बीजेपी कहती है- मोदी है तो मुमकिन है। इसके नेता कहते होंगे- बीजेपी में ये भी मुमकिन है। खास कर वे नेता जो पिछली चुनाव में करीब पांच लाख या उससे भी ज्यादा मार्जिन से जीतने के बावजूद इस बार टिकट नहीं पा सके।
पहले जानिए, लोकसभा चुनाव 2019 में विशाल जीत दर्ज करने वाले किन नेताओं का टिकट बीजेपी ने या तो काट दिया या उन्हें दूसरी जगह लड़ने के लिए भेज दिया।
अब समझिए टिकट कटने के संभावित कारणों को
संजय भाटिया को करनाल में मिली थी सबसे बड़ी जीत
सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा की करनाल सीट की। करनाल सीट से साल 2019 के चुनाव में संजय भाटिया ने देश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उनकी जीत का आंकड़ा 6,56,142 वोटों का रहा था। यह तय माना जा रहा था कि बीजेपी इस बार भी संजय भाटिया को करनाल सीट से चुनाव मैदान में उतारेगी लेकिन अचानक हुए एक सियासी घटनाक्रम में कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया और इसके कुछ दिन बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
स्थानीय मीडिया में आई खबरों की मानें तो साल 2019 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सिफारिश पर ही संजय भाटिया को टिकट दिया गया था। शायद इसीलिए बीजेपी ने खट्टर के लिए ही उनसे उनकी जगह खाली करवाई। ऐसे में असंतोष भड़कने का खतरा भी कम रहा होगा।
संजय भाटिया को हाल ही में पार्टी ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश का सह प्रभारी बनाया है।
बहेरिया की जगह अग्रवाल को उतारा
इस लिस्ट में दूसरा नाम राजस्थान के भीलवाड़ा से 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीते सुभाष चंद्र बहेरिया का है। बहेरिया ने 2019 के चुनाव में 6,12,000 वोटों से जीत दर्ज की थी। मीडिया में आई खबरों की मानें तो पार्टी के कुछ नेता बहेरिया को टिकट देने के खिलाफ थे और कुछ नेताओं ने इस संबंध में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा था। इस बार पार्टी ने उनकी जगह पर दामोदर अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है।
सीट (राज्य) | 2019 में जीते सांसद | जीत का अंतर | 2024 में इन्हें मिला टिकट |
करनाल (हरियाणा) | संजय भाटिया | 6,56,142 | मनोहर लाल खट्टर |
भीलवाड़ा (राजस्थान) | सुभाष चंद्र बहेरिया | 6,12,000 | दामोदर अग्रवाल |
वडोदरा (गुजरात) | रंजन बेन धनंजय भट्ट | 5,89,177 | हेमांग जोशी |
पश्चिमी दिल्ली (दिल्ली) | प्रवेश वर्मा | 5,78,486 | कमलजीत सहरावत |
उत्तर पश्चिमी दिल्ली (दिल्ली) | हंसराज हंस | 5,53,897 | योगेंद्र चंदोलिया |
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) | उदय प्रताप सिंह | 5,53,682 | दर्शन सिंह चौधरी |
राजसमंद (राजस्थान) | दिया कुमारी | 5,51,916 | महिमा विश्वेश्वर सिंह |
सूरत (गुजरात) | दर्शना जरदोश | 5,48,230 | मुकेश दलाल |
विदिशा (मध्य प्रदेश) | रमाकांत भार्गव | 5,03,084 | शिवराज सिंह चौहान |
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) | वीके सिंह | 5,01,500 | अतुल गर्ग |
धनबाद (झारखंड) | पशुपतिनाथ सिंह | 4,86,194 | ढुलू महतो |
रंजन बेन ने दिया व्यक्तिगत कारणों का हवाला
2019 के लोकसभा चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी जीत गुजरात की वडोदरा लोकसभा सीट से रंजन बेन धनंजय भट्ट ने दर्ज की थी। उनकी जीत का आंकड़ा 5,89,177 वोटों का रहा था। पार्टी ने उनके टिकट पर भी कैंची चलते हुए यहां से हेमांग जोशी को उम्मीदवार बनाया है। रंजन बेन धनंजय भट्ट ने कहा था कि वह व्यक्तिगत कारणों के चलते लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहतीं। लेकिन, भाजपा में इस बार कई ऐसे नेता (वी.के. सिंंह, गौतम गंभीर आदि) रहे जिन्होंने सूची जारी होने से ऐन पहले अपनी ओर से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की। साफ है, उन्हें टिकट नहीं मिलना तय था।
प्रवेश वर्मा की जगह कमलजीत सहरावत
इस सूची में एक चौंकाने वाला नाम पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा का भी है। प्रवेश वर्मा ने 2019 के चुनाव में 5,78,486 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार बीजेपी ने इस सीट से कमलजीत सहरावत को उम्मीदवार बनाया है। कमलजीत सहरावत दक्षिणी दिल्ली की मेयर रही हैं और दिल्ली की राजनीति में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं।
मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि वर्मा का टिकट उनकी भड़काऊ बयानबाजी की वजह से काटा गया है। लेकिन इस बात में दम कम ही लगता है, क्योंकि उनके ऐसे बयानों के लिए कभी पार्टी की ओर से सार्वजनिक रूप से उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की गई और न ही उन पर कोई कार्रवाई हुई। उल्टा उन्हें हाल ही में चुनावी लिहाज से अहम राजस्थान का सह प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
हंसराज हंस को पंजाब से टिकट
इसी तरह दिल्ली की एक अन्य सीट उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी ने वर्तमान सांसद हंसराज हंस को इस बार उनके गृह राज्य पंजाब से टिकट दिया है। हंसराज हंस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 5,53,897 वोटों से जीत दर्ज की थी। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर हंसराज हंस के स्थान पर पार्टी ने योगेंद्र चंदोलिया को उम्मीदवार बनाया है।
चंदोलिया उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर रहे हैं और वर्तमान में दिल्ली बीजेपी के महामंत्री हैं। हंसराज हंस के बारे में लंबे वक्त से यह चर्चा थी कि भाजपा उन्हें पंजाब में अपना आधार बढ़ाने के लिए वहां की किसी सीट से चुनाव मैदान में उतारेगी और ऐसा ही हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी पंजाब में अपने सियासी किले को मजबूत करना चाहती है।
हंसराज हंस जाने-माने गायक हैं और उनकी पंजाब के अंदर एक बड़ी फैन फॉलोइंग है। हंसराज हंस के पंजाब से चुनाव लड़ने के कारण बीजेपी को वहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं का बड़े पैमाने पर समर्थन मिल सकता है क्योंकि हंसराज हंस अनुसूचित जाति वर्ग से ही आते हैं। भारत में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता पंजाब में ही हैं। राज्य में इनकी आबादी 32 फीसदी के आसपास है।
उदय प्रताप सिंह बने विधायक
इसी तरह बीजेपी ने होशंगाबाद सीट से उदय प्रताप सिंह को भी टिकट नहीं दिया है। वह पिछली बार 5,53,682 वोटों से जीते थे। इस बार बीजेपी ने वहां से दर्शन सिंह चौधरी को टिकट दिया है।
उदय प्रताप सिंह को पार्टी ने दिसंबर, 2023 के विधानसभा चुनाव में उतारा था और उन्होंने गाडरवारा सीट से जीत हासिल की थी। जीत के बाद उन्हें राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इसलिए, उनका लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना तय ही था।
दर्शना जरदोश को नहीं मिला टिकट
गुजरात की सूरत सीट से पिछली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतीं दर्शना जरदोश को भी इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। दर्शना पिछले चुनाव में 5,48,230 वोटों से जीती थीं और उन्हें मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। इस बार बीजेपी ने इस सीट से मुकेश दलाल को प्रत्याशी बनाया है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ दर्शना जरदोश का सियासी तालमेल ठीक नहीं था। इसके अलावा पार्टी की एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई थी कि दर्शना जरदोश के कामकाज को लेकर सूरत के कपड़ा व्यापारी खुश नहीं थे।
रमाकांत की जगह शिवराज चौहान
मध्य प्रदेश की विदिशा सीट पर पिछली बार 5,53,682 वोटों से जीते रमाकांत भार्गव भी इस बार पार्टी का टिकट हासिल करने से वंचित रह गए। बीजेपी ने यहां से 18 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया है।
दिसंबर 2023 में जब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे तो पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी। उसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि शिवराज सिंह चौहान को पार्टी क्या जिम्मेदारी देगी।
शिवराज सिंह चौहान पांच बार विदिशा सीट से सांसद रह चुके हैं और इसीलिए पार्टी ने उन्हें एक बार फिर इस सीट से उम्मीदवार बनाया है।
वीके सिंह का टिकट क्यों कटा?
