हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कई मंत्रियों, विधायकों का टिकट तो काटा है लेकिन एक ऐसे नेता का पार्टी ने टिकट काट दिया है, जो हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष रहे और जिनके नाम की सिफारिश खुद दक्षिण हरियाणा के सबसे बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह कर रहे थे।

बात हो रही है रामबिलास शर्मा की। रामबिलास शर्मा को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में महेंद्रगढ़ सीट से टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह पर पार्टी ने कंवर सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है।

रामबिलास शर्मा को इस बात की आशंका थी कि उनका टिकट काटा जा सकता है क्योंकि बीजेपी ने पहली दो सूची में महेंद्रगढ़ की सीट से उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया था। इसलिए रामबिलास शर्मा ने बुधवार को अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया था। हालांकि यह नामांकन अब रद्द हो जाएगा क्योंकि नामांकन पत्र में उन्होंने पार्टी का नाम बीजेपी लिखा था।

पहले जानते हैं कि रामबिलास शर्मा कौन हैं।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी रालोद प्रत्याशी उतारेगी (PTI)

कौन हैं रामबिलास शर्मा?

रामबिलास शर्मा पांच बार दक्षिण हरियाणा की महेंद्रगढ़ सीट से विधायक रहे हैं। 2014 में जब हरियाणा में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर सरकार बनाई थी तब रामबिलास शर्मा ही पार्टी के अध्यक्ष थे। उन्हें मनोहर लाल खट्टर की पहली सरकार में शिक्षा मंत्री भी बनाया गया था। 2019 में रामबिलास शर्मा महेंद्रगढ़ से चुनाव हार गए थे। रामबिलास शर्मा ने 1974 में जयप्रकाश नारायण के द्वारा इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ चलाए गए आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। वह कुरुक्षेत्र विवि में प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे और तभी से वह हरियाणा में संघ और बीजेपी से जुड़े रहे हैं।

एफआईआर दर्ज कराने के आदेश से नाराजगी

इस बीच, रामबिलास शर्मा के खिलाफ एक पुराने मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश से रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ की राजनीति में उबाल आ गया है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने रामबिलास शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश की निंदा की है।

रामबिलास शर्मा ने कहा है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े षड्यंत्र किये जा रहे हैं। शर्मा ने कहा है कि राव इंद्रजीत सिंह का आशीर्वाद उनके साथ है। शर्मा ने कहा कि जब उन्होंने इंदिरा गांधी की परवाह नहीं की तो वह राव इंद्रजीत सिंह के आशीर्वाद से सारे षडयंत्रों को देख लेंगे।

अहीरवाल में है राव का सियासी असर

राव इंद्रजीत सिंह खुद छह बार सांसद और चार बार विधायक रहे हैं। वह गुरुग्राम और भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी में आने से पहले वह यूपीए की सरकार के दौरान भारत सरकार में मंत्री थे।

इसलिए दक्षिण हरियाणा में राव इंद्रजीत सिंह के सियासी असर को बीजेपी नकार नहीं सकती। इसके अलावा चौधरी धर्मबीर सिंह भी तीन बार भिवानी-महेंद्रगढ़ की सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और शर्मा के समर्थन में हैं।

राव बोले- फैसले का होगा असर

महेंद्रगढ़ में बीजेपी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि रामबिलास शर्मा वह शख्स हैं जिन्होंने हरियाणा में बीजेपी को खड़ा किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टी चाहे टिकट दे या ना दे लेकिन उसे रामबिलास शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं का अपमान करने का कोई हक नहीं है। उन्होंने सवाल पूछा कि रामबिलास शर्मा पांच बार विधायक रहे हैं, हरियाणा बीजेपी में ऐसे कितने लोग हैं जो पांच बार विधायक बने हैं। राव ने कहा कि शर्मा की छवि को खराब करने के लिए अभियान चलाया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बीजेपी का यह फैसला न सिर्फ महेंद्रगढ़ जिले में पार्टी के प्रदर्शन पर असर डालेगा बल्कि पूरे राज्य में इसका असर पड़ेगा।

पिछले पांच सालों के चुनावों के आंकड़ों से पता चलता है कि एससी बहुल सीटों पर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को काफी बढ़त मिली है। (Photos : PTI)

पूरे हरियाणा में है रामबिलास शर्मा की पहचान

सवाल यह है कि बीजेपी को रामबिलास शर्मा का टिकट काटे जाने से कितना नुकसान होगा? रामबिलास शर्मा क्योंकि दो बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं इसलिए हरियाणा के सभी हलकों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उन्हें पहचानते हैं लेकिन गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले में आने वाली विधानसभा सीटों में रामबिलास शर्मा की अपनी एक अलग पहचान है। चूंकि राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी धर्मबीर सिंह भी शर्मा के साथ डटकर खड़े हैं इसलिए बीजेपी को गुड़गांव जिले की चार, रेवाड़ी की तीन और महेंद्रगढ़ की चार विधानसभा सीटों पर नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी बड़े सियासी कद वाले इन तीनों नेताओं- रामबिलास शर्मा, राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी धर्मबीर सिंह की नाराजगी मोल लेने के लिए तैयार है?