माफिया अतीक अहमद की हत्या का मामला (Atiq Ahmad Murder Case) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एडवोकेट विशाल तिवारी ने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल कर अतीक और उसके भाई अशरफ की जांच कराने की मांग की है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच कराने की अर्जी है। विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश में साल 2017 के बाद हुए 183 एनकाउंटर की जांच की भी मांग की है।

कौन हैं एडवोकेट विशाल तिवारी?

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के मेंबर एडवोकेट विशाल तिवारी (Advocate Vishal Tiwari) करीब एक दशक से वकालत कर रहे हैं। जनहित से जुड़े तमाम मसलों पर PIL फाइल करते रहे हैं। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दाखिल की थी, जो खासी चर्चित हुई थी।

इस पीआईएल में उन्होंने आर्थिक राहत की मांग की थी और कहा था कि कोरोना के चलते महंगाई से लोगों की कमर टूट गई। ऐसे में ईएमआई से लेकर लोन के ब्याज जैसी चीजों में छूट दी जाए। तब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि आर्थिक मामले केंद्र के अंतर्गत आते हैं, अर्जी डिस्पोज कर दी थी। बाद में उन्होंने पीएम को भी खत लिखा।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर भी गए थे सुप्रीम कोर्ट

एडवोकेट विशाल तिवारी हाल ही में अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर भी चर्चा में रहे थे। इस मामले में भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर पारदर्शी तरीके से जांच की मांग करते हुए रिटायर्ड जज के नेतृत्व में कमेटी बनाने की मांग की थी। एडवोकेट विशाल तिवारी ने अपनी पीआईएल में दावा किया था कि केंद्र सरकार ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस रिपोर्ट का देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

उन्होंने अपनी याचिका में सेबी का जिक्र करते हुए कहा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के चलते हजारों इन्वेस्टर के लाखों रुपए डूब गए, इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जबकि, सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है।

Menstrual Leave पर भी दायर की थी PIL

एडवोकेट विशाल तिवारी की एक और PIL खासी चर्चा में रही। कुछ वक्त पहले ही उन्होंने महिलाओं को मेंस्ट्रूअल लीव (Menstrual Leave) देने की मांग उठाई थी और अपनी PIL में कहा था कि यह महिलाओं का अधिकार है। एडवोकेट तिवारी ने अपनी याचिका में कई कंपनियों का उदाहरण देते हुए बताया था कि वहां माहवारी के दिनों में महिलाओं को छुट्टी मिलती है, इसलिए इस पर एक यूनिफार्म नियम बनाया जाना चाहिए।

अतीक मर्डर केस से जुड़ी PIL में क्या दलील?

अतीक अहमद मर्डर केस से जुड़ी अपनी याचिका में एडवोकेट विशाल तिवारी ने विकास दुबे एनकाउंटर केस का भी जिक्र किया है और इसकी सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस तरीके के एक्शन कानून से चलने वाले किसी लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं। किसी लोकतांत्रिक सोसाइटी में पुलिस को न्याय का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। दंड का अधिकार सिर्फ न्यायपालिका के पास है।

एडवोकेट तिवारी ने अपनी याचिका में पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पुलिस कस्टडी में किसी आरोपी की हत्या सिस्टम की नाकामी दिखाता है। अतीक अहमद मर्डर केस के दो पहलू हो सकते हैं। या तो अतीक की हत्या किसी दूसरे गैंगस्टर या ग्रुप ने की या सिस्टम की साजिश का नतीजा है। ऐसे में पारदर्शी तरीके से जांच जरूरी है।