Tej Pratap Yadav Expelled: कभी खुद को कृष्ण, शिव तो कभी अपने भाई को अर्जुन बताने वाले तेज प्रताप यादव की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। हाल के दिनों में एक तस्वीर के कारण लगातार सुर्खियों में रहने वाले तेज प्रताप, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अब सियासी चक्रव्यूह से बाहर निकलने के तरीके तलाश रहे हैं।

पहले महुआ, फिर हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए तेज प्रताप, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से निष्कासित किए जाने के बाद अपने लिए नए राजनीतिक वजूद की तलाश में जुटे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि तेज प्रताप आगामी चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतर सकते हैं या अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं।

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आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप को लेकर शुरू हुआ बवाल सियासत में लगातार चर्चा में है। इस मसले पर राजनीतिक पार्टियां भी लगातार आरजेडी पर हमलावर हैं। हालांकि, पार्टी तेज प्रताप को खुद से अलग कर इस मामले को शांत करने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन परिवार और सियासत दोनों जगह से दूरी बनने के बाद तेज प्रताप के लिए कई चुनौतियां मौजूद हैं। अगर उन पर लग रहे आरोपों का जवाब दें, फिर भी मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं।

परिवार और पार्टी से दूर होने के बाद लगातार सियासी तीर झेल रहे तेज प्रताप अब नई राह तलाश रहे हैं। हालांकि, इस मामले को लेकर कुछ लोगों का दावा है कि यह कोई नया तरीका हो सकता है।

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लालू ने किया पार्टी से बाहर

आरजेडी और परिवार से नाता टूटने के बाद तेज प्रताप के सामने सियासी चक्रव्यूह को तोड़कर आगे बढ़ने की चुनौती है। लालू प्रसाद ने तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया है। आरजेडी से निष्कासित तेज प्रताप हसनपुर से विधायक बनने के बाद बिहार की महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाए गए थे।

साझा हुई तस्वीर के बाद उनके समर्थकों को भी आरजेडी से टिकट मिलने की संभावना नगण्य है, ऐसे में चुनावी मैदान में निर्दलीय या किसी नई पार्टी के बैनर में उतरने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। पहले भी लालू के लाल (तेज प्रताप) ने कई ऐसे काम किए, जिससे आरजेडी की मुश्किलें बढ़ीं थीं।

2017 में बनाया था धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ

अपनी मर्जी से चलने वाले तेज प्रताप अब अस्तित्व के लिए जूझ रहे हैं। तेज प्रताप ने 2017 में धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (डीएसएस) का गठन किया था। इस संगठन को तमाम संगठनों से आगे लेकर चलने का इरादा भी जताया था। आरक्षण के मुद्दे को लेकर आगे बढ़े तेज प्रताप, अब नए बदलते समीकरण को देखते हुए नई सियासी जमीन की तलाश में हैं।

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