चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) शास्त्रीय संगीत में पारंगत हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ कविताई अंदाज में फैसले लिखने के लिए मशहूर हैं। उनके साथी जज भी इससे कायल हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बॉम्बे हाईकोर्ट से बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी। बाद में भी बॉम्बे हाई कोर्ट के जज भी बने। बॉम्बे हाई कोर्ट में जज रहते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐसा फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन डाली गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ का फैसला पढ़ते ही उसके कायल हो गए और पलटने से साफ इंकार कर दिया था।

क्या था जस्टिस चंद्रचूड़ का वो फैसला?

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) के बॉम्बे हाई कोर्ट के दिनों के साथी और सीनियर एडवोकेट मिलिंद साठे ने साल 2019 में बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित केटी देसाई मेमोरियल लेक्चर (K T Desai Memorial Lecture) में यह किस्सा सुनाया था। एडवोकेट साठे ने बताया था कि वह एक पावर प्रोजेक्ट का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ा मुकदमा लड़ रहे थे। वह कहते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट में हम मुकदमा हार गए और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील का निर्णय लिया।

उच्चतम न्यायालय में जस्टिस आफताब आलम के सामने केस लगा। थोड़ी बहस हुई। इसके बाद जस्टिस आफताब आलम ने कहा ‘पर्यावरण जैसे मसले पर इतने दिल से और काव्यात्मक तरीके से लिखी गए इस फैसले को पलटने की हमारी जरा भी मंशा नहीं है। और उन्होंने हमारी एसएलपी (Special Leave Petition) फौरन खारिज कर दी थी।

वकीलों को सुबह 9 बजे बुला लेते थे

बॉम्बे हाई कोर्ट के एक और सीनियर एडवोकेट जस्टिस चंद्रचूड़ से जुड़ा किस्सा साझा करते करते हैं। वह कहते हैं कि जब डीवाई चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट के जज थे तो हमसे हमेशा कहा करते थे अगर आप एक अच्छी हियरिंग चाहते हैं तो सुबह 9 बजे (कोर्ट शुरू होने से 2 घंटे पहले आ जाइए)। एक बार तो उन्होंने कंपनी लॉ से जुड़े एक मामले की सुनवाई महज 7 दिन में पूरी कर ली थी। वह अक्सर सुबह जल्दी सुनवाई शुरू कर देते थे।

हरी अंबेसडर बन गई थी पहचान

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में बतौर जज नियुक्ति के दौरान ही जस्टिस चंद्रचूड़ (DY Chandrachud Car) ने हरे रंग की अंबेसडर कार खरीदी थी और यह उनकी पहचान बन गए थी। उन दिनों के उनके साथी याद करते हैं कि जस्टिस चंद्रचूड़ अपनी दो चीजों के लिए मशहूर थे। एक तो हरी अंबेसडर कार और दूसरा, कविताई अंदाज में लिखे जजमेंट के लिए, जिसके सब मुरीद हो गए थे।