यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय (यूसटीएम) आजकल चर्चा में है। यह न‍िजी यून‍िवर्स‍िटी असम से सटे, मेघालय के री-भोई जिले में है। असम के मुख्‍यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस यूनिवर्सिटी का नाम ‘बाढ़ जिहाद’ से जोड़ कर इसे बदनाम करते हुए व‍िवादों में ला द‍िया था। लेक‍िन, इसके कुछ ही द‍िन बाद यून‍िवर्सि‍टी ने बड़ा नाम कमाया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ), 2024 में इस यून‍िवर्स‍िटी का नाम आया है। यूएसटीएम का नाम टॉप 200 विश्वविद्यालयों की सूची में है। इस सूची में जगह बनाने वाली पूर्वोत्तर की यह अकेली प्राइवेट यूनिवर्सिटी है।

जा‍ह‍िर है, ‘बाढ़ ज‍िहाद’ से नाम जोड़े जाने के माहौल में ऐसी उपलब्‍ध‍ि यून‍िवर्स‍िटी की खुशी कई गुना बढ़ाने वाली है। सो, इसका जश्‍न भी हुआ। मंगलवार को यह सम्मान मिलने की खुशी में यूनिवर्सिटी के प्रशासन की ओर से एक समारोह का आयोजन किया गया। इसमें शामिल यूनिवर्सिटी के छात्रों, फैकल्टी और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए यूनिवर्सिटी के चांसलर महबुबुल हक ने कहा,

‘कभी आंख जलने से, ऊपर पानी डालने से, अच्छा लगता है, है ना।’

उनके इतना कहने पर वहां मौजूद सभी छात्रों ने जोरदार तालियां बजाई।

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गुवाहाटी में बाढ़ के लिए यूनिवर्सिटी के चांसलर को ठहराया जिम्मेदार। (Source-ANI)

पिछले हफ्ते असम के मुख्यमंत्री के न‍िशाने पर हक ही थे। संभवत: मुसलमान होने के चलते। हक ने ऑडिटोरियम में मौजूद अपने स्टाफ और छात्रों से कहा,

“मैं राजनीति से पूरी तरह दूर हूं। मैं इस बात को जानता हूं कि मैं एक धार्मिक व्यक्ति की तरह दिखता हूं लेकिन वाकई में मैं सभी धार्मिक गतिविधियों से बहुत दूर रहता हूं और केवल छात्रों का चेहरा देखता हूं। छात्रों ने इस संस्थान को बनाया है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमें अपने सफर के दौरान इस तरह की नकारात्मक बातों का भी सामना करना पड़ेगा।”

कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर से शुरू किया करियर

हक मूल रूप से बंगाली मुस्लिम हैं और असम के करीमगंज जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने अपना करियर मनिपाल ग्रुप के द्वारा चलाए गए एक कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर से शुरू किया था और उसके बाद उन्होंने एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की स्थापना की।

एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से असम और मेघालय में कई संस्थान चलाए जाते हैं। यूएसटीएम की स्थापना 2008 में हुई थी और 2011 से इसने काम करना शुरू किया था। पिछले कुछ सालों में इसने तेजी से तरक्की की है और 2021 में NAAC ने इसे ए ग्रेड की मान्यता दी थी।

लगातार काम करने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में किए गए उनके काम को पहचान मिली। 2022 में उन्हें मेघालय के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने सार्वजनिक सेवा में अपना योगदान देने के लिए राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया था।

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द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हक ने कहा, “क्या पूर्वोत्तर में कोई और यूनिवर्सिटी है जिसे इस रैंकिंग में जगह मिली है। अगर हमने किसी भी तरह पढ़ाई को बाधित किया है तो क्या हमें इस रैंकिंग में जगह मिलती? रैंकिंग किसी एक चीज के लिए नहीं है बल्कि इसमें सभी पैरामीटर शामिल हैं। जैसे – क्वालिटी एजुकेशन, आउटरीच, कोलैबोरेशन, रिसर्च आदि। हमारे पास 150 से ज्यादा पेटेंट हैं।”

मुख्यमंत्री सरमा उनसे नाराज क्यों हैं, इस सवाल के जवाब में हक ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

गुवाहाटी में बाढ़ आने की बात लोगों की अपनी सोच

मुख्यमंत्री सरमा के आरोपों पर उन्होंने कहा कि हमारा कैंपस एक ग्रीन कैंपस है। हमारे पास अपना ड्रेनेज सिस्टम है और एक बड़ा जलाशय भी है जिसमें हम पानी जमा करते हैं। हम बहुत सारे पेड़ लगा रहे हैं और इसके लिए हमें पानी की जरूरत है। अगर कुछ लोग यह कहते हैं कि हमारे इस छोटे से कैंपस की वजह से गुवाहाटी में बाढ़ आ रही है तो यह उनकी सोच है। अगर हमसे कोई गलती हुई है तो हम उसमें सुधार करेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटी धार्मिक गतिविधियों से और राजनीति से पूरी तरह दूर है इसलिए सभी धर्मों और सभी राजनीतिक दलों के लोग हमारे यहां अपने कार्यक्रम आयोजित करते हैं और बहुत सारे कार्यक्रमों में शामिल भी होते हैं।

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बीजेपी को यूपी में हुआ 29 सीटों का नुकसान। (Source-PTI)

दो पूर्व राष्ट्रपति, 700 से ज्यादा कुलपति यूनिर्वसिटी में आए

हक ने बताया कि भारत के दो पूर्व राष्ट्रपति यहां आ चुके हैं। पूर्वोत्तर के सभी राज्यपाल और सभी मुख्यमंत्री हमारी यूनिवर्सिटी में आ चुके हैं। इसके अलावा 700 से ज्यादा कुलपति भी यहां का दौरा कर चुके हैं। हमारे पास पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से छात्र पढ़ने आते हैं।

क्या कहा था सरमा ने?

मुख्यमंत्री सरमा का कहना था कि गुवाहाटी में बाढ़ आने के पीछे वजह पहाड़ी इलाकों में पेड़ों को काटा जाना है और यूएसटीएम यूनिवर्सिटी के मालिक ने जिहाद शुरू कर दिया है। सरमा का कहना था कि हम लोग लैंड जिहाद के बारे में बात करते हैं लेकिन यूनिवर्सिटी के मालिक ने असम के खिलाफ बाढ़ जिहाद शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री का कहना था कि पेड़ों को जानबूझकर काटा गया है वरना पेड़ों और पहाड़ों को बिना काटे हुए भी इमारत खड़ी की जा सकती है।

यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम से भी है सरमा को परेशानी

यूनिवर्सिटी के जिस ऑडिटोरियम में हक स्टूडेंट्स और बाकी लोगों को संबोधित कर रहे थे, वह भी मुख्यमंत्री सरमा के निशाने पर है। मुख्यमंत्री सरमा ने दावा किया था कि वह गुवाहाटी में एक बड़ा हॉल तैयार करवा रहे हैं जिससे किसी को भी यूएसटीएम ना जाना पड़े।

मुख्यमंत्री ने असम के छात्रों और लोगों से कहा था कि वे पढ़ने और काम करने के लिए यूएसटीएम ना जाएं।