बेगूसराय लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला महागठबंधन की ओर से भाकपा के उम्मीदवार अवधेश राय से है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट तब जबरदस्त चर्चा में आई थी, जब यहां से जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब गिरिराज सिंह ने चार लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
इस बार कन्हैया कुमार उत्तरी-पूर्वी दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।
गिरिराज सिंह जनसत्ता से बातचीत के दौरान कहते हैं कि यहां के चुनाव में विकास ही मुद्दा है। जब उनसे पूछा गया कि 5 साल के कार्यकाल में उन्होंने कौन से विकास कार्य कराए तो गिरिराज सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने बेगूसराय में 50-60 हजार करोड़ के विकास कार्य कराए हैं।
गिरिराज सिंह विकास कार्यों के बारे में पूछने पर एलिवेटेड रोड, गंगा पर पुल बनाने, अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेटर लगाने आदि बातें बताते हैं। हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता की छवि रखने वाले गिरिराज सिंह ने बातचीत के दौरान जनता के मुद्दों को लेकर पूछे जाने पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया।
Giriraj Singh Interview: बीच में ही छोड़ दिया इंटरव्यू
जनसत्ता की ओर से जब रोजगार, विश्वविद्यालय की स्थापना, एयरपोर्ट की मांग, रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं को लेकर उनसे पूछा गया कि उन्होंने पिछले 5 साल में इन मुद्दों को लेकर क्या किया या वे जीते तो 5 साल में क्या करेंगे तो गिरिराज सिंह नाराज हो गए और उन्होंने इंटरव्यू बीच में ही छोड़ दिया।
गिरिराज सिंह कहते हैं कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में बेगूसराय लोकसभा सीट में 200 सड़कें स्वीकृत कराई गई और सांसद बनने पर वह आगे भी विकास कार्य करेंगे। वह विरोधी दलों पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता जात-पात की बात कर रहे हैं। वह कहते हैं कि बेगूसराय में लड़ाई विकास बनाम विनाश की है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह चुनाव को हिंदू-मुस्लिम बनाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार अवधेश कुमार राय भी जातीय गोलबंदी करने में जुटे हैं।

जनता बोली- विकास नहीं हुआ
बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में लोगों से बातचीत के दौरान जनता का कहना है कि यहां विकास नहीं हुआ है। कई लोग बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से नाराज दिखाई देते हैं।
लोगों का कहना है कि जिन कामों को गिरिराज सिंह अपनी उपलब्धि बता रहे हैं, ये काम पिछले सांसद के कार्यकाल में स्वीकृत हो गए थे और अब उन पर काम चल रहा है। लोगों का कहना है कि गिरिराज सिंह इन कामों को अपनी निजी उपलब्धि बता रहे हैं लेकिन इसमें उनकी निजी उपलब्धि जैसा कुछ नहीं है।
बेगूसराय के लोगों का कहना है कि यहां का चुनाव कभी भी हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर नहीं हुआ। लोग कहते हैं कि यह 36 लाख की आबादी के भविष्य का चुनाव है। सुनिए, लोगों ने चुनाव को लेकर क्या कुछ कहा।
बेगूसराय में विश्वविद्यालय बनाने की मांग
लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान बेगूसराय में विश्वविद्यालय बनाने की मांग लगातार उठ रही है। यहां लगभग 1 लाख बच्चे हैं, जिन्हें पढ़ाई के लिए दरभंगा जाना पड़ता है। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान लोगों की ओर से बेगूसराय में विश्वविद्यालय बनाने की मांग को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव यह घोषणा कर चुके हैं कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो बेगूसराय में विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
इसके अलावा बेगूसराय जिले में मेडिकल कॉलेज और एयरपोर्ट की मांग बनाने की मांग भी उठ रही है।
बेगूसराय सीट पहले वामपंथियों का गढ़ मानी जाती थी लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव में यहां लाल रंग के बजाय भगवा रंग चढ़ा है। यानी बीजेपी को जीत मिली है।

Begusarai Lok Sabha Seat: नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे बेगूसराय के सांसद
बेगूसराय से दो बार सांसद बने श्यामनंदन मिश्रा जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में मंत्री थे और उनके संसदीय सचिव भी रहे थे। तारकेश्वरी सिन्हा भी जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल की सदस्य रही थीं। 1980 में बेगूसराय से चुनाव जीतने वालीं कृष्णा शाही ने राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में मानव संसाधन जैसा अहम मंत्रालय संभाला था।
Begusarai Lok Sabha Result: बेगूसराय में कब कौन जीता और कौन हारा
बेगूसराय से अब तक जितने भी सांसद बने हैं, उसमें से सिर्फ दो ही सांसद मूल रूप से बेगूसराय के थे। 1952 में कांग्रेस के उम्मीदवार मथुरा प्रसाद मिश्रा और 2014 में प्रोफेसर भोला सिंह यहां से चुनाव जीते थे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी मूल रूप से बेगूसराय के रहने वाले नहीं हैं।
साल | जीते | हारे |
1952 | मथुरा प्रसाद मिश्रा(कांग्रेस) | – |
1957 | मथुरा प्रसाद मिश्रा(कांग्रेस) | ब्रम्हदेव प्रसाद सिंह(पीएसपी) |
1962 | मथुरा प्रसाद मिश्रा(कांग्रेस) | अख्तर हाशमी(सीपीआई) |
1967 | वाय शर्मा(सीपीआई) | एमपी मिश्रा(कांग्रेस) |
1971 | श्यामनंदन मिश्रा(एनसीओ) | योगेंद्र शर्मा(सीपीआई) |
1977 | श्यामनंदन मिश्रा(बीएलडी) | तारकेश्वरी सिन्हा(कांग्रेस) |
1980 | कृष्णा शाही(कांग्रेस आई) | श्यामनंदन मिश्रा(जनता पार्टी) |
1984 | कृष्णा शाही(कांग्रेस) | कपिल देव सिंह(जनता पार्टी) |
1989 | ललित विजय सिंह(जनता दल) | कृष्णा शाही(कांग्रेस) |
1991 | कृष्णा शाही(कांग्रेस) | राम बदन राय(जनता दल) |
1996 | रमेंद्र कुमार(निर्दलीय) | कृष्णा शाही(कांग्रेस) |
1998 | राजो सिंह(कांग्रेस) | कृष्णा शाही(एसएपी) |
1999 | राजो सिंह(कांग्रेस) | श्याम सुंदर सिंह(जदयू) |
2004 | राजीव रंजन सिंह(जदयू) | कृष्णा शाही(कांग्रेस) |
2009 | मोनाजिर हसन(जदयू) | शत्रुघ्न प्रसाद(सीपीआई) |
2014 | भोला सिंह(भाजपा) | शत्रुघ्न प्रसाद(सीपीआई) |
2019 | गिरिराज सिंह(भाजपा) | कन्हैया कुमार(सीपीआई) |