देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा में सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में आ चुकी हैं। राज्य में सरकार चला रही भाजपा एक के बाद ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रही है तो सत्ता में आने को बेकरार कांग्रेस बीजेपी पर वादाखिलाफी, महंगाई, भ्रष्टाचार, अग्निवीर, किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाकर लोगों के बीच में जा रही है।
बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बसपा का गठबंधन भी राज्य की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर चुका है। साढ़े चार साल तक बीजेपी के साथ मिलकर हरियाणा में सरकार चलाने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी अकेले दम पर ही चुनाव मैदान में उतर रही है।
दिल्ली और पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के नेता अपने मुखिया अरविंद केजरीवाल की गैर हाजिरी में लगातार हरियाणा के हलकों में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
कुल मिलाकर हरियाणा का चुनावी माहौल बेहद गर्म है और बीजेपी और कांग्रेस की सीधी लड़ाई वाले चुनावी माहौल में छोटी पार्टियां भी वोटों में सेंध लगाकर चुनाव का गणित बिगाड़ सकती हैं।

बीजेपी को बनानी पड़ी थी गठबंधन सरकार
बीजेपी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को राज्य में पार्टी का चेहरा घोषित कर दिया है जबकि कांग्रेस बिना चेहरे के चुनाव मैदान में उतर रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में ऐसा देखने को मिला था जब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सके थे और बीजेपी को पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने वाली जेजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनानी पड़ी थी। इसके बदले में बीजेपी को जेजेपी के नेता दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री का पद देने के साथ ही दो मंत्री पद भी देने पड़े थे।
हरियाणा में अक्टूबर के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर बीजेपी के प्रचार की कमान संभाल ली है। याद दिलाना होगा कि 2014 में जब हरियाणा में पहली बार बीजेपी की अपने दम पर सरकार बनी थी तब अमित शाह ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। 2019 में भी हरियाणा के चुनाव में उनका काफी दखल रहा था।

बीजेपी ने खेला ओबीसी कार्ड
बीजेपी ने इस साल मार्च में पार्टी नेतृत्व में बड़ा बदलाव करते हुए कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था और ऐसा करके राज्य में पार्टी ने ओबीसी कार्ड खेला था। हरियाणा की राजनीति के जानकारों के मुताबिक, ऐसा करके बीजेपी ने एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को खत्म करने की कोशिश की थी।
हरियाणा की जमीन नाप रहे सैनी
लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को फ्रंट फुट पर खेलने का आदेश दिया है और इसके तहत सैनी लगातार एक के बाद एक बड़े ऐलान कर रहे हैं। सभी फसलों को राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर खरीदे जाने का ऐलान उन्होंने बीते दिन ही किया है। वह उत्तरी हरियाणा से लेकर मध्य हरियाणा और दक्षिण हरियाणा की सियासी जमीन को नाप रहे हैं।
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में मिली जबरदस्त कामयाबी से कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता जोश में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी। हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा निर्विवाद रूप से सबसे बड़े चेहरे हैं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर और सीटें दोनों बढ़ी
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 | 0 | 5 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 | 10 | 5 |
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह को हुड्डा गुट का ही माना जाता है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को उम्मीद है कि हरियाणा में कांग्रेस सरकार बना सकती है लेकिन पार्टी नेताओं की गुटबाजी उसे परेशान कर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की बहू और पूर्व कैबिनेट मंत्री किरण चौधरी के जाने के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ के इलाकों में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। लेकिन सिरसा की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राज्यसभा सदस्य रंजीत सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते कांग्रेस को हरियाणा में टिकट बांटने में काफी सावधानी बरतनी होगी क्योंकि टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में गुटबाजी खुलकर सामने आ सकती है और इसका पार्टी को नुकसान हो सकता है।

