पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी एक घर को लेकर इन दिनों आमने-सामने हैं। यह घर कोई आम घर नहीं है। यह घर बीनापाणि देवी का है, जिन्हें मतुआ समुदाय की दिवंगत कुलमाता माना जाता है। बीनापाणि देवी को ‘बोरो मां’ कहा जाता है। ‘बोरो मां’ का हिंदी में मतलब होता है बड़ी मां।
रविवार को टीएमसी ने एक वीडियो जारी किया और कहा कि केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर और उनके समर्थक इस घर का ताला तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह घर उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुर नगर में है। शांतनु ठाकुर मतुआ महासंघ के प्रमुख भी हैं।
बीनापाणि देवी की बहू ममता बाला ठाकुर टीएमसी की राज्यसभा सांसद हैं और वह इस घर में रहती हैं। ममता बाला ठाकुर की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में कहा गया है कि बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी शांतुन ठाकुर ने अपने परिवार के सदस्यों और समर्थकों के साथ हथौड़े से वार करके घर का गेट तोड़ दिया और ‘बोरो मां’ के कमरे में जूते पहनकर चले गए।
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शांतनु ठाकुर और ममता बाला ठाकुर के बीच मतुआ महासंघ पर कब्जे के लिए कानूनी लड़ाई भी चल रही है। पुलिस के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में ममता बाला ठाकुर की ओर से कहा गया है कि अगर भाजपा उनके साथ ऐसा कर सकती है तो वह आम लोगों के साथ क्या करेगी।
लेकिन बोंगांव सीट से बीजेपी के सांसद शांतनु ठाकुर ने कहा है कि क्योंकि वह बीनापाणि देवी के पोते हैं इसलिए उनका भी इस घर में रहने का हक है और कोई भी कानून उनसे इस हक को नहीं छीन सकता।
टीएमसी कार्यालय बनाने का आरोप
शांतनु ने कहा, “मैंने ममता बाला ठाकुर से कई बार घर का गेट खोलने के लिए निवेदन किया। जब कोई इस घर में उपद्रवियों को शरण देगा तो मुझे आगे आना ही होगा। ममता बाला ठाकुर ने अवैध रूप से इस पूरी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है और इस घर के एक हिस्से को टीएमसी का कार्यालय बना दिया है।”
टीएमसी के द्वारा X पर पोस्ट किए गए वीडियो में कहा गया है कि बीजेपी की गुंडागर्दी चरम पर है। बोंगांव से हैरान करने वाली तस्वीर सामने आ रही है, जहां पर बीजेपी के उम्मीदवार शांतनु ठाकुर ने अपने गुंडों के साथ हमारी राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर के घर पर हमला किया।
टीएमसी ने कहा है कि शांतनु ठाकुर के साथ मौजूद गुंडों ने अपने हाथों में धारदार हथियार भी लिए थे और उनकी योजना ममता बाला ठाकुर के घर पर हमला करने की थी।
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बीजेपी ने दिया जवाब
इसके जवाब में पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने सवाल किया कि ममता बाला ठाकुर को इस घर में रहने का हक क्यों है और शांतनु ठाकुर को क्यों नहीं है। मजूमदार ने कहा कि इस परिवार के दो हिस्से हैं और इस घर को लेकर कोई पारिवारिक विवाद हो सकता है लेकिन ममता बाला ठाकुर जबरन इस घर पर अपना हक जमाने की कोशिश कर रही हैं। मजूमदार ने कहा कि शांतनु ठाकुर को भी इस घर में रहने का पूरा हक है।
एक दशक पुराना है विवाद
बीनापाणि देवी के पति प्रमाथा रंजन ठाकुर मतुआ समुदाय के संस्थापक हरिश्चंद्र ठाकुर के पड़पोते थे। मार्च 2019 में उनकी मौत के बाद ठाकुर परिवार में विवाद शुरू हो गया और बीते कुछ सालों में यह बहुत बढ़ गया।
प्रभावशाली है मतुआ समुदाय
पश्चिम बंगाल की सियासत में मतुआ समुदाय बेहद प्रभावशाली है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इनकी आबादी 1.75 करोड़ है और इस समुदाय का वोट बोंगांव, बारासात, राणाघाट, कृष्णानगर और कूचबिहार की लोकसभा सीटों पर काफी अहमयित रखता है।
