सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पेंडिंग केसेज और जजों की छुट्टियों को लेकर लंबे वक्त से बहस चल रही है। पिछले दिनों इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave) में जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) से जजों की छुट्टियों पर सवाल किया गया तो उन्होंने विस्तार से इसका जवाब दिया। दूसरे देशों का उदाहरण भी दिया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को हम सिर्फ सुबह 10.30 से 4 बजे तक कोर्ट में बैठे दिखाई देते हैं। हर दिन 40 से 60 केसेज की सुनवाई करते हैं। कोर्ट की टाइमिंग यानी 10.30 से 4 के दौरान हम जो काम करते हैं, वह हमारे काम का महज छोटा सा हिस्सा है।
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने आगे कहा कि हमें अगले दिन जिन केसेज की सुनवाई करनी होती है, उसकी तैयारी के लिए लगभग इतना ही समय देना पड़ता है। तमाम मामलों में जजमेंट रिजर्व होता है, ऐसे में शनिवार को जज अपना फैसला लिखते हैं। इसके बाद रविवार को हम सोमवार के केसेज के लिए पढ़ते हैं और तैयारी करते हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक जज सप्ताह में 7 दिन काम करते हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने दिया डाटा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक डाटा साझा करते हुए कहा कि अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट महीने में 8 से 9 दिन बैठता है और सालाना करीब 80 दिन। ऑस्ट्रेलिया का उच्चतम न्यायालय महीने में सिर्फ 2 सप्ताह बैठता है और साल भर में करीब 100 दिन। सिंगापुर का कोर्ट साल में 145 दिन बैठता है। ब्रिटेन का लगभग हमारे बराबर है। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया साल में करीब 200 दिन काम बैठता है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना उदाहरण भी दिया
जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि तमाम लोग यह नहीं समझते हैं कि छुट्टियों के दौरान भी हमारा ज्यादातर वक्त ऐसे मामलों का फैसला तैयार करने में जाता है जो रिजर्व रखे गए हैं। क्योंकि हमारे पास वर्किंग डेज में कोई वक्त ही नहीं है, सातों दिन काम कर रहे हैं।
सीजेआई ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले विंटर वैकेशन में मैं अपने जुडिशल क्लर्क के साथ जजमेंट्स पर काम कर रहा था। जो मुझे डिलीवर करना था। हमें समझना होगा कि एक जज का काम सिर्फ केसेज को डिस्पोज करना नहीं है। केस के हर पहलू के बारे में सोचना पड़ता है, कानून पढ़ना पड़ता है। अगर आप जजों को सोचने-समझने का मौका नहीं देंगे तो क्वालिटी जजमेंट की अपेक्षा नहीं कर सकते।
आपको बता दें कि इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में ही कानून मंत्री किरन रिजिजू सुप्रीम कोर्ट में जजों की छुट्टियों को सही ठहरा चुके हैं। रिजिजू ने कहा था कि SC के जजों पर काम का अत्यधिक दबाव है। ऐसे में छुट्टियां जरूरी हैं।
भारत में कोर्ट में कितने दिन कामकाज?
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (Supreme Court of India) साल में करीब 193 दिन काम करता है। इसी तरह हाईकोर्ट में लगभग 210 दिन कामकाज होता है। ट्रायल कोर्ट में 245 दिन कामकाज होते हैं। आपको बता दें कि सर्विस रूल्स के मुताबिक हाई कोर्ट अपना कैलेंडर खुद निर्धारित कर सकते हैं। इसका मतलब अवधि आगे-पीछे हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में कितनी छुट्टियां?
सुप्रीम कोर्ट की बात करें तो मोटे तौर पर साल में तीन बार छुट्टियां पड़ती हैं। सालाना समर वैकेशन, जो करीब 7 हफ्ते का होता है। यह मई के आखिर से शुरू होता है और फिर जुलाई में कोर्ट दोबारा खुलता है। इसके बाद दशहरा और दिवाली के दौरान करीब सप्ताह भर की छुट्टी होती है। इसी तरह दिसंबर के आखिर में 2 हफ्ते की छुट्टी होती है।
क्या छुट्टी के दौरान कोर्ट पूरी तरह बंद होता है?
ऐसा नहीं है कि छुट्टी के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कामकाज पूरी तरह ठप हो जाता है। अर्जेंट केसेस की सुनवाई के लिए जज उपलब्ध होते हैं। दो या तीन जजों की बेंच को ‘वेकेशन बेंच’ कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर साल 2017 में समर वेकेशन के दौरान ही तत्कालीन सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने 6 दिनों तक तीन तलाक से जुड़े मामले की सुनवाई की थी।