माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की 15 अप्रैल को पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस अतीक और अशरफ को मेडिकल के लिए ले गई थी। दोनों मीडिया से बात कर रहे थे। इसी दौरान तीन शूटर्स ने दोनों को गोली मार दी। अतीक और अशरफ को मारने के लिए शूटर्स ने जिगाना पिस्टल (Zigana Pistol) का इस्तेमाल किया था।
Zigana Pistol भारत में बैन है और चोरी-छिपे अवैध तरीके से बिकता है। अंडरग्राउंड आर्म्स मार्केट में इस पिस्टल की कीमत 6 लाख रुपये के आसपास है। अतीक और अशरफ की हत्या से पहले 13 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने अतीक के बेटे असद और गुलाम को मुठभेड़ में मारा था। ANI के मुताबिक दोनों के पास से दो गन बरामद हुई थी- एक वॉल्थर पी88 (Walther P88) और एक ब्रिटिश बुलडॉग (British Bull Dog)
जिगाना पिस्टल (Zigana Pistol)
जिगाना, सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल है। इसे तुर्की की हथियार बनाने वाली कंपनी TİSAŞ (Trabzon Silah Sanayi AŞ) बनाती है। साल 2001 में पहली बार जिगाना का निर्माण किया गया था। जिगाना पिस्टल, शॉर्ट रिक्वाइल मैकेनिज्म पर ऑपरेट होती है। इस पिस्टल में ऑटोमेटिक फायरिंग पिन ब्लॉक है, जिसकी वजह यह फंसती नहीं है। इसी वजह से यह बदमाशों का पसंदीदा हथियार है।
जिगाना पिस्टल भारत और पाकिस्तान से लेकर एशिया के तमाम मुल्कों के गैंगस्टर के बीच ही पॉपुलर नहीं है, बल्कि पुलिस और मिलिट्री के बीच भी मशहूर है। मलेशिया, तुर्की और फिलीपींस के पुलिस कर्मी इसका इस्तेमाल करते हैं। अमेरिकी कोस्टगार्ड भी लिमिटेड तौर पर इसका यूज करती है।
पाकिस्तान में भारी पैमाने पर अवैध तरीके से जिगाना पिस्टल का निर्माण होता है। हालांकि अतीक अहमद के हत्यारों तक यह पिस्तौल कैसे पहुंची, यह अभी साफ नहीं है। कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह पाकिस्तान के रास्ते आई। जिगाना, अलग-अलग वजन, साईज, बैरल की लंबाई और मैगजीन कैपेसिटी में आती है। अतीक की हत्या में कौन से मॉडल यूज हुआ, यह साफ नहीं है।
वॉल्थर पी88 (Walther P88)
अब बात करें वॉल्थर पी88 (Walther P88) की तो यह एक जर्मन मेड पिस्टल है और जर्मनी की मशहूर कार्ल वॉल्थर (Carl Walther) कंपनी इसे बनाती है। जेम्स बॉन्ड की मशहूर सीरीज में में भी Walther P88 यूज हुई थी। वॉल्थर पी88 का निर्माण साइड हथियार के तौर पर इस्तेमाल के लिए किया गया था और यह जर्मन फोर्सेज द्वारा यूज की जाने वाली Walther P1 का रिप्लेसमेंट थीं। Walther P88 सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल है और रिक्वाइल ऑपरेटेड है।
साल 1988 में पहली बार कॉमर्शियली यूज के लिए उपलब्ध कराई गई थी। तब इस पिस्टल का वजन बहुत ज्यादा था और दाम भी काफी थी। सेफ्टी फीचर को लेकर भी आलोचना हुई थी। शुरुआत में अमेरिकी मिलिट्री इसका इस्तेमाल करना चाह रही थी, लेकिन कई बार ट्रायल में फेल हुई। फिर अमेरिकी मिलिट्री ने इटालियन बरेटा (Italian Beretta) को चुन लिया।
कंपनी ने बाद में इसका एक मोडिफाइड वर्जन P88 कॉम्पैक्ट वर्जन लॉन्च किया, लेकिन इसकी भी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट इतनी थी कि ज्यादा पॉपुलर नहीं हो पाई। बाद में वॉल्थर ने साल 1997 में P88 और 2000 में P88 कॉम्पैक्ट वर्जन का प्रोडक्शन बंद कर दिया।
ब्रिटिश बुलडॉग (The British Bull Dog)
ब्रिटिश बुलडॉग (British Bull Dog) की बात करें तो यह ठोस फ्रेम वाली पॉकेट रिवाल्वर है। जिसे इंग्लैंड की Philip Webley & Son ने 1872 में पेश किया था। 21वीं सदी आते-आते तो यह एंटीक हो चुकी है। जिस वक्त ब्रिटिश बुलडॉग को बनाया गया था, उस समय मंशा यह थी कि पिस्तौल आराम से कोट की पॉकेट में आ जाए।
ब्रिटिश बुलडॉग (British Bull Dog Pistol) का बैरल बहुत छोटा, महज 2.5 इंच का होता है और चेंबर .442 या .450 कार्ट्रेज का होता है। इसमें 5 राउंड का सिलेंडर लगता है। एक जमाने में बुलडॉग ऐसी मशहूर हुई कि हर छोटी बैरल की रिवॉल्वर का नाम इसके नाम पर पड़ गया था। हालांकि असद और गुलाम के पास से जो रिवॉल्वर मिली है वह, ओरिजिनल बुलडॉग है, इस पर भी शक है। संभव है कि बुलडॉग की तरह दिखने वाली छोटी बैरल की कोई और रिवॉल्वर हो।
ब्रिटिश बुलडॉग जिस समय अपने पीक पर थी, उस वक्त अमेरिका और ब्रिटेन में खूब पॉपुलर थी। धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता था। इतिहासकारों के मुताबिक 1876 के मशहूर Battle of Little Bighorn में जनरल जॉर्ज आर्मस्ट्रॉन्ग कस्टर ने यही पिस्तौल यूज की थी। इसके अलावा साल 1881 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जेम्स ए गारफील्ड (James A Garfield) की हत्या में भी ब्रिटिश बुलडॉग यूज हुई थी।