2019 के लोकसभा चुनाव में बड़े मार्जिन से जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवारों में से एक नाम गाजियाबाद सीट से जीते पूर्व केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का भी है। वीके सिंह आर्मी चीफ रहे हैं और साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने यहां से बड़ी जीत दर्ज की थी। 2019 के चुनाव में वह 5,01,500 वोटों से जीते थे लेकिन इस बार गाजियाबाद सीट से पार्टी ने स्थानीय विधायक अतुल गर्ग को उम्मीदवार बनाया है।
सरकार की हुई थी किरकिरी
यहां याद दिलाना होगा कि अप्रैल 2021 में जब पूरा देश कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा था। उस वक्त वीके सिंह के एक ट्वीट को लेकर मोदी सरकार की खासी किरकिरी हुई थी। वीके सिंह ने इस ट्वीट में गाजियाबाद के जिलाधिकारी से अपने भाई को कोरोना के इलाज के लिए बेड की जरूरत के बारे में बताया था और लिखा था कि गाजियाबाद में बेड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
चूंकि वीके सिंह भारत सरकार में मंत्री के पद पर हैं और उनका यह कहना कि गाजियाबाद में उनके भाई के लिए बेड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है, इसे विपक्षी दलों ने और मोदी सरकार के तमाम आलोचकों ने मुद्दा बना लिया था और कहा था कि देश में हालात इस कदर खराब हैं कि केंद्रीय मंत्री को तक अपने भाई के लिए जिलाधिकारी से मदद मांगनी पड़ रही है।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि वी.के. सिंह के खिलाफ गाजियाबाद में एंटी इंकम्बेंसी के चलते भी उनका टिकट कटा।
पशुपतिनाथ सिंह की जगह ढुलू महतो
बीजेपी ने 2019 के चुनाव में बड़े मार्जिन से जीते अपने एक और सांसद को इस बार चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया है। इनका नाम पशुपतिनाथ सिंह है। झारखंड के धनबाद से सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव में 4,86,194 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार पार्टी ने उनकी जगह पर ढुलू महतो को उम्मीदवार बनाया है। ढुलू महतो बाघमारा सीट से पार्टी के विधायक हैं।
बताया जाता है कि पशुपतिनाथ सिंह को उनकी बढ़ती उम्र की वजह से इस बार पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने टिकट नहीं दिया है। पशुपति नाथ सिंह की उम्र 74 साल है।
दिया कुमारी बनीं उप मुख्यमंत्री
यहां पर 2019 के चुनाव में राजस्थान की राजसमंद सीट से बड़ी जीत दर्ज करने वालीं दिया कुमारी का भी जिक्र करना जरूरी होगा। दिया कुमारी ने पिछले चुनाव में 5,51,916 वोटों से जीत दर्ज की थी। लेकिन दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजस्थान में सरकार बनाने के बाद दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बना दिया था। इसलिए उनकी जगह पर किसी दूसरे उम्मीदवार को टिकट देना लाजिमी था। पार्टी ने यहां से महिमा विश्वेश्वर सिंह को टिकट दिया है। महिमा विश्वेश्वर सिंह नाथद्वारा सीट से बीजेपी विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ की पत्नी हैं। विश्वराज सिंह मेवाड़ ने बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी को हराया था।