पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बीच में आए कलकत्ता हाई कोर्ट के एक आदेश का राज्य की चुनावी राजनीति पर बड़ा असर हो सकता है। हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य में हुई शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है। इस फैसले से प्रभावित शिक्षकों की संख्या 23,753 है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इन शिक्षकों को 8 साल के दौरान मिली सैलरी भी 12% ब्याज के साथ वापस करनी होगी।
निश्चित रूप से हाई कोर्ट के फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। बंगाल में लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं और पहले चरण में सिर्फ 3 सीटों पर ही चुनाव हुआ है।
West Bengal Teachers Recruitment: बीजेपी को मिला भ्रष्टाचार के आरोप को धार देने का मौका
बीजेपी के लिए यह मुद्दा इसलिए बड़ा है क्योंकि वह पिछले कुछ सालों से लगातार शिक्षक भर्ती में घोटाले का मामले उठा रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि इसमें जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ है और हाई कोर्ट के आदेश ने उसके द्वारा किए गए दावों पर मोहर लगा दी है। ऐसे में ममता सरकार को भ्रष्टाचारी बताने के लिए उसे एक नया मुद्दा मिल गया है, जिसकी काट ढूंढना तृणमूल कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा।
ममता बनर्जी न्यायपालिका के बहाने भाजपा पर तेज करेंगी हमला
ममता बनर्जी बीजेपी के हमले की काट के रूप में न्यायपालिका पर निशाना साधने की रणनीति अपनाएंगी। ममता बनर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी सरकार उन लोगों के साथ खड़ी रहेगी जिनकी नौकरियां चली गई हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं और हम इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
जस्टिस गांगुली के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही ममता बनर्जी उनके द्वारा न्यायाधीश रहते हुए दिए गए फैसलों को लेकर सवाल उठाती रही हैं।टीएमसी की सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निशाने पर कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गांगुली इसलिए हैं कि उन्होंने ही इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था और गांगुली भाजपा के टिकट पर तमलुक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने यह बयान भी दिया था कि वह जज रहते ही भाजपा के संपर्क में थे।

प्रदर्शनकारी बोले- मनगढ़ंत खेल जैसा
इस साल मार्च में जब कोलकाता में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे थे तो उनके निशाने पर अभिजीत गांगुली ही थे। एक प्रदर्शनकारी ने द वायर से कहा था कि जस्टिस गांगुली ने ही टीचर भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। उन्होंने ही सीबीआई को इस मामले में जांच का आदेश दिया था और दोषियों को पकड़ने के लिए दबाव बनाया था।
इसके बाद टीएमसी के कई नेताओं और मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई और नकदी भी पकड़ी गयी। उनका कहना था कि लेकिन इससे उनकी परेशानी हल नहीं हुई और उन्हें नौकरी भी नहीं मिली। प्रदर्शनकारी का कहना था कि ऐसा लगता है कि यह सब एक मनगढ़ंत खेल जैसा है।
ये लोग उसी दिन प्रदर्शन कर रहे थे जब जस्टिस गांगुली बीजेपी में शामिल हुए थे। लाजिमी रूप से यह लोग नाराज थे क्योंकि उन्हें शिक्षक भर्ती मामले में कथित रूप से हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ इंसाफ की उम्मीद जस्टिस गांगुली से ही थी। लेकिन गांगुली के बीजेपी में शामिल होने से ये बेहद परेशान थे।
एक और प्रदर्शनकारी का कहना था कि जस्टिस गांगुली ने हमारे मामले में समझौता किया। हमें इस बात का अंदेशा है कि उन्होंने हमारे मामले को कमजोर करने के लिए जानबूझकर भड़काऊ बयान दिए और इसकी वजह से हमारे कई साल बर्बाद हो गए।

Teachers Scam Bengal: कैसे सामने आया घोटाला?
पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों में नौकरी के लिए साल 2014 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था। साल 2016 में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन भर्ती प्रक्रिया में कई तरह की गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि कई अभ्यर्थी ऐसे थे जिनके नंबर बहुत कम थे लेकिन मेरिट लिस्ट में उनका स्थान आगे था। इस तरह के भी आरोप थे कि कुछ अभ्यर्थी तो मेरिट लिस्ट में भी नहीं थे लेकिन फिर भी उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिए गए थे।
Recruitment of Group D employees: 13,000 पदों की नियुक्ति वाला नोटिफिकेशन
इसी तरह साल 2016 में एक दूसरे मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूल सर्विस कमिशन को नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि वह राज्य सरकार की ओर से चलाए जाने वाले या सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप डी के कर्मचारियों की भर्ती के लिए 13,000 पदों की नियुक्ति वाला नोटिफिकेशन जारी करे।
इस मामले में नियुक्तियां करने वाले पैनल की समय सीमा 2019 में खत्म हो गई थी लेकिन फिर भी पश्चिम बंगाल बोर्ड सेकेंडरी एजुकेशन (WBBSE) ने 25 लोगों की नियुक्ति कर दी थी।
CBI, ED Teachers Scam: सीबीआई और ईडी से जांच कराने का आदेश
2021 में कोलकाता हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि जस्टिस बैग कमेटी ग्रुप सी और ग्रुप डी के तहत की गई भर्तियों की समीक्षा करे। शुरुआती जांच के बाद कमेटी इस राय पर पहुंची थी कि ओएमआर शीट्स में गड़बड़ियां की गई और इसके बाद ही अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी से कराने का आदेश दिया। हालांकि ममता बनर्जी सरकार ने डिवीजन बेंच के सामने इस फैसले को चुनौती दी। बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और आरोपों की जांच के लिए कमेटी गठित की।
