अर्जुन सेनगुप्‍ता 

संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी CISF (Central Industrial Security Force) को सौंप दी गई है। पहले सुरक्षा की जिम्मदेरी दिल्ली पुलिस के कंधों पर थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने CISF से प्रभार लेने को कहा है। CISF अपनी सुरक्षा और फायर विंग की तैनाती से पहले परिसर का सर्वेक्षण करेगा।  

यह कदम संसद भवन की सुरक्षा में हुई चूक की घटना के एक सप्ताह बाद उठाया गया है। 13 दिसंबर को दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे और पीले रंग के धुएं से भरे कनस्तर को खोल दिया था। आइए जानते हैं, अब सुरक्षा संभालने वाली सीआईएसएफ में खास बात क्या है, कब और क्यों इसकी स्थापना की गई थी?

1969 में एक भयंकर आगजनी के बाद अस्तित्व में आया था CISF

जून 1964 में रांची के हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन प्लांट में आग लग गई थी। यह आगजनी की भयंकर घटना थी। मामले की जांच के लिए जस्टिस मुखर्जी कमीशन बनाई गई। कमीशन से एक इंडस्ट्रियल प्रोटेक्शन फोर्स की स्थापना करने की सिफारिश की। इस प्रकार 10 मार्च, 1969 को संसद के एक अधिनियम द्वारा CISF की स्थापना की गई थी।

पहले सिर्फ सरकारी उद्योगों को देता था सुरक्षा, लेकिन अब…

जैसा कि नाम से पता चलता है, CISF को औद्योगिक उपक्रमों की बेहतर सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इसे पहली बार 1 नवंबर, 1969 को महाराष्ट्र के ट्रॉम्बे में भारतीय उर्वरक निगम के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की सुरक्षा में लगाया गया था। प्रारंभ में इसका दायरा सरकारी स्वामित्व वाले उद्योगों की सुरक्षा तक ही सीमित था। लेकिन 2009 में ज्वाइंट वेंचर्स और निजी उपक्रमों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया था। यह प्राइवेट सेक्टर को परामर्श सेवाएं (Consultancy Services) भी देता है।

सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है CISF

यह गृह मंत्रालय के तहत आने वाले सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में से एक है। अन्य छह में सीमा सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सशस्त्र सीमा बल, असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल आते हैं।

CISF के पास है अपना फायर विंग

CISF की ‘सुरक्षा’ में आग से सुरक्षा भी शामिल है, क्योंकि इसकी स्थापना ही एक बड़ी आगजनी की घटना के बाद हुई थी। 53 कर्मियों की क्षमता वाली पहली फायर विंग इकाई को 16 अप्रैल, 1970 को कोचीन के FACT में शामिल किया गया था।

अंततः बल के भीतर एक अलग अग्निशमन सेवा कैडर 1991 में स्थापित किया गया, जो आज भारत की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी प्रशिक्षित और सुसज्जित फायर फाइटिंग फोर्स है। CAPF में सिर्फ CISF के पास ही अपना खुद का फायर फाइटिंग फोर्स है।

समय के साथ बढ़ती गई भूमिका

पिछले कुछ वर्षों में CISF की ताकत में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है। इसमें कारखानों और औद्योगिक परिसरों की सुरक्षा के अलावा और भी बहुत कुछ शामिल हो गया है। आज यह बल देश भर में 350 से अधिक स्थानों, जैसे- परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष प्रतिष्ठानों, समुद्री बंदरगाहों, इस्पात संयंत्रों, कोयला क्षेत्रों, जल-विद्युत और ताप विद्युत संयंत्रों, रक्षा उत्पादन इकाइयों, उर्वरक और रसायन जैसे विविध क्षेत्रों में तैनात है।

इसके अलावा CISF आरबीआई की नोट-छपाई टकसाल, ताज महल जैसे विरासत स्मारक, 60 से अधिक हवाई अड्डे, दिल्ली मेट्रो और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों की भी सुरक्षा करता है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि CISF एक Compensatory Cost Force है। इसका मतलब यह है कि CISF जो सर्विस देता है, उसका पैसा वह अपने कस्टमर बिल के रूम में वसूलता है।

आम लोगों के बीच सबसे ज्यादा नजर आने वाला फोर्स है CISF

CISF सबसे अधिक पब्लिक इंटरफ़ेस वाला सीएपीएफ है। इस प्रकार CISF के जवानों को न केवल अत्यधिक प्रशिक्षित और सक्षम होने की आवश्यकता होती है। बल्कि उन्हें लोगों की भारी भीड़ से निपटने का भी कौशल विकसित करना होता है।

अब VIP लोगों को भी सुरक्षा देता है CISF

पिछले कुछ वर्षों से CISF वीआईपी को भी सुरक्षा देने लगा है। गृह मंत्रालय ने यह पहल 2018 में एक संसदीय समिति की सिफारिश के बाद की थी। दरअसल, संसदीय समिति से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और राष्ट्रीय सुरक्षा (NSG) का वर्कलोड कम करने का सुझाव मांगा गया था। समिति ने CISF को वीआईपी सुरक्षा में शामिल करने का सुझाव दिया था।

2020 में सरकार ने एनएसजी को सिक्योरिटी ड्यूटी से हटाने का फैसला किया, ताकि वह “आतंकवाद-विरोधी और अपहरण-विरोधी ड्यूटी” पर फोकस कर सके।

कितनी बड़ी है CISF की फौज?

CISF  में 1.8 लाख जवान एक साथ काम कर सकते हैं। स्थापना के समय सीआईएसएफ में केवल 3,000 कर्मचारियों की जगह थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। CISF का नेतृत्व महानिदेशक स्तर का एक भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी (IPS) करता है। बल को अग्निशमन सेवा विंग के अलावा नौ सेक्टरों (हवाई अड्डा, उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, प्रशिक्षण, दक्षिण-पूर्व, मध्य) में विभाजित किया गया है।

CISF में नारी शक्ति

अन्य सभी सीएपीएफ की तुलना में सीआईएसएफ में महिलाओं का प्रतिशत सबसे अधिक है। महिला कांस्टेबलों का पहला बैच 1987 में शामिल किया गया था। पहली महिला अधिकारी 1989 में सहायक कमांडेंट के रूप में शामिल हुई थी। सीआईएसएफ का नेतृत्व वर्तमान में विशेष महानिदेशक नीना सिंह कर रही हैं, जो इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला हैं।