AIMIM Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महायुति और महा विकास अघाड़ी (MVA) की सीधी टक्कर के बीच एक बड़ा सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी विपक्षी दलों के वोटों में सेंध लगा देंगे? क्या AIMIM के महाराष्ट्र में चुनाव लड़ने से MVA को बड़ा नुकसान होगा? AIMIM पर यह आरोप लगता है कि वह विपक्ष को मिलने वाले वोटों का बंटवारा करती है और इससे बीजेपी को फायदा होता है। लेकिन ओवैसी इससे इनकार करते हैं।
AIMIM ने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में MVA के साथ गठबंधन करने की पूरी कोशिश की लेकिन यह लगभग तय है कि उसे MVA में शामिल नहीं किया जाएगा।
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महायुति (बीजेपी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी) और MVA (कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना) के बीच जोरदार टक्कर होनी तय है। ऐसे में AIMIM कितनी सीटों पर इस चुनाव में असर कर सकती है इसके लिए पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसके प्रदर्शन को देखना होगा।
2014 में AIMIM ने 22 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, दो पर जीत हासिल की और उसे कुल 0.93% वोट ही मिले। यह दो सीटें औरंगाबाद सेंट्रल और भायखला थीं।
2019 में AIMIM ने 44 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, जिसमें से दो पर जीत हासिल की और कुल 1.34% वोट हासिल किए। तब AIMIM औरंगाबाद सेंट्रल, औरंगाबाद ईस्ट, भायखला और सोलापुर सिटी सेंट्रल में दूसरे स्थान पर रही। इसके अलावा भी AIMIM ने 13 और विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया और यहां पर उसे हार और जीत के अंतर से ज्यादा वोट मिले। इन 13 सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगियों ने सात सीटें जीतीं और छह कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के खाते में गईं।
2019 में वे 13 सीटें जहां AIMIM को जीत-हार के अंतर से ज्यादा वोट मिले
2019 विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों पर AIMIM ने किया शानदार प्रदर्शन
अगर AIMIM ने 2019 के विधानसभा चुनाव की तरह ही प्रदर्शन किया तो निश्चित रूप से चुनाव नतीजों पर इसका असर जरूर हो सकता है। इस बार अजित पवार के महायुति के साथ होने की वजह से बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को भी मुस्लिम वोट मिल सकते हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भी असदुद्दीन ओवैसी और AIMIM की सक्रियता महाराष्ट्र के अंदर बनी हुई है। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला बेहद जबरदस्त है, जहां पर हर एक विधानसभा सीट पर जोरदार लड़ाई होने जा रही है, ऐसे में AIMIM के चुनाव लड़ने से निश्चित रूप से कुछ सीटों पर जीत-हार का समीकरण बदल सकता है।
2014 से महाराष्ट्र में संघर्ष कर रही है AIMIM
AIMIM 2014 से ही महाराष्ट्र में अपनी जमीन बनाने के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। 2014 में दो सीटों पर जीत मिलने के बाद जब पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख इम्तियाज जलील ने 2019 का लोकसभा चुनाव जीत तो वह पहले मुस्लिम नेता थे जिसने पिछले 39 सालों में औरंगाबाद सेंट्रल सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद AIMIM का आधार महाराष्ट्र में लगातार बढ़ता गया खासतौर से तब जब उसने प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ हाथ मिलाया लेकिन बाद में यह गठबंधन टूट गया।
2024 के लोकसभा चुनाव में AIMIM को बड़ा झटका लगा क्योंकि औरंगाबाद सीट पर इम्तियाज जलील को 1.30 लाख वोटों के अंतर से हार मिली। इससे यह संदेश गया कि मुस्लिम मतदाता ऐसे राजनीतिक दलों को वोट देना चाहते हैं जो बीजेपी को हरा सकते हैं।
नांदेड़ उपचुनाव भी लड़ेगी AIMIM
विधानसभा चुनाव के अलावा नांदेड लोकसभा उपचुनाव को लेकर भी MVA और AIMIM के बीच लड़ाई चल रही है। इम्तियाज जलील ने ऐलान किया है कि AIMIM नांदेड लोकसभा का उपचुनाव भी लड़ेगी। यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वसंत राव चव्हाण 2024 के चुनाव में जीते थे। उनकी मौत के बाद यहां उपचुनाव होना है। नांदेड़ संसदीय सीट पर 14% मुस्लिम आबादी है और नांदेड शहर में यह 24% तक है। इस सीट पर भी AIMIM MVA का खेल बिगाड़ सकती है।
AIMIM में चल रही लड़ाई
महाराष्ट्र में AIMIM चुनौतियों से भी जूझ रही है। पार्टी के अंदर लड़ाई चल रही है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष गफ्फार कादरी और मुंबई इकाई के पूर्व अध्यक्ष फैयाज अहमद को साइड लाइन कर दिया गया है। इन दोनों नेताओं को साइड लाइन किए जाने के बाद पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। कादरी सहित कई नेताओं ने आरोप लगाया है कि इम्तियाज जलील का बीजेपी के साथ समझौता हो गया है। उन्होंने यहां तक कहा कि शिवसेना और बीजेपी से पैसा भी लिया गया है और इम्तियाज जलील लंबे समय तक मुस्लिम समुदाय को मूर्ख नहीं बना सकते।