हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी लगातार एक के बाद एक नए प्रयोग कर रही है। पार्टी ने चुनाव मैदान में जाने से पहले 6 जिला अध्यक्षों को उनके पद से हटा दिया है। इसके साथ ही चार जिलों के प्रभारियों पर भी कार्रवाई करते हुए उन्हें भी पद मुक्त कर दिया गया है।
पार्टी ने जिन जिलों के अध्यक्षों को हटाया है, उनमें हिसार, जींद, सिरसा, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र और कैथल के जिला अध्यक्ष शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इन सभी नेताओं के खिलाफ पार्टी को भीतरघात की शिकायत मिली थी।
पार्टी की इस कार्रवाई को लोकसभा चुनाव में मिली हार का असर माना जा रहा है। हटाए गए छह जिला अध्यक्षों में से पांच को प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। ऐसा इन नेताओं की नाराजगी को थामने के लिए किया गया है।
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं और अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर अहम नियुक्ति करते हुए ब्राह्मण समुदाय से आने वाले मोहनलाल बडोली को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था और इसके बाद दलित समुदाय से आने वाले कृष्ण बेदी को प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी।
लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद बीजेपी अपनी हार के कारणों पर मंथन करने के साथ ही जरूरी कदम भी उठा रही है। ओबीसी के लिए निर्धारित क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने के साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंचायतों और नगर परिषदों में पिछड़े वर्ग का आरक्षण भी बढ़ाया है और कई बड़े ऐलान किये हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
जिला अध्यक्षों के कामकाज पर उठे थे सवाल
लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा में जिला अध्यक्षों के कामकाज पर काफी सवाल उठे थे और यह कहा गया था कि जिला अध्यक्षों ने चुनाव में पार्टी के लिए मन लगाकर काम नहीं किया और इस वजह से पार्टी को कई सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा।
दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कुछ दिनों तक फील गुड महसूस कर रही कांग्रेस फिर से गुटबाजी से परेशान है। प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी की चर्चा को हवा सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा के द्वारा जारी किए गए कांग्रेस संदेश यात्रा के पोस्टर से मिली है।

दिल्ली में हुई बीजेपी की बड़ी बैठक
दिल्ली में हरियाणा के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की बड़ी बैठक हुई है। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली, हरियाणा बीजेपी के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बीजेपी के प्रदेश प्रभारी डॉक्टर सतीश पूनिया, राज्यसभा सांसद और बीजेपी के सह प्रभारी सुरेंद्र नागर राज्यसभा सांसद सुभाष बराला सहित तमाम बड़े नेता शामिल हुए। आने वाले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडोली प्रदेश प्रभारी सतीश पूनिया पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे।
प्रत्याशी चयन का काम होगा शुरू
बीजेपी ने चुनावी तैयारियों को धार देते हुए प्रत्याशियों के चयन का काम भी शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश स्तर के अलावा पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी सभी विधानसभा सीटों के लिए सर्वे करवा रहा है। बताया जा रहा है कि सर्वे से मिले फीडबैक के आधार पर ही पार्टी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के बारे में फैसला करेगी।

जातीय समीकरणों का रखा है ध्यान
जातीय समीकरणों को देखें तो हिसार जिले में ओबीसी वोटर्स को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अशोक सैनी को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। सिरसा जिले में कंबोज बिरादरी के वोटों को देखते हुए शीशपाल कंबोज को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। कुरुक्षेत्र में राजपूत समाज से आने वाले सुशील राणा, जींद में जाट चेहरे तेजेंद्र ढुल और रेवाड़ी में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद को तरजीह देते हुए वंदना पोपली को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।
रेवाड़ी में अब तक जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रीतम चौहान को भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य सुधा यादव का करीबी माना जाता है। लेकिन चुनाव से ऐन पहले संगठन में हुए इस बदलाव में राव इंद्रजीत सिंह की चली है। सुधा यादव इस बार गुरुग्राम लोकसभा सीट से टिकट की दावेदार थीं लेकिन राव इंद्रजीत सिंह को फिर से टिकट मिलने के बाद वह चुनाव प्रचार से लगभग दूर ही रही थीं।
हरियाणा कांग्रेस में नया समीकरण?
अब बात हरियाणा कांग्रेस की करें तो एक ओर रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा भी 27 जुलाई से कांग्रेस संदेश यात्रा निकालने जा रही हैं।
सैलजा खुलकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह पर सवाल उठा चुकी हैं।

सैलजा की यह पदयात्रा हरियाणा के शहरी इलाकों में जाएगी। इस यात्रा का पोस्टर सामने आने के बाद से ही गुटबाजी को हवा मिली है क्योंकि इस पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयपाल सिंह की फोटो नहीं है। साथ ही पोस्टर में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की तस्वीर को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरोधी खेमे का माना जाता है। चौधरी बीरेंद्र सिंह की इस पोस्टर में फोटो आने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या वह भी हुड्डा विरोधी खेमे में शामिल हो गए हैं? हालांकि चौधरी बीरेंद्र सिंह जब लंबे वक्त तक कांग्रेस में थे तब भी उनके हुड्डा के साथ रिश्ते ठीक नहीं थे। इस वजह से चौधरी बीरेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे। लेकिन कुछ महीने पहले ही उन्होंने पार्टी में वापसी की है।

लोकसभा चुनाव में चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार के तत्कालीन सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिला था और यहां से कांग्रेस ने हुड्डा के करीबी जयप्रकाश को उम्मीदवार बनाया था। जयप्रकाश को चुनाव में जीत मिली थी।