लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान का अब तीन चरण ही बाकी है। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (राम विलास) एनडीए की ओर से पांच सीटों पर लड़ रही है। खुद चिराग हाजीपुर से लड़ रहे हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 मई को सभा कर रहे हैं। लेकिन, चिराग के चाचा और एनडीए के सदस्य पशुपति पारस उनके लिए प्रचार नहीं कर रहे हैं। चिराग ने उन्हें जनसत्ता.कॉम के जरिए प्रचार का न्योता भी दे दिया है और साथ में एक सवाल भी पूछा है।
हाजीपुर मेंं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों के बीच चिराग पासवान ने जनसत्ता.कॉम से बातचीत में कहा- मैं आपके माध्यम से उन्हें निमंत्रण देता हूं, पर क्या अगर उनका बेटा चुनाव लड़ रहा होता तो भी वह प्रचार के लिए न्यौता मिलने का इंतजार करते? चिराग ने यह बात पारस के बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही। असल में लोजपा (रामविलास) के लिए प्रचार से दूरी बनाए रखने से जुड़े सवाल पर पारस ने मीडिया से कहा था कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया ही नहीं गया।
बिहार में पांच सीटों पर लड़ रही चिराग की पार्टी
चिराग की पार्टी को एनडीए ने बिहार में पांच सीटें (हाजीपुर, जमुई, खगड़िया, समस्तीपुर, वैशाली) दी हैं। उनसे अलग हुए पशुपति पारस को कोई सीट नहीं मिली। वह खुद हाजीपुर से लड़ना चाहते थे, लेकिन चिराग ने ऐसा नहीं होने दिया। 2019 लोकसभा चुनाव में लोजपा को छह सीटें मिली थीं। पार्टी ने सभी पर जीत हासिल की थी। लेकिन, 2024 चुनाव से पहले लोजपा टूट गई। चिराग के साथ कोई सांसद नहीं रहा।
टिकट बंटवारे के वक़्त किस बात का रखा ख्याल?
चिराग ने इस बार एक सीट कम मिलने को यह कह कर जायज ठहराया कि एक सांसद वाली पार्टी को पांच सीटें मिलीं तो यह पार्टी की पांच गुना तरक्की है। चिराग ने पार्टी और टिकट बंटवारे में परिवारवाद चलाने के आरोप पर कहा कि अंतत: काबिलियत के दम पर ही कोई टिक पाएगा और टिकट बंटवारे के वक्त भी इसी बात का ख्याल रखा गया।

जुमई में चिराग ने अपने बहनोई अरुण भारती को टिकट देने का कारण बताया कि सर्वे के आधार पर उनके जीतने की संभावना सबसे ज्यादा थी और वहां टिकट के दावेदार भी उतने नहीं थे। वहीं, समस्तीपुर में 25 साल की शांभवी को टिकट देने के पीछे उन्होंने दलील दी कि वह युवा और विजन वाली लड़की हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि समस्तीपुर में उन्होंने अपनों से धोखा खाया तो यह सोच कर कि बेटियां धोखा नहीं देतीं, बहन को उतारा।
बता दें कि समस्तीपुर के मौजूदा सांसद प्रिंंस राज और चिराग चचेरे भाई हैं। प्रिंंस अब चिराग के खेमे में नहीं हैं। बता दें कि हाजीपुर एक तरह से राम विलास पासवान की परंपरागत सीट रही है। वह आठ बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। चिराग पासवान पहली बार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। वह अभी जमुई से सांसद हैं।

हाजीपुर से कौन-कौन बना सांसद
रामविलास पासवान के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास भी हाजीपुर से दो बार चुनाव जीते थे। 1957, 1962 और 1967 में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश्वर पटेल को जीत मिली थी।
साल | सांसद |
1957 | राजेश्वर पटेल |
1962 | राजेश्वर पटेल |
1967 | वाल्मीकि चौधरी |
1971 | दिग्विजय नारायण सिंह |
1977 | राम विलास पासवान |
1980 | राम विलास पासवान |
1984 | राम रतन राम |
1989 | राम विलास पासवान |
1991 | राम सुन्दर दास |
1996 | राम विलास पासवान |
1998 | राम विलास पासवान |
1999 | राम विलास पासवान |
2004 | राम विलास पासवान |
2009 | राम सुन्दर दास |
2014 | राम विलास पासवान |
2019 | पशुपति कुमार पारस |