एसएससी और WBBSE से हलफनामा मांगा
डिवीजन बेंच ने एसएससी और WBBSE से हलफनामा मांगा। लेकिन इसमें इन दोनों ही ने अलग-अलग बयान दिए। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि सिर्फ 25 नहीं बल्कि 500 से ज्यादा लोग ऐसे थे जिन्हें एसएससी के पैनल के खत्म होने के बाद नियुक्त किया गया और वे लोग राज्य सरकार से तनख्वाह भी ले रहे थे।
साल 2022 में हाई कोर्ट ने कहा था कि ग्रुप सी और ग्रुप डी की भर्ती के मामले में सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। अदालत ने कहा था कि उसके सामने रखे गए रिकॉर्ड से चौंकाने वाली बातें पता चलती हैं।
रिक्रूटमेंट पैनल को रद्द करने का विकल्प
इसी तरह सोमवार को सुनाए गए अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि 2016 में ग्रुप सी, ग्रुप डी, क्लास IX और X की ओएमआर शीट में गड़बड़ी की गई थी और इसके तहत की गई सभी भर्तियां पूरी तरह अवैध हैं। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों की भर्तियां की गई उनके नाम पैनल में अवैध रूप से शामिल किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि हमारे पास इसके सिवा कोई रास्ता नहीं है कि हम पूरे रिक्रूटमेंट पैनल को ही रद्द कर दें।
Arpita Mukherjee ED raid: 49 करोड़ का कैश मिला
जुलाई, 2022 में ममता सरकार में शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया इसके साथ ही उनके सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। जुलाई, 2022 में ईडी की छापेमारी में अर्पिता के घर से 49 करोड़ रुपए का कैश मिला तो देशभर में टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें खूब वायरल हुई। इसके साथ ही अर्पिता के फ्लैट से जूलरी भी मिली। उसके बाद बीजेपी ने फिर से आरोप लगाया कि यह बहुत बड़ा घोटाला है और इसकी जड़ें गहरी हैं।
West Bengal TMC: तृणमूल कांग्रेस को होगा नुकसान?
अब सवाल इस बात का है कि क्या कथित शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर कोर्ट के फैसले से तृणमूल कांग्रेस पर क्या असर होगा। निश्चित रूप से हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित हुए 23,753 परिवारों पर आफत का आसमान टूट पड़ा है। अगर एक परिवार में कम से कम चार लोग भी मान लिए जाएं तो यह आंकड़ा एक लाख लोगों के आसपास बैठता है। जिन लोगों की नौकरी गई है वे 12% ब्याज के साथ किस तरह अपनी सैलरी लौटाएंगे, यह बड़ा सवाल है। ये 1 लाख लोग जब लोकसभा चुनाव में वोट देने जाएंगे तो निश्चित रूप से वोट देने का फैसला हाई कोर्ट के इस निर्णय से जरूर प्रभावित होगा।
चूंकि ममता सरकार ने कहा है कि उनकी सरकार इस फैसले से प्रभावित हुए शिक्षकों के पक्ष में खड़ी है और वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी। इसलिए ऐसा हो सकता है कि प्रभावित शिक्षक तृणमूल कांग्रेस का साथ दें। क्योंकि उनके लिए इस मामले में सबसे जरूरी राहत का मिलना है और ममता सरकार ने कहा है कि वह उनकी लड़ाई लड़ेगी इसलिए ऐसे में वह खुद भी और अपने परिचितों को भी लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
West Bengal BJP: क्या बीजेपी को इस फैसले से फायदा होगा?
बीजेपी शिक्षक भर्ती में हुए कथित रूप से घोटाले को लेकर पुरजोर ढंग से ममता सरकार पर हमलावर रही है और अब जब हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया है, ऐसे में बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई और केंद्रीय नेतृत्व सहित तमाम बड़े नेता इस बात का जोर-शोर से प्रचार करेंगे कि ममता बनर्जी सरकार अखंड भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और उसने लाखों लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है।
ऐसे में राज्य के मतदाताओं के सामने तृणमूल कांग्रेस की नकारात्मक छवि बन सकती है और इसका कुछ हद तक राजनीतिक फायदा बीजेपी को हो सकता है।
‘लोगों की नौकरियां ना छीनें’
पिछले साल मार्च में जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य सेवा आयोग भर्ती घोटाले के संबंध में ग्रुप-सी श्रेणी में 785 उम्मीदवारों की सिफारिश रद्द करने का आदेश दिया था, तब ममता बनर्जी ने न्यायपालिका से आग्रह किया था कि वह लोगों की नौकरियां ना छीनें और उनके परिवारों को खराब स्थिति में ना जाने दें।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि हर दिन लोगों की नौकरियां जा रही हैं। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों से निवेदन किया था कि ऐसे लोगों के पास परिवार हैं और उन्हें अपने माता-पिता की देखभाल भी करनी है। अगर उनकी नौकरी चली गई तो वह अपना जीवन कैसे चलाएंगे।
TMC BJP West Bengal 2024 Election: बीजेपी-टीएमसी के बीच जोरदार जंग
पिछले कुछ सालों में पश्चिम बंगाल के अंदर तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच जबरदस्त राजनीतिक दुश्मनी रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान करते हुए लोकसभा की 42 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी जो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे मिली 2 सीटों के आंकड़े से 9 गुना ज्यादा थी।
साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में भी मुख्य मुकाबला भाजपा और टीएमसी के बीच ही रहा था। हालांकि तब टीएमसी ने सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन बीजेपी ने 2016 के लोकसभा विधानसभा चुनाव में उसे मिली तीन सीटों के मुकाबले 77 सीटें झटक ली थी। जबकि टीएमसी की सीटों की संख्या में सिर्फ चार सीटों की बढ़ोतरी हुई थी। उसे 215 सीटें मिली थी और 2016 के चुनाव में यह आंकड़ा 211 था।