अदार पूनावाला। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ। कोरोना काल में कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बना कर दुनिया भर में मशहूर हुए और काफी पैसा भी बनाया। वैक्सीन बनाने के अगले ही साल, यानी 2022 में इन्होंने भारी भरकम रकम चंदे में दी। 48 घंटे के भीतर 50 करोड़ रुपए दे दिए। 15 दिन बाद और ढाई करोड़ रुपए दिए। प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट ने 52.5 करोड़ रुपए की यह कुल रकम एक ही बार में बीजेपी को सौंप दी।
यह जानकारी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की ओर से चुनाव आयोग को सौंपी रिपोर्ट का विश्लेषण कर जारी की है। रॉयटर्स ने 2019 से 2022 के बीच हुए 18 लेनदेन की जांच की है। इससे पता चलता है कि कोरोना काल में जहां अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ी थी, वहां कॉरपोरेट घरानों से मिलने वाले चंदों से भाजपा का खजाना भर रहा था।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी से भाजपा को कितना मिला?
सीरम ने 2022 के अगस्त में प्रूडेंट ट्रस्ट को 52.5 करोड़ रुपए दिए। 40 करोड़ पहली तारीख को, 10 करोड़ 2 अगस्त को और ढाई करोड़ 17 अगस्त को। प्रूडेंट ने 18 अगस्त को यह सारा पैसा बीजेपी को ट्रांसफर कर दिया। मार्च 2021 से नवंबर 2022 के बीच प्रूडेंट को सबसे ज्यादा पैसा देने वाली कंपनी सीरम ही थी।
नीचे टेबल में दिखाया गया है कि किन कंपनियों ने किस तारीख को प्रूडेंट ट्रस्ट को चंदा दिया और किस तारीख को कितनी रकम प्रूडेंट ट्रस्ट की ओर से बीजेपी को सौंपी गई।

2021 में सरकार ने सीरम को दिया था एक करोड़ दस लाख डोज का ऑर्डर
कोरोना का टीका (कोविशील्ड) बनाने के चलते भारतीय बाजार से सीरम के राजस्व में 2022 में 80 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जो 2020 में मात्र 17 प्रतिशत और 2021 में 40 प्रतिशत थी। सरकार की ओर से चलाए गए कोराना टीकाकरण अभियान पर 79 प्रतिशत कब्जा सीरम का ही था, जबकि सरकारी उपक्रम भारत बायोटेक ने भी कोवैक्सीन नाम से कोराना का टीका लॉन्च किया था।
भारत सरकार ने जनवरी 2021 में सीरम को कोविशील्ड की एक करोड़ दस लाख खुराक का ऑर्डर दिया था। मार्च में फिर दस करोड़ डोज तैयार करने के लिए कहा गया था।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की बुनियाद 1966 में सायरस पूनावाला ने रखी थी। आज यह टीका बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी सालाना वैक्सींस की करीब डेढ़ अरब खुराक बेचती है और पूनावाला का इसे चार अरब करने का लक्ष्य है।
प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट का 75% चंदा भाजपा को गया
प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट 2013 में बना था। तब से इसे 22.5 अरब रुपए चंदा मिला है। इसका 75 प्रतिशत भाजपा को दिया गया है। यह कांग्रेस को दी गई रकम (1.70 अरब) का करीब दस गुना है। ट्रस्ट के जरिए चुनावी चंदा दिए जाने की व्यवस्था 2013 में कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार ने शुरू की थी। करीब पांच साल बाद भाजपा सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की थी, जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताते हुए बैन कर दिया।
2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड आने के बाद भी भाजपा की अमीरी खूब बढ़ी। 2023 तक उसके पास 70.4 अरब रुपए की नकदी और संपत्ति थी। कांग्रेस के मामले में यह आंकड़ा महज 7.7 अरब रुपए था।