केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों का विपक्ष ने जबरदस्त विरोध किया है। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि कोई मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार या अन्य किसी गंभीर अपराध के मामले में लगातार 30 दिन तक जेल में रहता है तो वह जिस पद पर है, उससे उसकी विदाई हो जाएगी।

विपक्ष का कहना है कि यह संविधान की उस मूल भावना के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि जब तक अपराध साबित नहीं हो जाता, तब तक वह शख्स निर्दोष है। इन विधेयकों को लेकर जोरदार हंगामा हो रहा है।

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विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप

विपक्ष का आरोप है कि 2014 में जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी है, विरोधी दलों के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले 11 सालों में कम से कम 13 ऐसे मामले सामने आए हैं जब सरकार में काम कर रहे मंत्रियों को जांच एजेंसियों ने हिरासत में ले लिया। इनमें से ज्यादातर की गिरफ्तारी ED और CBI ने की। इसमें से PMLA एक्ट के तहत 10 नेताओं की गिरफ्तारी हुई।

ज्यादातर मंत्री 30 दिन से भी ज्यादा वक्त तक जेल में रहे और कुछ अभी भी जेल में हैं। जिन मंत्रियों की पद पर रहते हुए गिरफ्तारियां हुई, उनमें दिल्ली में आम आदमी पार्टी की और पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार के मंत्री ज्यादा हैं। अहम बात यह है कि पिछले 11 साल में बीजेपी या उसके सहयोगी दल के किसी भी मंत्री को भी गिरफ्तार नहीं किया गया।

2014 से अब तक जितने मंत्रियों को दोषी ठहराया गया उसमें से बीजेपी के सिर्फ एक मंत्री राकेश सचान का नाम शामिल है। सचान को साल 2022 में कानपुर की एक सेशन कोर्ट ने दोषी ठहराया था। मौजूदा वक्त में सचान जमानत पर हैं और योगी सरकार में मंत्री हैं। वह एक साल तक जेल में रहे थे। सचान की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

आइए, ऐसे कुछ प्रमुख मामलों पर नजर डालते हैं जिनमें जांच एजेंसियों ने पिछले 11 सालों में पद पर रहते हुए विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार किया है।

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जे. जयललिता, AIADMK

सितंबर 2014 में जयललिता को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री रहते हुए गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी तमिलनाडु विजिलेंस और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग ने की थी। बाद में इस मामले को कर्नाटक लोकायुक्त को सौंप दिया गया।

जयललिता पर 1990 के दशक में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। जयललिता की मौत के बाद उनकी सहयोगी वी. के. शशिकला सहित कुछ और आरोपियों पर 4 साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया गया।

दोषी ठहराए जाने के बाद जयललिता 21 दिन तक बेंगलुरु की जेल में रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी और कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था। इसके बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बनी थीं।

जितेंद्र तोमर, AAP

AAP नेता जितेंद्र तोमर की गिरफ्तारी जून 2015 में हुई थी। तब वह दिल्ली के कानून मंत्री थे। दिल्ली पुलिस ने तोमर को गिरफ्तार किया था। तोमर पर आरोप थ कि उनके पास कानून की फर्जी डिग्री है और यह जालसाजी कर तैयार की गई है। तोमर को जुलाई 2015 में जमानत मिल गई थी। वह डेढ़ माह तक जेल में रहे थे। उन्होंने गिरफ्तारी के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था।

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सत्येंद्र जैन, AAP

AAP नेता सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी मई 2022, में हुई थी और तब वह दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य व लोक निर्माण मंत्री थे। ED ने जैन को गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी PMLA एक्ट के आरोपों में हुई थी। इसमें 7 साल तक की अधिकतम सजा हो सकती है। यह मामला विचाराधीन है। अक्टूबर 2024 में जैन को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई। सत्येंद्र जैन 18 महीने तक जेल में रहे और इसमें से वह 9 माह तक मंत्री पद पर भी रहे।

