कांग्रेस ने भले ही पिछले कुछ सालों में लगातार जातिगत जनगणना कराने और ओबीसी समुदाय को आबादी के आधार पर हिस्सेदारी देने की वकालत की हो लेकिन उसके द्वारा लोकसभा चुनाव में उतारे गए उम्मीदवारों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि कांग्रेस से ज्यादा टिकट बीजेपी ने ओबीसी समुदाय को दिए हैं।

बीते रविवार तक बीजेपी ने 432 जबकि कांग्रेस ने 294 सीटों पर अपने उम्मीदवार उम्मीदवारों की घोषणा की थी। अगर इन उम्मीदवारों में ओबीसी जाति के नेताओं की बात करें तो बीजेपी ने 27% टिकट इस समुदाय के नेताओं को दिए हैं जबकि कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा 24.8% है।

किस समुदाय को कितने टिकटबीजेपी (कुल टिकट – 432)प्रतिशत मेंकांग्रेस (कुल टिकट – 294)प्रतिशत में
सामान्य18643%10636%
ओबीसी11727%7325%
एससी7517%4716%
एसटी4410%4114%
अल्पसंख्यक102%279%

Congress Lok Sabha Election 2024: कम सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस

इन आंकड़ों को देखते वक्त इस बात का भी जिक्र करना जरूरी होगा कि कांग्रेस इस बार काफी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 421 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 2024 के चुनाव में 300 सीटों के आसपास अपने प्रत्याशी उतार सकती है।

Rahul Gandhi
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी। (PC- Express)

BJP Upper caste Politics: सामान्य समुदाय के नेताओं को ज्यादा टिकट

आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह भी पता चलता है कि बीजेपी ने गैर ओबीसी और गैर एससी-एसटी समुदाय यानी सामान्य समुदाय के नेताओं को कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा टिकट दिया है। बीजेपी ने गैर ओबीसी और गैर एससी एसटी समुदाय के 43% जबकि कांग्रेस ने इन समुदायों के 36% नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया है।

2024 के लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक उम्मीदवारों की अगर बात करें तो कांग्रेस ने इस समुदाय से 9.18% प्रत्याशी उतारे हैं जबकि बीजेपी के मामले में यह आंकड़ा सिर्फ दो प्रतिशत है।

UP Lok Sabha Election 2024: इंडिया ने ज्यादा ओबीसी नेताओं को दिया टिकट

लोकसभा चुनाव में अगर केवल उत्तर प्रदेश की ही बात करें तो इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी के मुकाबले ज्यादा ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने अब तक ओबीसी समुदाय के 29 नेताओं को जबकि सामान्य समुदाय से 32 नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने सिर्फ आरक्षित सीटों पर ही दलित समुदाय के नेताओं को टिकट दिया है।

Rahul Gandhi
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी। (PC- Express)

दूसरी ओर, गठबंधन के तहत 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही सपा ने ओबीसी समुदाय से 29 नेताओं को टिकट दिया है। पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सामान्य वर्ग की दो सीटों पर दलित नेताओं को टिकट दिया है। इनमें मेरठ से सुनीता वर्मा और फैजाबाद से अवधेश प्रसाद शामिल हैं।

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में मूल रूप से ओबीसी राजनीति करने वाले दलों के साथ चुनावी गठबंधन भी किया है। ऐसे राजनीतिक दलों में निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), राष्ट्रीय लोकदल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल है। बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ओबीसी चेहरे के रूप में प्रस्तुत करती रही है।

Narendra Modi
केदारनाथ मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (PC- X/@narendramodi)

बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा

लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक, 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 22 प्रतिशत ओबीसी मतदाताओं ने वोट दिया था। जबकि 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ओबीसी तबके के 44 प्रतिशत वोट मिले थे। निश्चित रूप से 10 साल में बीजेपी ने इस तबके के बीच अपनी सक्रियता बढ़ाई और वह 2009 के मुकाबले इस समुदाय के 20 प्रतिशत ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रही।

Narendra Modi Caste
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोढ-घांची जाति से हैं, जो तेली जाति की कई उप-जातियों में से एक है। (PC- PTI)

SC-ST, OBC Reservation: आरक्षण पर जुबानी जंग

इन दिनों ओबीसी और दलित आरक्षण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर जुबानी जंग भी चल रही है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी अगर फिर से सत्ता में आएगी तो वह दलितों और पिछड़ों के आरक्षण को खत्म कर देगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में इसका जवाब दिया है। मोदी ने कहा है कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने को लेकर झूठा प्रचार कर रही है और आरक्षण कभी भी खत्म नहीं होगा।

बीजेपी आरोप लगाती है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का विरोध किया था। मंडल आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी तबके के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया था।

कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर जोर दिया है। पार्टी ने वादा किया है कि वह सत्ता में आने पर जाति जनगणना कराएगी और आरक्षण पर लगी 50% की रोग को हटा देगी।

जबकि बीजेपी का कहना है कि आजादी के बाद के 70 सालों तक पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया गया था और यह मोदी सरकार थी जिसने यह काम किया। इसके अलावा केंद्र सरकार में पहली बार ओबीसी वर्ग से 27 नेताओं को मंत्री बनाया गया। बीजेपी का कहना है कि मोदी सरकार ने ही सैनिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय और नवोदय स्कूलों में पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया।