लोकसभा चुनाव 2024 में इंदौर लोकसभा क्षेत्र में आजादी के बाद पहली बार ऐसा होगा क‍ि कांग्रेस चुनाव मैदान में नहीं होगी। वैसे भी 1989 से इंदौर से लगातार भाजपा की ही जीत होती रही है, लेक‍िन इस बार उसके टक्‍कर में भी कोई नहीं होगा। कांग्रेस के उम्मीदवार अक्षय कांति बम नाम वापस लेकर भाजपा में शाम‍िल हो गए हैं। चूंक‍ि वह इंड‍िया गठबंधन के उम्‍मीदवार थे, इसल‍िए कोई और बड़ी पार्टी मैदान में नहीं है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि बम के खिलाफ 17 साल पुराना एक मामला दर्ज था और चार दिन पहले ही इस मामले में हत्या की कोशिश की धारा 307 बढ़ाई गई थी और सोची-समझी साजिश के तहत उनकी घेराबंदी की गई। इस मामले में बम को 10 मई को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था। खुद जीतू पटवारी पर भी 29 अप्रैल को पॉक्‍सो एक्‍ट के तहत एक मुकदमा दर्ज क‍िया गया है। उन पर एक रेप पीड़‍िता की पहचान उजागर करने का आरोप है।

क्या था अक्षय बम का मामला?

अक्षय पर 4 अक्टूबर, 2007 को यूनुस खान नाम के शख्स के साथ जमीन विवाद के दौरान हमला करने, मारपीट और धमकाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। तब पुलिस ने एफआईआर में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी थी।

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बुजुर्ग को आयुष्मान योजना का फॉर्म देते मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा। (Source- VDSharmaBJPMP/FB)

Indore BJP: इंदौर में मजबूत है बीजेपी

इंदौर एसी सीट है जहां पर बीजेपी काफी मजबूत है। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 1989 से लेकर 2014 तक लगातार आठ बार यहां से लोकसभा का चुनाव जीता था। 2019 में पार्टी ने उनकी जगह शंकर लालवानी को उम्मीदवार बनाया और वह भी चुनाव जीते। इस बार भी शंकर लालवानी ही यहां से बीजेपी के उम्मीदवार हैं।

ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस इंदौर में पहले से ही कमजोर थी। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1984 तक कांग्रेस यहां 6 बार जीत हासिल कर चुकी थी लेकिन 1989 में हार का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह 2019 तक जारी रहा और 2024 में तो चुनौती ही समाप्त हो गई।

सालजीते उम्मीदवार का नामकिस राजनीतिक दल को मिली जीत
1952नंदलाल जोशीकांग्रेस
1957कन्हैयालाल खादीवालाकांग्रेस
1962होमी एफ. दाजीनिर्दलीय
1967प्रकाश चंद्र सेठीकांग्रेस
1971प्रकाश चंद्र सेठीकांग्रेस
1972 (उपचुनाव)राम सिंह भाईकांग्रेस
1977कल्याण जैनजनता पार्टी
1980प्रकाश चंद्र सेठीकांग्रेस (आई)
1984प्रकाश चंद्र सेठीकांग्रेस
1989सुमित्रा महाजनबीजेपी
1991सुमित्रा महाजनबीजेपी
1996सुमित्रा महाजनबीजेपी
1998सुमित्रा महाजनबीजेपी
1999सुमित्रा महाजनबीजेपी
2004सुमित्रा महाजनबीजेपी
2009सुमित्रा महाजनबीजेपी
2014सुमित्रा महाजनबीजेपी
2019सुमित्रा महाजनबीजेपी

इस बार अक्षय के अलावा इंदौर सीट से आठ और उम्मीदवारों ने भी अपना पर्चा वापस ले लिया है। अब इंदौर में चुनावी मुकाबले जैसी कोई बात नहीं दिखाई देती।

कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि मध्‍य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इंदौर से ही आते हैं। इससे पहले गुजरात के सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो गया था और ऐसा ही मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर हुआ था। यहां से इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव का पर्चा रद्द हो गया था।

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मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में क्या हैं लोगों की समस्याएं? (Source- Express Photo by Anand Mohan J)