वर्तमान में पश्चिम बंगाल की राजनीति में मतुआ समुदाय भाजपा और तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करता है लेकिन इससे पहले वाम दलों के लोगों को भी इनका वोट मिलता था।
उपचुनाव में टिकट को लेकर विवाद
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के पिता मंजुल कृष्ण ठाकुर पश्चिम बंगाल में पहली बार साल 2011 में बनी टीएमसी की सरकार में मंत्री थे। उनके बड़े भाई कपिल कृष्ण ठाकुर साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बोंगांव सीट से टीएमसी के टिकट पर सांसद बने थे।
लेकिन अक्टूबर 2014 में कपिल कृष्ण ठाकुर की मौत के बाद उनके परिवार में विवाद शुरू हो गया। यह विवाद उनकी पत्नी ममता बाला ठाकुर और मंजुल कृष्ण ठाकुर के बीच शुरू हुआ। मंजुल इस सीट से उपचुनाव में अपने छोटे बेटे सुब्रत को टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन टीएमसी ने यहां से ममता बाला को टिकट दे दिया। इसके बाद ठाकुर परिवार दो फाड़ हो गया और मंजुल कृष्ण ठाकुर और सुब्रत ने बीजेपी का दामन थाम लिया।
तब हुए उपचुनाव में ममता बाला को जीत मिली थी और सुब्रत तीसरे स्थान पर रहे थे। कुछ वक्त बाद मंजुल कृष्ण टीएमसी में वापस लौट आए थे लेकिन वह पार्टी में आगे का रास्ता नहीं तय कर सके।
बीजेपी के टिकट पर जीते शांतनु ठाकुर
साल 2016 के पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जब शांतनु को टिकट नहीं मिला तो वे बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2019 में बीजेपी ने शांतनु को बोंगांव सीट से टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्होंने अपनी चाची ममता बाला को हराया था।
इसके साथ ही शांतनु ठाकुर ने मतुआ महासंघ पर भी अपना नियंत्रण कर लिया। मतुआ महासंघ इस बात का फैसला करता है कि बीनापाणि देवी का ‘सच्चा वशंज’ कौन है और वही इस संगठन का मुखिया होगा।
इसके बाद शांतनु ठाकुर ममता बाला की जगह पर सभाधिपति के पद पर पहुंच गए। ममता बाला का बीनापाणि देवी से कोई भी ब्लड रिलेशन नहीं था और न ही उनकी ओर से इस पद पर चुनाव लड़ने के लिए कोई उत्तराधिकारी था।
टीएमसी-बीजेपी के बीच है मुकाबला
बता दें कि 42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जे के लिए बीजेपी और टीएमसी के बीच 2024 के चुनाव में सीधा मुक़ाबला है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 18 सीटों पर जीत मिली थी जबकि टीएमसी के उम्मीदवार 22 सीटों पर विजयी हुए थे।
2019 में मिला साथ लेकिन 2021 में नहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यह कहा गया था कि मतुआ समुदाय ने बड़े पैमाने पर बीजेपी को वोट दिया था। साल 2021 के विधानसभा चुनाव के बीच में ही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के दौरे पर गए थे, तब वह वहां हरिश्चंद्र ठाकुर के जन्म स्थान ओरकांडी भी गए थे। इस दौरान शांतनु भी उनके साथ बांग्लादेश गए थे।
हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को ऐसी सीटें, जहां पर मतुआ समुदाय की ज्यादा आबादी थी, वहां हार मिली थी। ऐसी विधानसभा सीटें उत्तर 24 परगना और नदिया जिले में हैं।
सीएए कानून का सहारा
मतुआ समुदाय का फिर से समर्थन हासिल करने के लिए बीजेपी के पास केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए सीएए कानून का सहारा है। मतुआ समुदाय में अधिकतर वे लोग हैं जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। ऐसे लोग सीएए कानून के पुरजोर समर्थक रहे हैं और साल 2019 में संसद में जब इससे जुड़े विधेयक को पास किया गया था, तभी से इसे लागू किए जाने की मांग उठाते रहे हैं।