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मनीष सिसोदिया, AAP

मनीष सिसोदिया को फरवरी 2023 में तब गिरफ्तार किया गया जब वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के पद पर थे। CBI और ED ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। दिल्ली सरकार की आबकारी नीति मामले में PMLA और भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। मामला विचाराधीन है और अगस्त 2024 में सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। वह 17 महीने तक जेल में रहे और गिरफ्तारी के हफ्ते भर बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

अरविंद केजरीवाल, AAP

दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था। केजरीवाल की गिरफ्तारी जांच एजेंसी ED और CBI ने की थी। केजरीवाल पर PMLA और दिल्ली की आबकारी नीति के मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप थे। इस मामले में अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। यह मामला भी विचाराधीन है।

केजरीवाल को सितंबर, 2024 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। केजरीवाल 5 महीने तक जेल में रहे। उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए 15 दिन की अंतरिम जमानत मिली थी।

वी. सेंथिल बालाजी, DMK

बालाजी को तमिलनाडु पुलिस और ED ने जून, 2023 में गिरफ्तार किया था। उस वक्त वह तमिलनाडु की सरकार में बिजली मंत्री थे। बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने 2014 में AIADMK सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले रिश्वत ली थी। उनकी गिरफ्तारी PMLA एक्ट के तहत हुई थी। इसमें अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। मामले की जांच जारी है। वह 15 महीने तक जेल में रहे।

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नवाब मलिक, NCP

नवाब मलिक को फरवरी, 2022 में ED ने गिरफ्तार किया था। उस वक्त वह महा विकास अघाड़ी सरकार में महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री थे। गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़े एक मामले में PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। मामले में जांच जारी है और जुलाई, 2023 में नवाब मलिक को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई। नवाब मलिक को 18 महीने तक जेल में रखा गया।

मदन मित्रा, TMC

मदन मित्रा को दिसंबर 2014 में CBI और ED ने गिरफ्तार किया था। उस वक्त मदन मित्रा बंगाल सरकार में परिवहन मंत्री के पद पर थे। मित्रा की गिरफ्तारी PMLA के तहत सारदा समूह में हुए वित्तीय घोटाले से संबंधित मामले में हुई थी। मामला विचाराधीन है और मित्रा को सितंबर 2016 में जमानत मिल गई थी। मित्रा 20 माह तक जेल में रहे और मंत्री पद पर भी रहे।

फिरहाद हाकिम, TMC

फिरहाद हाकिम को मई 2021 में CBI ने गिरफ्तार किया था। तब वह ममता बनर्जी सरकार में शहरी विकास मंत्री के पद पर थे। हाकिम पर नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में PMLA और भ्रष्टाचार निवारण एक्ट के तहत आरोप हैं। मामला विचाराधीन है। हाकिम को 28 मई, 2021 को जमानत मिल गई थी। वह 12 दिन तक जेल में रहे और मंत्री पद पर बने रहे।

आज की ताजा खबर, हिंदी न्यूज़ 21 अगस्त 2025 LIVE:

सुब्रत मुखर्जी, TMC

मई 2021 में, जब सुब्रत मुखर्जी बंगाल के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री थे, तब जांच एजेंसी CBI ने उन्हें गिरफ्तार किया था। सुब्रत मुखर्जी पर नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में PMLA और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप हैं। सुब्रत मुखर्जी 12 दिन तक जेल में रहे और ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद पर भी बने रहे।

पार्थ चटर्जी, TMC

पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी जुलाई 2022 में हुई थी, उस वक्त वह पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री थे। चटर्जी को ED और CBI ने गिरफ्तार किया था। मामला विचाराधीन है और चटर्जी अभी भी जेल में बंद है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। चटर्जी लगभग 37 महीने तक जेल में रहे।

ज्योतिप्रिय मल्लिक, TMC

ज्योतिप्रिय मल्लिक को ED ने अक्टूबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था। मल्लिक उस वक्त वन मंत्री थे। मामला विचाराधीन है। ज्योतिप्रिय मल्लिक को 16 जनवरी, 2025 को जमानत मिली थी। गिरफ्तारी के एक महीने बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। मामला विचाराधीन है। मल्लिक 14 महीने तक जेल में रहे थे। इस मामले में अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। मल्लिक की गिरफ्तारी राशन घोटाले में PMLA और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत हुई थी।

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