पांच राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) के विधानसभा चुनाव को 2024 के आम चुनाव का सेमीफाइनल बताया जा रहा है। ये आम चुनाव से पहले के आखिरी चुनाव हैं। कई राजनीतिक विशेषज्ञों का यह मानना है कि इन राज्यों के परिणाम से आगामी लोकसभा चुनाव का मिजाज पता चलेगा। इस तर्क में कितना दम है, इसका पता 2018 के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों के विश्लेषण से चलेगा।
क्या 2018 के राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस ने जैसा प्रदर्शन किया था, वैसा ही लोकसभा में देखने को मिला था? क्या मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में भी वही ट्रेंड देखने को मिला था?
बता दें कि राजस्थान में लोकसभा की 25, छत्तीसगढ़ में 11, मध्य प्रदेश में 29 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं। मिजोरम में सिर्फ एक सीट है। यानी सभी पांच राज्यों में लोकसभा की कुल 83 सीटें हैं। इन 83 लोकसभा सीटों में से 78.3 प्रतिशत सिर्फ तीन राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में हैं।
विधानसभा बनाम लोकसभा
2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस राजस्थान की 49.7 प्रतिशत, मध्य प्रदेश की 49.47 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ की 75.6 प्रतिशत सीटें जीती थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हीं राज्यों में कांग्रेस की हालत खराब दिखी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राजस्थान की मात्र 8 प्रतिशत, मध्य प्रदेश की 9.57 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ की 26.67 प्रतिशत सीटें ही जीत पाई थी। सीट शेयर के इस डेटा के आधार यह कहा जा सकता है कि 2023 के विधानसभा चुनावों को 2024 का सेमीफाइनल बताना बहुत सटीक विश्लेषण नहीं है।
हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले यह ट्रेंड देखने को मिलता था कि जो पार्टी इन राज्यों के विधानसभा चुनाव में अच्छा परफॉर्म करती थी, वह लोकसभा में भी अच्छा करती थी। उदाहरण के लिए 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 200 में से 96 सीटों पर जीती थी और भाजपा को 78 पर संतुष्ट होना पड़ा था। 2009 में लोकसभा चुनाव में राज्य के भीतर कांग्रेस ने यह प्रदर्शन दोहराया। लोकसभा की 25 में से 20 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। भाजपा मात्र चार सीट जीत पाई थी।
वोट शेयर के अंतर से क्या मिलता है संकेत?
सीट शेयर के बाद अब वोट शेयर के आंकड़े भी देख लेते हैं। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस के बीच वोट शेयर का अंतर -0.5 प्रतिशत था। 2019 के लोकसभा में यह बढ़कर 24.16 प्रतिशत हो गया। मध्य प्रदेश की बात करें तो 2018 में वोट शेयर का अंतर 0.13 प्रतिशत था, जो 2019 में 23.46 प्रतिशत हो गया। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर -10.07 प्रतिशत था, जो लोकसभा में 9.76 प्रतिशत हो गया।