हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के सामने टिकटों का बंटवारा करना सबसे मुश्किल काम है। विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद दोनों पार्टियां टिकटों के बंटवारे को लेकर लगातार मंथन कर रही हैं लेकिन दोनों के सामने मुश्किल यह है कि राज्य में दिग्गज नेता अपने बेटे-बेटियों या अन्य रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं।
ऐसे में टिकटों का बंटवारा करना निश्चित रूप से दोनों दलों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।
हरियाणा कांग्रेस में तो दावेदारों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि 90 सीटों वाले इस प्रदेश में 2500 से ज्यादा नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। अगर बीजेपी और कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद बगावत हुई तो इससे इन राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव में नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

अटेली से चाहिए आरती राव को टिकट
अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट की चाहत रखने वाले बीजेपी के नेताओं की बात करें तो गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव को अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसके बाद फरीदाबाद के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी का नाम है।
देवेंद्र चौधरी फरीदाबाद की तिगांव सीट से दावेदारी कर रहे हैं। इसके बाद नाम आता है भिवानी-महेंद्रगढ़ के भाजपा सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह का। चौधरी धर्मबीर सिंह को भी अपने बेटे मोहित चौधरी के लिए सोहना या चरखी दादरी सीट से टिकट चाहिए।
इसके अलावा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए तोशाम विधानसभा सीट से टिकट मांग रही हैं। किरण चौधरी का बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा में जाना लगभग तय है।
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और हरियाणा बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी अपने बेटे आदित्य धनखड़ को झज्जर जिले की बादली विधानसभा सीट से टिकट दिलाना चाहते हैं। कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल हिसार विधानसभा सीट से अपनी मां पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल के लिए टिकट चाहते हैं।

हरियाणा के लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन का सामना करने वाली भाजपा के सामने बड़ी मुश्किल है कि वह इन नेताओं को कैसे मनाए। अगर वह इन नेताओं के बच्चों को टिकट देती है तो परिवारवाद की राजनीति को लेकर जो सवाल उठेंगे, उनका भी उसे जवाब देना है।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल यह है कि वह 2014 में मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री बनने के बाद से इस बात को सार्वजनिक मंचों से कहती आई है कि हरियाणा में उसने परिवारवाद की राजनीति को पूरी तरह खत्म कर दिया है। हरियाणा की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल की अगली पीढ़ियां राजनीति कर रही हैं। लेकिन बीजेपी अगर इन नेताओं के बच्चों को टिकट देती है तो वह कैसे इस बात का दावा करेगी कि वह परिवारवाद की राजनीति नहीं करती।
टिकट देने में यह है मुश्किल
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह स्पष्ट रूप से ऐलान कर चुके हैं कि उनकी बेटी आरती राव इस बार अटेली सीट से चुनाव जरूर लड़ेंगी। वह पहले भी आरती राव के लिए दो बार रेवाड़ी सीट से टिकट मांग चुके हैं लेकिन तब परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए पार्टी ने आरती को टिकट नहीं दिया था।
बीजेपी जानती है कि लोकसभा चुनाव में खराब नतीजों के बाद विधानसभा चुनाव में उसके सामने बड़ी चुनौती है। उसे हर एक सीट पर जीत के लिए कांग्रेस से जबरदस्त लड़ाई लड़नी है। ऐसे में पार्टी को दिग्गज नेताओं को मनाते हुए ही टिकटों का बंटवारा करना होगा क्योंकि इन नेताओं के बच्चों को टिकट देने की वजह से कई जगहों पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटने होंगे तो कई जगहों पर मजबूत दावेदारों को नजरअंदाज करना होगा।
जैसे अगर बीजेपी राव इंद्रजीत सिंह की बेटी को अटेली से टिकट देती है तो उसे पिछला चुनाव जीते सीताराम यादव का टिकट काटना होगा। हिसार से विधायक डॉक्टर कमल गुप्ता राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, ऐसे में सावित्री जिंदल को टिकट दे पाना बेहद मुश्किल होगा।

इसी तरह कृष्ण पाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी को टिकट देने की स्थिति में बीजेपी को पिछला चुनाव जीते राजेश नागर का टिकट काटना होगा। सोहना से चौधरी धर्मबीर सिंह के बेटे को टिकट देने के दबाव में वह कैसे राज्य सरकार में मंत्री संजय सिंह का टिकट काटेगी।
कांग्रेस में भी नेता मांग रहे परिजनों के लिए टिकट
बात अगर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की करें तो यहां भी बड़े नेता अपने बच्चों के लिए टिकट चाहते हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला को कैथल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना चाहते हैं।
हिसार से कांग्रेस के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश अपने बेटे विकास सहारण को कलायत विधानसभा सीट से टिकट दिलाना चाहते हैं। अंबाला से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते वरुण चौधरी अपनी पत्नी पूजा चौधरी को मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
वरूण चौधरी हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद मुलाना के बेटे हैं। इन नेताओं के अलावा राई सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक जय तीर्थ दहिया के बेटे अर्जुन दहिया, पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी, महम से कांग्रेस के पूर्व विधायक आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम सिंह दांगी और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे राव दान सिंह के बेटे अक्षत राव भी विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं।
निश्चित रूप से कांग्रेस अगर इन नेताओं की पसंद को अहमियत देती है तो बाकी दावेदार नाराज होकर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।

कैसे होगा टिकटों का बंटवारा?
बीजेपी की लड़ाई जहां हरियाणा की सत्ता में बने रहने की है, वहीं कांग्रेस का जोर बीजेपी को सत्ता से हटाने पर है। लेकिन दोनों ही राजनीतिक दलों की कामयाबी इस पर निर्भर करेगी कि वे कितने बेहतर ढंग से टिकटों का बंटवारा करते हैं और टिकट न मिलने से होने वाली बगावत से कैसे निपटते हैं। अगर बगावत होती है तो निश्चित रूप से इससे इन दोनों दलों को राजनीतिक नुकसान होगा।