बीजेपी के द्वारा दिलीप जायसवाल को बिहार का अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले से कई लोगों को हैरानी हुई है। दिलीप जायसवाल बिहार की एनडीए सरकार में भूमि और राजस्व मंत्री हैं। लोगों को हैरानी इस बात से हुई थी क्योंकि दिलीप जायसवाल काफी लो प्रोफाइल रहने वाले नेता हैं और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नहीं माना जा रहा था।
इसके अलावा उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बारे में यह कहा जा रहा था कि वह प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए भी तैयार थे लेकिन वह प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते थे।
बीजेपी में कुछ लोगों का कहना है कि सम्राट चौधरी को हटाने और दिलीप जायसवाल को अध्यक्ष पद पर नियुक्त करने का फैसला लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए लिया गया है।
पिछले कुछ सालों में सम्राट चौधरी बिहार बीजेपी के प्रमुख चेहरे के रूप में सामने आए हैं। सम्राट चौधरी को मार्च 2023 में बिहार में विधान परिषद का नेता बनाया गया था और नवंबर 2023 में उन्हें बिहार बीजेपी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी।

जनवरी में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। बीजेपी को ऐसा लगता है कि सम्राट चौधरी एक आक्रामक चेहरे हैं जो नीतीश कुमार के सामने खड़े हो सकते हैं।
महागठबंधन की तरफ चले गए कुशवाहा वोट?
बीजेपी को सम्राट चौधरी से इस बात की भी उम्मीद थी कि वह लव-कुश वोटों को एकजुट कर सकते हैं। लव-कुश का इस्तेमाल ओबीसी की कुर्मी और कुशवाहा (कोईरी) समुदायों के लिए किया जाता है। इन जातियों की बिहार की आबादी में हिस्सेदारी 7% से ज्यादा है।
हालिया लोकसभा चुनाव में राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन ने कुशवाहा समाज के सात उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
एनडीए गठबंधन ने सम्राट चौधरी को बिहार की कुशवाहा बहुल सीटों जैसे- बक्सर, सासाराम, काराकट और औरंगाबाद पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन एनडीए गठबंधन इन सभी सीटों पर चुनाव हार गया। इससे यह संदेश गया है कि कुशवाहा वोट राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन की तरफ शिफ्ट हो गया।
हालांकि यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सम्राट चौधरी प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे लेकिन पार्टी को ऐसा लगता है कि संगठन के लिए जमीन पर काम करने वाले दिलीप जायसवाल जैसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले से उसे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मदद मिलेगी।

बनिया जाति से आते हैं जायसवाल
दिलीप जायसवाल ओबीसी के तहत आने वाली बनिया जाति से आते हैं। वह दो दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। दिलीप जायसवाल किशनगंज जिले से भाजपा के संगठन में आगे बढ़े हैं। वह 2009 में पूर्णिया-अररिया-किशनगंज सीट से एमएलसी बने थे और 2015 और 2021 में भी उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की।
जायसवाल 2004 से बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष हैं। उन्हें इस साल पहली बार एनडीए सरकार में मंत्री बनाया गया।
संगठन के आदमी हैं जायसवाल
दिलीप जायसवाल बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के करीबियों में शुमार थे। जायसवाल की छवि शांत रहकर संगठन का काम करने वाले व्यक्ति की है, जो किशनगंज और सीमांचल के इलाके में पार्टी के कार्यक्रम कर सकता है।

बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बनाए नहीं रखना चाहती थी। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ऊंची जाति के या दलित नेता पर भी पार्टी विचार कर रही थी लेकिन अंत में पार्टी जायसवाल पर आकर रुकी क्योंकि वह संगठन के लिए अच्छे व्यक्ति साबित हो सकते हैं और साथ ही वह ऐसे नेता हैं जिनका नीतीश कुमार के साथ किसी तरह का कोई टकराव भी नहीं होगा।
जायसवाल सिक्किम में बीजेपी के प्रभारी भी हैं और बिहार स्टेट वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाल चुके हैं।