चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने बुधवार (22 फरवरी, 2023) को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री (Supreme Court Registry) का बचाव करते हुए कहा कि आलोचना करना बहुत आसान है। दरअसल, एडवोकेट प्रशांत भूषण (Advocate Prashant Bhushan) ने बुधवार (22 फरवरी) को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने तमिलनाडु के बहुचर्चित ‘कैश फॉर जॉब्स स्कैम’ (Cash for Jobs Scam) मामले से जुड़ी याचिका अर्जेंट लिस्ट क‍िए जाने के लिए लगाई। प्रशांत भूषण ने कहा कि सितंबर 2022 में जस्टिस अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer ) और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन (V Ramasubramanian) की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था।

CJI चंद्रचूड़ बोले- रजिस्ट्री की आलोचना करना आसान

इसपर सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) ने कहा कि मामला पहले जस्टिस कृष्णा मुरारी के सामने लिस्ट हुआ था, लेकिन बाद में किसी दूसरे बेंच को ट्रांसफर हो गया। दवे ने कहा कि ”रजिस्ट्री को नियमों का पालन करना चाहिए…”। एकवोकेट दुष्यंत दवे (Dushyant Dave) की इसी टिप्पणी पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया ‘रजिस्ट्री की आलोचना करना बहुत आसान है, लेकिन मैं पहले पेपर देखूंगा उसके बाद ही कोई फैसला लूंगा…’।

SG तुषार मेहता बोले- CJI के फैसले का सब करें सम्मान

Bar and Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की इस टिप्पणी के बाद सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (SG) तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि किसी केस को किस बेंच के सामने लिस्ट करना है, यह फैसला चीफ जस्टिस को लेना है क्योंकि वही मास्टर ऑफ रोस्टर (Master of Roster) हैं और सभी पक्ष को उनके निर्णय को स्वीकार करना चाहिए।

दुष्यंत दवे का जवाब- मैं भी जज का बेटा हूं…

SG तुषार मेहता की इस टिप्पणी के बाद दुष्यंत दवे ने कहा कि मैं भी जज का बेटा हूं और मेरी न्यायपालिका में गहरी आस्था है। मैं किसी की व्यक्तिगत आलोचना नहीं करता हूं, कृपया इसे अन्यथा ना लें। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘बिना पूरा तथ्य जाने किसी की आलोचना करना आसान है, लेकिन मैं शाम को पेपर देखूंगा तभी कुछ कहूंगा।’

कपिल सिब्बल बोले- कोर्ट में चर्चा ही नहीं होनी चाहिए

उधर, सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) ने कोर्ट के संज्ञान में लाया कि पहले यह मामला जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन (V Ramasubramanian) की बेंच के सामने ही लिस्ट था, इसीलिए दोबारा उनके सामने गया। इस दौरान कोर्ट में मौजूद सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने दलील दी कि ऐसे मामलों पर तो कोर्ट में चर्चा होनी ही नहीं चाहिए।