हरियाणा के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए बीजेपी ने अपने सारे सियासी दांव-पेच आजमाने शुरू कर दिए हैं। बीजेपी हरियाणा का चुनाव जीतने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश के फ़ॉर्मूले पर टिकटों का बंटवारा करने की रणनीति बना रही है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से बीजेपी एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। पिछले ढाई महीने में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पूरे प्रदेश के भीतर घूम कर जनता के लिए तमाम बड़े ऐलान किए हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी को इस बात का एहसास हुआ है कि विधानसभा चुनाव में उसे कांग्रेस की ओर से कड़ी चुनौती मिलने वाली है।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
क्या है रणनीति?
बीजेपी हरियाणा के अपने सभी सांसदों को चुनाव लड़ाना चाहती है। हरियाणा में बीजेपी के पास लोकसभा के 5 और राज्यसभा के 3 मिलाकर 8 सांसद हैं जबकि एक और नेता किरण चौधरी का राज्यसभा जाना तय है और इस तरह यह आंकड़ा 9 हो जाएगा।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व ने अपने सभी सांसदों से कहा है कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर लें।
बीजेपी की हरियाणा इकाई के तमाम बड़े नेताओं ने कुछ दिन पहले गुरुग्राम में बैठक कर विधानसभा चुनाव में उतारे जाने वाले उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की थी। इसके बाद से ही इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि पार्टी राज्य में अपने सभी सांसदों को चुनाव लड़ाने जा रही है।

चुनाव लड़ने के लिए रहें तैयार
लोकसभा चुनाव में जीते हुए नेताओं के साथ ही हारे हुए उम्मीदवारों से भी कहा गया है कि वे विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहें। निश्चित रूप से भाजपा ऐसा करके बेहद सधी हुई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरना चाहती है।
चार राज्यों में 21 सांसदों को दिया था टिकट
बीजेपी ने बीते साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में भी इसी फ़ॉर्मूले पर काम किया था। इन चार राज्यों में बीजेपी ने कुल 21 सांसदों को चुनाव लड़ाया था। राजस्थान और मध्य प्रदेश से 7-7 सांसदों को टिकट दिया गया था जबकि छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को पार्टी ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था।
पार्टी का यह फार्मूला कारगर रहा था और उसने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों को हराकर अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी जबकि मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी थी। हालांकि तेलंगाना में उसका अनुभव खराब रहा था और वहां जिन तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाया गया, उन सभी को हार मिली थी। लेकिन हिंदी भाषा राज्यों में बीजेपी को सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने का फायदा मिला था।
21 सांसदों में से बीजेपी के 12 सांसद चुनाव जीते थे।

कहां-कहां मिल सकता है बीजेपी को फायदा
अब बात करते हैं बीजेपी के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की, जिन्हें पार्टी ने अगर उम्मीदवार बनाया तो उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से बीजेपी को कहां-कहां फायदा मिल सकता है।
सबसे पहले बात करते हैं गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की। राव इंद्रजीत सिंह निर्विवाद रूप से दक्षिण हरियाणा यानी अहीरवाल के सबसे बड़े नेता हैं। अहीरवाल के इलाके में- गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले की 11 सीटें आती हैं।
इन सभी सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह के समर्थकों की अच्छी-खासी संख्या है। राव इंद्रजीत सिंह अगर विधानसभा का चुनाव लड़े तो निश्चित रूप से अहीरवाल की इन सीटों पर उनका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
खट्टर लड़े तो करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला में होगा असर?
करनाल से सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर राज्य में साढ़े नौ साल तक बीजेपी की सरकार के मुखिया रहे हैं। खट्टर के विधानसभा चुनाव लड़ने की सूरत में पार्टी को अंबाला जिले के साथ ही कुरुक्षेत्र और करनाल जिले की विधानसभा सीटों पर भी मदद मिल सकती है। इन तीन जिलों में कुल मिलाकर 13 विधानसभा सीटें हैं।
फरीदाबाद के सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के विधानसभा चुनाव लड़ने की सूरत में पार्टी को फरीदाबाद जिले में आने वाली छह विधानसभा सीटों पर फायदा होने के साथ ही पलवल जिले की तीन सीटों पर भी फायदा हो सकता है। क्योंकि फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में फरीदाबाद और पलवल जिले की विधानसभा सीटें आती हैं।
कुरुक्षेत्र से सांसद का चुनाव जीते नवीन जिंदल अगर विधानसभा का चुनाव लड़े तो कुरुक्षेत्र इलाके के अलावा हिसार में भी बीजेपी को फायदा मिल सकता है क्योंकि जिंदल परिवार का हिसार में असर रहा है। नवीन जिंदल की मां सावित्री जिंदल और उनके पिता ओपी जिंदल हिसार से विधायक रहे हैं।
भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह पुराने नेता हैं और अगर उन्हें भी चुनाव लड़ाया गया तो बीजेपी को भिवानी-महेंद्रगढ़ के जिलों में आने वाली विधानसभा सीटों पर जीत मिल सकती है।

किरण चौधरी लड़ीं तो कितना असर होगा?
किरण चौधरी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी तो वह पार्टी के लिए भिवानी-महेंद्रगढ़ की विधानसभा सीटों के साथ ही चरखी दादरी और भिवानी में भी कुछ सीटों पर बीजेपी को फायदा दिला सकती हैं। वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू हैं और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं। किरण चौधरी खुद पांच बार विधायक रहने के साथ ही हरियाणा सरकार में मंत्री और कांग्रेस विधायक दल की नेता रह चुकी हैं।
राज्यसभा सांसद हैं बराला, जांगड़ा और पंवार
इसके अलावा बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुभाष बराला हरियाणा में पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह चुनाव मैदान में उतरे तो पार्टी को फतेहाबाद जिले की तीन विधानसभा सीटों पर बढ़त मिल सकती है। कृष्ण लाल पंवार पानीपत जिले की इसराना सीट से विधायक रहे हैं और दलित समुदाय से आते हैं। पंवार इसराना के आसपास की सीटों पर असर कर सकते हैं।
एक और राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा खुद ही गोहाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं।

हारे हुए उम्मीदवार भी उतारे जाएंगे चुनाव मैदान में?
लोकसभा चुनाव में रोहतक सीट से हारे डॉक्टर अरविंद शर्मा, हिसार लोकसभा सीट से हारे रणजीत चौटाला, अंबाला से चुनाव हारीं बंतो कटारिया और सिरसा सीट से चुनाव हारे अशोक तंवर को भी पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ा सकती है। सोनीपत लोकसभा सीट से चुनाव हारे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली अपनी राई सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे।
अगर बीजेपी इन सभी नेताओं को चुनाव लड़ाती है तो समझा जाना चाहिए कि हरियाणा में जोरदार चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा जिसमें एक-एक सीट के लिए कांटे की लड़ाई होगी। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं।