नई संसद का आर्किटेक्चर और नियम न केवल पत्रकारों को सांसदों से अलग करते हैं बल्कि राज्यसभा सांसदों को लोकसभा सांसदों से और पूर्व सांसदों को मौजूदा सांसदों से भी अलग करते हैं। नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल नहीं है, जबकि पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आमतौर पर बैठकें होती थी।

एक अजीब सी बात यह है कि राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों के लिए अलग-अलग कैफेटेरिया हैं।

टीएमसी के एक पूर्व सांसद को संसद की नई इमारत में जाने के लिए जब एक दिन का पास मिला तो उन्हें बताया गया कि वह इस पास के जरिए अपने दोस्तों से मिलने के लिए सांसदों के लॉउंज में नहीं जा सकते।

टीएमसी को नए संसद भवन में एक पार्टी दफ्तर आवंटित किया गया था लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए आपको भुल भुलैया वाले कॉरिडोर से होकर जाना होगा। इसलिए टीएमसी ने अपने दफ्तर को पुराने संसद भवन में ही बनाए रखा है।

अफसरों और एजेंसियों के मीडिया के अलावा फोटोग्राफरों और टीवी पत्रकारों को पहले मकर द्वार के एंट्रेंस के पास खड़े होने की अनुमति थी लेकिन अब उन्हें बिल्डिंग से 20 मीटर से अधिक दूर एक कांच के केबिन में रहना पड़ता है और इस वजह से सांसदों से किसी भी तरह का संपर्क करना लगभग असंभव सा हो गया है।

rahul gandhi hindu
राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी।

राहुल गांधी के नए अवतार से कांग्रेस के हौसले बुलंद

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नए अवतार से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। अपनी कठिन यात्राओं के बाद राहुल गांधी ने कई और समर्थकों को अपनी ओर आकर्षित किया है और इसमें युवा विशेष रूप से शामिल हैं।

एक वक्त था जब राहुल गांधी की टीम के सीनियर पदाधिकारियों को राहुल को रात 10 बजे से सुबह 11 बजे के बीच में उन्हें डिस्टर्ब करने की अनुमति नहीं थी और ऐसा तब भी होता था जब वह उनसे प्रेस में तुरंत दिए जाने वाले किसी बयान के बारे में बातचीत करना चाहते थे।

लेकिन हाल ही में राहुल गांधी का स्टाफ हैरान रह गया जब उन्हें पता लगा कि कांग्रेस नेता ने रात को 1.52 पर ट्वीट किया है। ट्वीट में कहा गया था कि राहुल को ईडी के द्वारा छापेमारी किए जाने का डर है।

Rahul Gandhi
2024 में लगभग दो गुनी हुई हैं कांग्रेस की सीटें। (Source-rahulgandhi/FB)

राहुल गांधी ने जब से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभाला है, कांग्रेस को ऐसा लगता है कि राहुल गांधी पीएम इन वेटिंग हैं और इंडिया गठबंधन को बहुमत मिलने पर वही प्रधानमंत्री पद संभालेंगे।

लेकिन इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दल इसे लेकर एक राय नहीं हैं। ममता बनर्जी संदेह जाहिर कर चुकी हैं लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस बात का संकेत दिया है कि विकल्प अभी भी खुले हुए हैं।

हाल ही में जब अखिलेश से एक टीवी एंकर ने शैडो केबिनेट के लिए संभावित नाम मांगे तो उन्होंने उल्टा पूछ लिया कि शैडो प्रधानमंत्री के प्रस्ताव के बारे में क्या कहना है?