BJP wins Dalit Seats in Jammu: कांग्रेस पिछले कुछ सालों से बीजेपी को लगातार दलित विरोधी पार्टी बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी संविधान और आरक्षण के खिलाफ है। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेताओं ने अपनी चुनावी जनसभाओं में लगातार इस बात को कहा था कि बीजेपी दलित विरोधी है और उसके फिर से सत्ता में आने पर संविधान और आरक्षण पर खतरा पैदा हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने पर साफ दिखाई दिया कि कांग्रेस के इस प्रचार का उसे फायदा हुआ और बीजेपी को नुकसान हुआ और बीजेपी अपने दम पर बहुमत भी नहीं हासिल कर सकी। वह 240 सीटों पर आकर रुक गई।
बीजेपी को दलित विरोधी बताए जाने का कांग्रेस का यह प्रचार जम्मू में पूरी तरह ध्वस्त होता दिखाई दिया है क्योंकि जम्मू में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सभी सातों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। इसके अलावा हरियाणा में भी आरक्षित सीटों के मामले में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस को मिला बहुमत
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को बहुमत मिला है। नेशनल कांफ्रेंस को 42 सीटों पर जीत मिली है जबकि कांग्रेस को 6। बीजेपी ने अकेले दम पर चुनाव लड़ते हुए 29 सीटें जीती हैं और यह सभी सीटें उसने जम्मू संभाग से ही जीती हैं। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीटें हैं। इसमें से जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हैं।
हालांकि बीजेपी को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर जीत नहीं मिली है। जम्मू-कश्मीर में एसटी के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं। इसमें से 6 सीटें जम्मू में हैं।
पहाड़ी समुदाय को भी एसटी में किया शामिल
बताना होगा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद एसटी यानी अनुसूचित जनजाति के लिए पहली बार सीटें आरक्षित की गई थीं। केंद्र सरकार ने पहाड़ी समुदाय को भी एसटी की श्रेणी में शामिल किया था। पुंछ और राजौरी के जिलों में एसटी मतदाता बड़ी संख्या में हैं।
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बताया जा रहा है कि पहाड़ी समुदाय को एसटी में शामिल किए जाने से गुज्जर मतदाता नाराज हो गए और इस वजह से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी को जीत नहीं मिली। एक शख्स ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस वजह से गुज्जर मतदाता कांग्रेस-एनसी गठबंधन के पीछे एकजुट हो गए और उन्हें पहाड़ी समुदाय का भी वोट मिला।
हरियाणा में ज्यादा आरक्षित सीटों पर जीती बीजेपी
हरियाणा में भी आरक्षित सीटों के मामले में बीजेपी का प्रदर्शन 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी बेहतर रहा है। हरियाणा की विधानसभा में 17 सीटें आरक्षित हैं। 2019 में बीजेपी को इनमें से 5 सीटें मिली थी जबकि इस बार पार्टी ने यहां 8 सीटें जीती हैं और 9 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। जबकि कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह सभी आरक्षित सीटों पर कब्जा जमा लेगी।
हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस ने संविधान और आरक्षण पर खतरा होने की बात कही थी लेकिन इसका कोई असर होता हुआ नहीं दिखाई दिया। इसके साथ ही पार्टी ने अग्निवीर योजना और किसानों के मुद्दों को भी उठाया था और यह दावा किया था कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनाएगी लेकिन चुनाव नतीजे आने पर उसके सभी दावे हवा में उड़ गए।
सैनी सरकार ने उठाए अहम कदम
दलित समुदाय को रिझाने के लिए कई कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को संविधान के तहत अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है।
एससी समुदाय को ‘वंचित एससी’ श्रेणी में बांटा गया, जिसमें धानक, बाजीगर, कबीरपंथी, वाल्मीकि, मज़हबी और मज़हबी सिख शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में रहगर, रैगर, रविदासी, रामदासी और मोची शामिल हैं और इन जातियों के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया। इस कदम से बीजेपी को हरियाणा में फायदा हुआ।