक कानून भी 1 जुलाई को लागू हो गए। कुछ न्यायाधीशों ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान विदेश यात्रा की और फिलीपींस, ब्राजील, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और आयरलैंड जैसे देशों में सम्मेलनों और अन्य कार्यक्रमों में भाग लिया।

वहीं, न्यायालय की प्रशासनिक टीम ने छुट्टियों के समय का उपयोग नए वाईफ़ाई राउटर स्थापित करने और एआई सिस्टम के विकास और परीक्षण पर काम करने के लिए भी किया।

जुलाई में जब कोर्ट खुले तो 84,280 लंबित मामले थे और उनकी सुनवाई के लिए जजों की संख्या वही 32 थी।