Indore Lok Sabha Seat: सभी व‍िधानसभा सीटों पर जीती थी बीजेपी

इंदौर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इन सभी सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। ये सीटें- देपालपुर, इंदौर-1, इंदौर-2, इंदौर-3, इंदौर-4, इंदौर-5, राऊ और सांवेर (एससी) सीट शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 230 सीटों वाली विधानसभा में 163 सीटों के साथ प्रचंड जीत मिली थी।

इंदौर लोकसभा सीट पर 12.67% मुस्लिम और जैन मतदाता 2.19% हैं। जबकि 17% दलित और 4.8% आदिवासी मतदाता हैं।

यहां सवाल यह है कि क्या अक्षय वास्तव में किसी तरह के दबाव का सामना कर रहे थे, जो उन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने के बाद भी नाम वापस ले लिया।

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नमाज पढ़ते मुसलमान (Express Photo by Kamleshwar Singh)

Indore Congress: बम को संगठन से नहीं मिला सहयोग

अक्षय के नाम वापस लेने को लेकर यह खबर सामने आई है कि उन्हें कांग्रेस की ओर से टिकट तो मिला लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान वैसा सहयोग नहीं मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। यहां बताना जरूरी होगा कि इंदौर में बीते कुछ महीनों में कांग्रेस काफी कमजोर हुई है और पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल सहित कई नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।

इसके अलावा इंदौर कांग्रेस की ओर से यहां पर पार्टी के बड़े नेताओं की चुनावी सभा कराए जाने की मांग की गई थी और इसे देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट यहां आए भी थे लेकिन उनकी जनसभा नहीं हो सकी थी।

चूंकि इस सीट पर बीजेपी बहुत मजबूत है और राजनीतिक हालात कुछ ऐसे हैं कि कांग्रेस यहां लोकसभा चुनाव में काफी कमजोर है। राजनीतिक हालात को देखते हुए और बड़ी हार की आशंका की वजह से अक्षय ने नाम वापस ले लिया।

BJP, Ram, Ayodhya
भाजपा राम के नाम पर वोट मांग रही है, उसका एक उदाहरण ये सोशल मीडिया पोस्ट है। (PC- X)

Akshay Kanti Bam: कौन हैं अक्षय बम?

जैन समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अक्षय कांति बम पेशे से व्यवसायी हैं। उनका परिवार इंदौर में कई महाविद्यालय चलाता है। इंदौर लोकसभा क्षेत्र में जैन समुदाय के करीब दो लाख मतदाता हैं। नामांकन के दौरान दी गई जानकारी के मुताबिक, अक्षय कांति बम के पास 57 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति है। जब उन्होंने नामांकन किया था तो उनकी घड़ी की काफी चर्चा रही थी। इस घड़ी की कीमत करीब 14 लाख रुपए बताई गई है।

अक्षय ने दिसंबर, 2023 में हुए मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी टिकट मांगा था लेकिन तब उन्हें टिकट नहीं मिला था। इस बार जीतू पटवारी की पैरवी से उन्हें टिकट तो मिला लेकिन उन्होंने पार्टी को गच्चा दे दिया।

Begusarai Lok Sabha Election 2024
बेगूसराय से भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह (PC/FB)

Kailash Vijayvargiya BJP: कैलाश विजयवर्गीय ने किया ‘खेला’

इंदौर की राजनीति में इस बात की भी चर्चा है कि मध्य प्रदेश बीजेपी के बड़े नेता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पिछले कुछ दिनों से अक्षय को बीजेपी में लाने की कोशिश में जुटे थे।

कैलाश विजयवर्गीय का इंदौर लोकसभा सीट पर जबरदस्त असर है। वह खुद इंदौर-1 की सीट से विधायक हैं और उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 सीट से विधायक रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय के साथ अक्षय को भाजपा में लाने की इस रणनीति में इंदौर-2 सीट से विधायक राकेश मैंदोला की भी अहम भूमिका रही। मैंदोला भी विजयवर्गीय के करीबी हैं।

बताया जाता है कि कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मैंदोला ने अक्षय को बीजेपी में शामिल करने को लेकर मजबूत प्लानिंग की थी और अंतत: उन्हें सफलता भी मिली।