इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रशासन पर तीखी टिप्पणी की है और कहा है कि एक तरफ सरकार ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रही है, दूसरी तरफ पुलिस विभाग अभी भी औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर नहीं निकला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मंजू रानी चौहान (Manju Rani Chauhan) एक महिला की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं। जमानत के विरोध में पुलिस विभाग ने जो काउंटर एफिडेविट दिया था, उसकी भाषा देखकर वह काफी नाराज हो गईं।

क्या है पूरा मामला?

हाईकोर्ट, चंतारा (Chantara) नाम की महिला की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। महिला के खिलाफ दहेज उत्पीड़न से संबंधित धाराओं में केस दर्ज है। 2020 की शुरुआत में भी महिला को कोर्ट से अंतरिम सुरक्षा मिली थी। तब कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को काउंटर एफिडेविट फाइल करने को कहा था।

किस बात पर नाराज हुआ कोर्ट?

Bar&Bench की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नोट किया कि यूपी सरकार की तरफ से जो काउंटर एफिडेविट फाइल किया गया है, उसकी भाषा एक तरीके से बेहद गुस्सैल है और उसमें आरोपी के खिलाफ जो दावे किए गए हैं, न तो उसका कोई आधार है न ही उससे संबंधित कोई दस्तावेज लगाए गए हैं। काउंटर एफिडेविट में सरकार ने लिखा था कि ”लेकिन प्रार्थिनी अभियुक्ता आपराधिक प्रवृत्ति की महिला है…।” हालांकि इससे संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिए।

यूपी सरकार के काउंटर एफिडेविट पर जस्टिस मंजू रानी चौहान (Manju Rani Chauhan) का पारा चढ़ गया। उन्होंने पाया कि सरकारी वकील की तरफ से बिना किसी दस्तावेज के दावे किए गए हैं, और जमानत का विरोध किया गया। अदालत ने कहा कि यूपी सरकार की तरफ से काउंटर एफिडेविट तैयार करने वाले सरकारी वकील आईपीएस राजपूत (IPS Rajpoot) ने महिला को आपराधिक मानसिकता (Criminal Mind) का साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इस दावे के संबंध में कोई दस्तावेज नहीं दिये। कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि काउंटर एफिडेविट के गवाह, जो डीएसपी हैं, उन्हें भी नहीं लगा कि इस एफिडेविट जो दावे किए गए हैं उससे जुड़े दस्तावेज दिये जाएं।

देश ‘अमृतकाल’ मना रहा और…

जस्टिस चौहान ने कहा कि देश आजादी की 75वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, इसे ‘अमृत काल’ नाम दिया है। इसका मकसद नागरिकों का कल्याण है, लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस डिपार्टमेंट अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है और औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर नहीं निकला है। ऐसे में जिन लोगों पर नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उनके ऐसे रवैए से लोगों का सिस्टम पर भरोसा उठता है।

पहले भी दी थी चेतावनी, नहीं मूंद सकते आंखें

कोर्ट ने कहा कि पहले भी सरकारी वकील को काउंटर एफिडेविट फाइल करते वक्त सावधानी बरतने को कहा गया था, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई फायदा नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि इस तरीके के गलत आचरण पर वह अपनी आंखें नहीं मूंद सकता है और संबंधित पुलिस अधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का आदेश भी दिया। कहा कि इस हलफनामे में उन तमाम दावों के दस्तावेज दें, जिसके आधार पर काउंटर एफिडेटिव तैयार किया गया है।