कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने रविवार (3 मार्च 2023) को कहा कि वह न्यायपालिका छोड़ कर राजनीति में शामिल हो रहे हैं। बंगाली समाचार चैनल एबीपी आनंद को दिए एक इंटरव्यू में जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा, “सत्तारूढ़ पार्टी (TMC) के नेताओं द्वारा मुझे कई बार (राजनीतिक) मैदान में आने और लड़ने की चुनौती दी गई है, इसलिए मैंने भी सोचा कि क्यों न मैदान में उतर ही जाया जाए।”

जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि अगर उन्हें टिकट दिया गया तो वह चुनाव लड़ेंगे, लेकिन यह नहीं बताया कि वह किस पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं।

मंगलवार को इस्तीफा देंगे जस्टिस गंगोपाध्याय

इंटरव्यू में जज ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में उनका आखिरी दिन सोमवार होगा और वह मंगलवार को राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र भेजेंगे। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ टीएमसी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अदालत कक्ष से आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “एक बंगाली के रूप में मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता। जो लोग शासक के रूप में उभरे वे राज्य को फायदा पहुंचाने में सक्षम नहीं हैं। मैं चुनौती स्वीकार करूंगा। मैंने मंगलवार को इस्तीफा देने का फैसला किया है। सोमवार को मैं अदालत में रहूंगा क्योंकि मेरे पास बहुत सारे केस हैं।”

टीएमसी, भाजपा और कांग्रेस ने क्या कहा?

जस्टिस गंगोपाध्याय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी के राज्य प्रवक्ता देबांगशु भट्टाचार्य ने कहा, “हम लंबे समय से कह रहे हैं कि वह एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता हैं। हमें सही साबित करने के लिए हम आज उन्हें धन्यवाद देते हैं।”

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने गंगोपाध्याय के राजनीति में शामिल होने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “अभिजीत गंगोपाध्याय जैसे लोगों का राजनीति में आना देश के पक्ष में है। मुझे लगता है कि भाजपा उनकी स्वाभाविक पसंद होगी।”

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी गंगोपाध्याय का स्वागत करेगी। चौधरी ने कहा, “वह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक योद्धा हैं। अगर वह कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं तो हम उनका गर्मजोशी से स्वागत करेंगे। वह एक फाइटर हैं। अगर वह भाजपा में शामिल होते हैं, तो वैचारिक रूप से हम (उनका) समर्थन नहीं कर सकते।” बता दें कि चौधरी ने एक बार कहा था कि वह चाहेंगे कि गंगोपाध्याय पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बनें।

गौरतलब है कि उत्तर बंगाल की एक महिला ने अपने पति की कोविड के कारण मृत्यु के बाद नौकरी और मुआवजे की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इस मामले में सुनवाई के दौरान ममता बनर्जी के भतीजे (अभिषेक बनर्जी) द्वारा संपत्ति अर्जित करने को लेकर मौखिक टिप्पणी की थी, जिसके बाद टीएमसी सांसद कुणाल घोषका ने कहा था कि जज को इस्तीफा देकर अभिषेक बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए।

ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ दिया था CBI जांच का आदेश

पश्चिम बंगाल के कथित स्कूल भर्ती घोटाला मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था और 32,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। हालांकि जस्टिस गंगोपाध्याय द्वारा दिए गए शिक्षकों की बर्खास्तगी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इस मामल में ममता सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री की गिरफ्तारी भी हुई थी।

जस्टिस गंगोपाध्याय कथित स्कूल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ममता सरकार के पूरे मंत्रिमंडल को अदालत में बुलाने की धमकी देते हुए कहा था, “किसी को भी भारत के संविधान के साथ कुछ भी करने का अधिकार नहीं है। मुझे चुनाव आयोग से एक राजनीतिक दल के रूप में तृणमूल कांग्रेस की मान्यता रद्द करने और उसकी पार्टी का लोगो वापस लेने के लिए कहना पड़ सकता है।”

गंगोपाध्याय का शुरुआती करियर

जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का जन्म 19 अगस्त, 1962 को हुआ था। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हाजरा लॉ कॉलेज से स्नातक गंगोपाध्याय ने अपना करियर पश्चिम बंगाल सिविल सेवा के ग्रेड ए अधिकारी के रूप में शुरू किया था।

रिकॉर्ड से पता चलता है कि एक भूमि राजस्व अधिकारी के रूप में जब न्यायाधीश ने लोकल करप्शन पर कार्रवाई की, तो उन्हें मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और वापस कोलकाता चले जाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की और कई बीमा कंपनियों और बीमा नियामक के लिए पैनल वकील रहे।