लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा जरूर हासिल कर लिया लेकिन वह 400 पार के नारे से काफी दूर रह गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार ऐसा हुआ है जब भाजपा अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं कर सकी है। नरेंद्र मोदी 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 2002, 2007, 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को बहुमत दिलाया था। 2014 में दिल्ली आने पर भी लगातार दो चुनावों में उन्होंने भाजपा को जबरदस्त बहुमत से जिताया।
लोकसभा चुनाव 2024 परिणाम: बीजेपी के स्ट्राइक रेट में जबरदस्त गिरावट
बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना स्ट्राइक रेट बढ़ाया था लेकिन इस बार पार्टी के स्ट्राइक रेट में जबरदस्त गिरावट आई है। 2024 में पार्टी का स्ट्राइक रेट 2014 और 2019 के मुकाबले काफी कम रह गया है।
साल | स्ट्राइक रेट (प्रतिशत में) |
1984 | 0.9 |
1989 | 37.8 |
1991 | 25.2 |
1996 | 34.2 |
1998 | 46.9 |
1999 | 53.7 |
2004 | 37.9 |
2009 | 26.8 |
2014 | 65.9 |
2019 | 69.5 |
2024 | 54.4 |
…फिर भी बीजेपी में मोदी जैसा कोई नहीं, 23 साल से लगातार कर रहे शासन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी में अकेले ऐसे नेता हैं जो इतने लंबे वक्त तक सत्ता के शीर्ष पर रहे हैं। 2001 से लेकर 2014 तक वह लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे जबकि मई 2014 से अब तक वह देश के प्रधानमंत्री के पद पर हैं। इस तरह मोदी कुल 23 साल तक राज्य और केंद्र में सत्ता के मुखिया पद पर रह चुके हैं।
2001 में केशु भाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम बने थे। 182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में 2002 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 127, 2007 में 117 और 2012 के विधानसभा चुनाव में 115 सीटें जीती थी। गुजरात में सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ा 92 सीटों का है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात से केंद्र की राजनीति में आए तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पार्टी को बहुमत दिलाया। 2014 में बीजेपी ने अपने दम पर 282 और 2019 में 303 सीटें जीती थी। केंद्र में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 272 है।
लेकिन इस बार 400 पार के नारे और धुआंधार चुनाव प्रचार के बावजूद भी नरेंद्र मोदी बीजेपी को बहुमत नहीं दिला सके और बीजेपी 240 सीटों पर आकर रुक गई।

8 साल की उम्र से जाने लगे थे संघ की शाखा में
17 सितंबर, 1950 को मेहसाणा जिले के एक छोटे कस्बे वडनगर में जन्मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोड घांची परिवार में पैदा हुए थे। यह जाति ओबीसी समुदाय में आती है। उनके पिता तेल बेचने के साथ ही चाय की रेहडी भी लगाते थे। जहां नरेंद्र मोदी भी काम करते थे। मोदी ने यहां आरएसएस की स्थानीय शाखा में सिर्फ 8 साल की उम्र से जाना शुरू कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी गई बायोग्राफी में एम.वी.कामथ और के. रंदेरी लिखते हैं कि शुरुआत में मोदी संन्यासी बनना चाहते थे। नरेंद्र मोदी कोलकाता में रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ गए और उसके बाद हिमालय भी गए। वह अल्मोड़ा में स्थित विवेकानंद आश्रम गए और हिमालय में भी घूमे।

आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने मोदी
मोदी पर एक और बायोग्राफी लिखने वाले किंगसुक नाग लिखते हैं कि मोदी ने 17 साल की उम्र में वडनगर छोड़ दिया था और 1960 के अंत में या 1970 के शुरुआती सालों में वह पूर्णकालिक आरएसएस कार्यकर्ता बन चुके थे। इसके बाद वह अहमदाबाद के मणिनगर में स्थित आरएसएस के मुख्यालय जिसे हेडगेवार भवन भी कहा जाता था, उसमें रहने लगे थे। यहां वह गुजरात और महाराष्ट्र के प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव ईनामदार के सहयोगी बने।
1972 में मोदी प्रचारक बन चुके थे और इसके बाद उन्होंने कुछ साल नवनिर्माण आंदोलन में हिस्सा लिया। आपातकाल के दिनों में मोदी अंडरग्राउंड हो गए थे। आपातकाल खत्म होने के बाद उन्हें आपातकाल पर लिखी गई एक किताब के लिए शोध करने का काम दिया गया। इस दौरान मोदी देशभर में घूमे और कई नेताओं से मिले।

Gujarat BJP: बीजेपी के संगठन मंत्री का पद संभाला
Christophe Jaffrelot अपनी किताब Gujarat Under Modi में लिखते हैं कि इसके बाद मोदी फिर से गुजरात लौट आए और 1978 में उन्हें आरएसएस में विभाग प्रचारक नियुक्त किया गया। वह संभाग प्रचारक और 1981 में प्रांत प्रचारक भी बने। इस दौरान मोदी गुजरात में विश्व हिंदू परिषद, भारतीय किसान संघ और एबीवीपी के संपर्क में भी रहे। 1986 में जब लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के अध्यक्ष बने तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी के कामकाज में लगाया। 1987 में मोदी को गुजरात बीजेपी का संगठन मंत्री बनाया गया।
Advani Ram Rath Yatra: आडवाणी, जोशी की रथ यात्राओं का प्रबंधन
गुजरात में पार्टी का मुख्य संयोजक रहते हुए मोदी ने कई यात्राओं का नेतृत्व किया। 1990 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के द्वारा निकाली गई रथ यात्रा के प्रबंधन का भी काम संभाला। यह रथ यात्रा गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई थी। 1991 में जब तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने एकता यात्रा निकाली थी तो मोदी को इसका प्रभारी बनाया गया। इस यात्रा के दौरान मोदी लगातार मुरली मनोहर जोशी के साथ बने रहे।
1995 में नरेंद्र मोदी गुजरात में बीजेपी के बड़े रणनीतिकार बनकर उभरे। यह वह साल था जब पार्टी को पहली बार गुजरात में बहुमत मिला था। केशुभाई पटेल जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने, उस वक्त मोदी जनता के बीच जाने-पहचाने चेहरे बन चुके थे और उन्हें सुपर चीफ मिनिस्टर कहा जाता था। वह कैबिनेट की बैठकों में हिस्सा लेते थे।
नवंबर 1995 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्रभारी का भी दायित्व दिया गया। इसके बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया और उन्होंने पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक तरह से प्रमुख के रूप में काम किया।

