महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की महायुति सरकार की अगुवाई कर रही भाजपा ने फैसला लिया है कि वह मराठा आरक्षण के मुद्दे पर अपने सतर्कता भरे रूख को छोड़ेगी।
बीजेपी की कोर कमेटी के सदस्यों का मानना है कि इस मुद्दे पर पार्टी ने जो सावधानी और सतर्कता भरा रुख अपनाया था, उससे विपक्ष को ताकत मिली है और वह अपने फायदे के लिए जाति आधारित ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रहा है।
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, इसका असर हालिया लोकसभा चुनाव में देखने को मिला है, जहां पर बीजेपी का आंकड़ा 2019 के मुकाबले काफी नीचे आ गया।
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 9 | 23 |
कांग्रेस | 13 | 1 |
एनसीपी | 1 | 4 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 | – |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 | – |
शिवसेना | 7 | 18 |
अब बीजेपी ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महा विकास अघाड़ी के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए एक फैक्टशीट तैयार कर ली है।

उद्धव ठाकरे को ठहराएगी जिम्मेदार
बीजेपी इस फैक्ट शीट के जरिए महाराष्ट्र के लोगों को यह बताना चाहती है कि साल 2018 में जब देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और अविभाजित शिवेसना-बीजेपी की सरकार राज्य में थी, तब बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा आरक्षण को बरकरार रखा था और मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने जब मराठा आरक्षण को खत्म करने का आदेश दिया था तब राज्य में महा विकास अघाड़ी की सरकार थी।
बीजेपी की कोशिश है कि वह इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश करेगी।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के इस बदले हुए रूख को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया महाराष्ट्र दौरे के दौरान देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल की सराहना के लिए की गई टिप्पणियों के रूप में भी देखा जा सकता है।

शाह ने की थी फडणवीस सरकार की तारीफ
अमित शाह ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार की यह कहकर तारीफ की थी कि उसने मराठा आरक्षण मुद्दे को बेहतर ढंग से संभाला था। महाराष्ट्र में 2014 से 2019 के बीच बीजेपी और अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में थी।
पुणे में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था, ‘मराठा समुदाय को आरक्षण तभी मिला है जब बीजेपी सत्ता में रही है। जब शरद पवार के नेतृत्व वाला गठबंधन महाराष्ट्र की सत्ता में आया तो इस समुदाय को आरक्षण से वंचित कर दिया गया।’
अमित शाह के द्वारा देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करना इसलिए अहम था क्योंकि मराठा आरक्षण के लिए जो लोग आंदोलन कर रहे थे, विशेषकर मनोज जरांगे पाटिल, उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को मराठा आरक्षण आंदोलन के विरोधी के तौर पर प्रस्तुत किया। ब्राह्मण नेता के रूप में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की तुलना में इस मुद्दे पर कमजोर दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं।

शरद पवार, उद्धव ठाकरे और नाना पटोले से पूछा सवाल
पुणे में आयोजित भाजपा के कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस काफी आक्रामक दिखाई दिए थे। फडणवीस ने कहा था कि वह मनोज जरांगे पाटिल से कुछ नहीं कहना चाहते हालांकि वह शरद पवार, उद्धव ठाकरे और नाना पटोले से पूछना चाहते हैं कि मराठा आरक्षण मुद्दे पर उनका क्या रुख है। क्या वे ओबीसी कैटेगरी के तहत मराठाओं के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं?
अमित शाह के दौरे के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को कोई दोष नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा था, ‘बीजेपी को इस मामले में क्यों बचाव की मुद्रा में आना चाहिए। विपक्ष फर्जी नैरेटिव के जरिये हमें फसाने की कोशिश कर रहा है। हमने फैसला किया है कि हम इस मुद्दे पर अपना रुख पूरी मजबूती के साथ लोगों के सामने रखेंगे।’
फडणवीस को मांगनी पड़ी थी माफी
महाराष्ट्र में बीजेपी और गृहमंत्री होने के नाते विशेषकर देवेंद्र फडणवीस पिछले साल अगस्त के बाद से ही इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में दिखाई दिए हैं। बीते साल अगस्त में महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ था और इसके बाद प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भड़क गया था।
जब यह आंदोलन आगे बढ़ा था तो मनोज जरांगे पाटिल आंदोलन का चेहरा बन गए थे। उस दौरान बने तनावपूर्ण माहौल को कम करने के लिए देवेंद्र फडणवीस को सामूहिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

महायुति के लिए 200 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट
बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि अगर वह गांव के स्तर पर मराठा बनाम ओबीसी के ध्रुवीकरण को कम करने में कामयाब रही तो इससे उसे लोकसभा चुनाव में पार्टी के गिर चुके ग्राफ को रोकने में मदद मिलेगी। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर 125 और महायुति के लिए 200 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं।
2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 122 सीटें जीती थी और यह उसका राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन था। 2019 में यह आंकड़ा गिरकर 105 हो गया था हालांकि यह दोनों विधानसभा चुनाव बीजेपी ने अविभाजित शिवसेना के साथ ही मिलकर लड़े थे। लेकिन अब कई सीटों पर बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा क्योंकि महाराष्ट्र में अब दो शिवसेना और दो एनसीपी हैं।
बीजेपी ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जवाबी हमला उस वक्त करने की कोशिश की है, जब मनोज जरांगे पाटिल एक बार फिर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की तैयारी में हैं।
मनोज जरांगे पाटिल ने लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में अपना विरोध प्रदर्शन तब रोक दिया था जब शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और आरक्षण में सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े वर्ग कानून के तहत 10% का आरक्षण देने का ऐलान किया था।