पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों ने बीजेपी ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टी के नेताओं को भी प्रेरित किया है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जिस तरह महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सरकार चलाई, उनका जिक्र आज भी किया जाता है। उनका यही अंदाज उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाता है और यही कारण है कि भारत ही नहीं विदेशों में भी उनके कार्यों को सराहना मिली।
अटल जी एक समय पर सिर्फ एक ही काम पर फोकस करते थे और विवादास्पद मुद्दों को जिस तरह हैंडल करते थे वो शायद ही कोई और कर पाए। द इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने उनको याद करते हुए कुछ ऐसे किस्से साझा किए हैं जिनके बारे में शायद ही लोगों को पता नहीं होगा।
अरुण शौरी अटल सरकार में मंत्री थे। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि अटल जी के पास विवादास्पद मुद्दों से निपटने का एक तरीका था। उन्होंने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए बताया कि नॉन-एलाइंड मूवमेंट (Non-Aligned Movement) सम्मेलन की एक बात मुझे याद है जब पूर्व प्रधानमंत्री ने अयोध्या को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब इस अंदाज में दिया कि मीडिया चुप हो गई। शौरी ने बताया कि मुझे याद है कुआला लंपुर में सम्मेलन के लिए हम श्रीलंका के दौरे पर थे। उस वक्त एक प्रेस कांफ्रेंस में किसी ने उनसे विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर अयोध्या में शिला पूजा को लेकर टिप्पणी करने को कहा तो अटल जी बोले- अयोध्या वालों से हम दिल्ली जाकर मिलेंगे, अभी तो हम लंका वालों से मिलने जा रहे हैं। इस तरह उन्होंने बड़े आराम से मुद्दे को टाल दिया।
जब तक पार्टी में रहा अटल जी और अपने काम पर फोकस किया
उनसे सवाल पूछा गया कि क्या उन्हें बीजेपी में शामिल होने पर कोई पछतावा हुआ, तो शौरी बोले जब तक अटल जी पार्टी में थे तब तक तो नहीं। उनसे पूछा गया कि जो कुछ भी बीजेपी में आज हो रहा है क्या उस वक्त भी ऐसी ही स्थिति थी? इस पर शौरी ने कहा कि मेरा फोकस हमेशा अटल जी और अपने काम पर रहता था। शायद वो मेरी अंधभक्ति थी लेकिन जो भी काम मुझे मिला, उसे पूरी शिद्दत के साथ मैंने किया।