2001 में मुख्यमंत्री बने मोदी
बीजेपी ने जब केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाया तो नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने। 2002 में गोधरा में दंगे हुए और जब इसे लेकर राज्य सरकार की आलोचना हुई तो 12 अप्रैल, 2002 को गोवा में हुई भाजपा की बैठक में मोदी ने अपना इस्तीफा दे दिया। लेकिन वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे।
Gujarat Gaurav Yatra: गौरव यात्रा के बाद मिली जबरदस्त जीत
मोदी ने 2002 के विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में गौरव यात्रा निकाली और इस दौरान 4200 किलोमीटर का सफर तय किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने 400 रैलियां की और गुजरात के 182 में से 146 विधानसभा सीटों तक पहुंचे। इस चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला और उसने 127 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस को तब तक केवल 51 सीटें मिली थी।
जून, 2013 में जब गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी तो इसमें नरेंद्र मोदी को बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने का बीजेपी के ही अंदर विरोध हुआ और इसके अगले ही दिन पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया। पार्टी के तमाम बड़े नेताओं ने उन्हें मनाया और इसके बाद आडवाणी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था।
2014 Lok Sabha Chunav: बीजेपी ने बनाया प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार
बीजेपी ने आगे बढ़ते हुए सितंबर, 2013 में नरेंद्र मोदी को एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने धुआंधार प्रचार शुरू किया। बीजेपी की ओर से किए गए दावे के मुताबिक, उन्होंने देशभर में 437 रैलियां की और 25 राज्यों में लगभग 3 लाख किलोमीटर की यात्रा की।
इस चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर ही बहुमत का आंकड़ा पार किया और उसे 282 सीटों पर जीत मिली। 2014 में एनडीए ने कुल 337 सीटें जीती थी। 26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के कुछ इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई। इसे लेकर सरकार की तीखी आलोचना हुई।
बीजेपी ने किया 10 करोड़ से ज्यादा सदस्य बनाने का दावा
2014 में अमित शाह बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। अमित शाह ने नवंबर 2014 में बीजेपी का सदस्यता महा अभियान शुरू किया। पार्टी ने कहा कि जो भी व्यक्ति बीजेपी का सदस्य बनना चाहता है, वह पार्टी की ओर से जारी किए गए टोल फ्री नंबर पर मिस कॉल देकर या बीजेपी की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग इन करने के बाद पार्टी की सदस्यता ले सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को पार्टी के पहले सदस्य के रूप में रजिस्टर किया था। बीजेपी ने दावा किया था कि उसका लक्ष्य 30 अप्रैल, 2015 तक 10 करोड़ सदस्य बनाने का है लेकिन उसने 10 दिन पहले ही यह आंकड़ा पार कर लिया है।
आरएसएस से भी बड़ी बीजेपी
भाजपा पर किताब लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नलिन मेहता ने लिखा है कि साल 2020 तक भाजपा का कैडर नेटवर्क आरएसएस से भी बड़ा हो चुका है और एक तरह से बीजेपी की आरएसएस पर निर्भरता खत्म हो चुकी है।
हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे, आरएसएस की जरूरत पड़ती थी, आज हम बढ़ गए हैं, सक्षम हैं…तो बीजेपी अपने आप को चलाती है।’ कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में आरएसएस के स्वयंसेवक जमीन पर सक्रिय नहीं रहे और यह भी बीजेपी के खराब प्रदर्शन का एक कारण रहा।
2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे तब बीजेपी की सात राज्यों में सरकार थी लेकिन मार्च 2018 तक यह आंकड़ा 21 पहुंच गया था।
2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम पर मिले वोट
फरवरी, 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सेना के काफिले पर आतंकी हमला हुआ। इसके जवाब में बीजेपी ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। बीजेपी ने 2019 के चुनाव में एयर स्ट्राइक को मुद्दा बनाया और इसके नाम पर लोगों से वोट देने की अपील की। बीजेपी ने इस चुनाव में 303 सीटें जीती।
सीएसडीएस-लोकनीति ने उस दौरान एक सर्वे किया था। सर्वे से पता चला था कि बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 77% मतदाताओं की पहली पसंद बन गए थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी एनडीए और बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर सामने आए। तब भी मोदी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली और इस बार पार्टी ने अपने पिछले आंकड़े से आगे बढ़ते हुए 303 सीटों पर जीत हासिल की।
Article 370 Abolished: अनुच्छेद 370 खत्म कर पूरा किया वादा
2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भरोसेमंद अमित शाह को गृह मंत्री बनाया। बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र पर आगे बढ़ते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का मुद्दा जनसंघ का था और बीजेपी ने इसे अपने तमाम चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल भी किया था।
बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया और नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर अपना फैसला सुना दिया। जनवरी, 2024 में अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हुआ और चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा के तमाम नेताओं ने इसका श्रेय मोदी सरकार को दिया।