हरियाणा मांगे हिसाब अभियान का चेहरा बने दीपेंद्र
भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे और रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा इन दिनों दक्षिणी हरियाणा के दौरे पर हैं। दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। इस अभियान के जरिए दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से बाहर निकले हैं और चुनाव में पार्टी के एक प्रमुख चेहरे के रूप में सामने आए हैं।
हरियाणा में कांग्रेस जहां अकेले चुनाव लड़ रही है, वहीं बीजेपी पूर्व कैबिनेट मंत्री गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के साथ चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुकी है।
पतली है इनेलो की हालत
इनेलो को पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक ही सीट मिली थी। लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को 1.74% वोट मिले और अभय चौटाला कुरुक्षेत्र की सीट से सिर्फ 78708 वोट ही ला सके। इस बार पार्टी बसपा के सहारे चुनाव मैदान में उतरी है। देखना होगा कि क्या इनेलो पिछली बार के खराब प्रदर्शन से आगे बढ़ पाएगी?
गठबंधन टूटने से लगा जेजेपी को झटका
इस साल मार्च में जब बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था तो जेजेपी को इस कदम से बड़ा झटका लगा था लेकिन अब पार्टी अपनी शक्ति जुटाकर चुनाव मैदान में अकेले ही उतर रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस के हरियाणा मांगे हिसाब अभियान पर तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक दलों से हिसाब मांगने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह अपने शासनकाल में किसानों की 73000 वर्ग मीटर जमीन के अधिग्रहण को लेकर कोई जवाब नहीं दे सकी है। दुष्यंत चौटाला का कहना है कि उनकी पार्टी हरियाणा में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
जेजेपी की मुश्किलें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि पार्टी के 6 विधायक बागी हो चुके हैं और कई बड़े नेता पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।
लोकसभा चुनाव में जेजेपी को सिर्फ .87% वोट मिले और सभी 10 लोकसभा सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
इस बीच दुष्यंत चौटाला ने साफ किया है कि अब वह कभी भी बीजेपी के साथ जाने की गलती नहीं करेंगे। जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि जेजेपी के साथ गठबंधन पर पार्टी के अंदर किसी तरह का कोई विचार नहीं हो रहा है। बड़ौली ने कहा कि गोपाल कांडा की हरियाणा लोक हित पार्टी को 1 से 2 सीटें ही दी जा सकती हैं इससे ज्यादा नहीं।
केजरीवाल की गारंटियां बता रहे आप नेता
दिल्ली और पंजाब में बड़े बहुमत के साथ सरकार चला रही आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इन दिनों पूरे हरियाणा का दौरा करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्योंकि जेल में हैं इसलिए उनकी गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और बाकी नेता हरियाणा में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं।
राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पार्टी के कार्यक्रमों में पहुंचकर केजरीवाल की पांच गारंटियों के बारे में लोगों को बता रहे हैं। इन गारंटियों में हर बेरोजगार युवा को रोजगार देने, सभी माताओं-बहनों को हर महीने 1000 रुपए देने, शानदार सरकारी स्कूल बनाने और हर बच्चे को मुफ़्त शिक्षा देने, गांवों और शहरों में मोहल्ला क्लीनिक बनाये जाने और 24 घंटे बिजली और मुफ़्त बिजली देने का वादा किया गया है।
आम आदमी पार्टी की ओर से हरियाणा में लगातार बदलाव रैली की जा रही है।
केजरीवाल मूल रूप से हरियाणा के सिवानी के रहने वाले हैं लेकिन वह जेल में होने की वजह से प्रचार नहीं कर पा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी को ऐसी उम्मीद है कि हरियाणा के दिल्ली और पंजाब से लगते हुए इलाकों में पड़ने वाली विधानसभा सीटों में लोग उसे वोट देंगे इसीलिए पार्टी बार-बार दिल्ली और पंजाब सरकार के कामों को हरियाणा के लोगों को बता रही है। देखना होगा कि इसका पार्टी को कितना फायदा मिलता है?
छोटे दलों को पिछले विधानसभा चुनावों में मिली सीटें
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2009 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट |
कांग्रेस | 40 | 15 | 31 |
बीजेपी | 4 | 47 | 40 |
इनेलो | 31 | 19 | 1 |
जेजेपी | – | – | 10 |
हजकां(बीएल) | 6 | 2 | – |
अन्य | 9 | 7 | 8 |
2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह इनेलो एक बड़ी ताकत बनकर उभरी थी वैसा ही कुछ 2019 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी ने किया था। इस बार के चुनाव में भी ये दल चुनाव मैदान में हैं। अगर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा बाकी दल हरियाणा की राजनीति में 10 से 15 सीटें भी जीत गए तो निश्चित रूप से राज्य में एक बार फिर गठबंधन की सरकार बन सकती है।