महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में एनसीपी को मिली हार के 2 महीने बाद पार्टी के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार का रुख बदला हुआ दिख रहा है। महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और ऐसा लगता है कि अजित पवार अब मतदाताओं के साथ तालमेल बैठाने के लिए एक अलग रणनीति अपना रहे हैं।
अजित पवार ने कुछ दिन पहले जब यह कहा था कि उन्होंने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन सुप्रिया के खिलाफ चुनाव लड़ा कर गलती की है तो उनका यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में काफी चर्चा का विषय बन गया था। पवार ने कहा था कि सुनेत्रा को चुनाव लड़ाना एनसीपी के संसदीय बोर्ड का फैसला था और उन्होंने इसे माना था।
सुप्रिया सुले एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की बेटी हैं और लोकसभा चुनाव में उन्होंने सुनेत्रा पवार को बारामती सीट से 1.58 लाख वोटों से हराया था।

एनसीपी में हुई थी बगावत
पिछले साल जुलाई में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी में बगावत हुई थी और पार्टी के कई विधायक अजित के साथ चले गए थे और महाराष्ट्र में चल रही भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। अजित पवार को महायुति सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया गया था।
अजित गुट के निशाने पर रहे थे शरद पवार
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के साथ वॉकयुद्ध में उलझे हुए दिखाई दिए थे और उन्होंने शरद पवार को यह सलाह दी थी कि उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। अजित पवार ने शरद पवार के राजनीतिक जीवन की पुरानी बातों को खंगालने की भी कोशिश की थी। पवार के अलावा एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने भी यह चेतावनी दी थी कि वह एक किताब लिखेंगे और इसके बाद कई छिपे हुए राज सामने आ जाएंगे।
एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने भी शरद पवार से सवाल पूछा था कि आखिर अजित पवार को मुख्यमंत्री बनने का मौका क्यों नहीं दिया गया?
अब कई हफ्तों के बाद अजित पवार को इस बात का एहसास हो गया है कि उनके चाचा के साथ चल रहे उनके विवाद से उन्हें तो किसी तरह का कोई फायदा नहीं हो रहा है बल्कि शरद पवार को मतदाताओं के बीच ज्यादा सहानुभूति मिल रही है।

लोकसभा चुनाव के दौरान पवार परिवार के कई लोग न सिर्फ शरद पवार के साथ खड़े रहे बल्कि उन्होंने बारामती में सुप्रिया सुले के लिए काफी चुनाव प्रचार भी किया। इससे महाराष्ट्र में अजित पवार के बारे में एक गलत धारणा भी बनी और उनकी ऐसी छवि बनी कि वह ऐसे शख्स हैं जिन्होंने पारिवारिक संबंधों को तोड़ दिया है।
लोकसभा चुनाव में लगा महायुति को झटका
लोकसभा चुनाव के नतीजे महाराष्ट्र में महायुति में शामिल बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना के लिए खराब रहे जबकि महा विकास आघाड़ी गठबंधन में शामिल कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) के लिए फायदेमंद रहे।
महायुति में शामिल राजनीतिक दलों में सबसे खराब प्रदर्शन एनसीपी का ही रहा।
48 में से 30 सीटें जीता महा विकास आघाडी
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 9 | 23 |
कांग्रेस | 13 | 1 |
एनसीपी | 1 | 4 |
एनसीपी (शरद चंद्र पवार) | 8 | – |
शिवसेना (यूबीटी) | 9 | – |
शिवसेना | 7 | 18 |
महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े (कुल सीटें- 288)
राजनीतिक दल | मिली सीटें |
बीजेपी | 105 |
कांग्रेस | 44 |
एनसीपी (अविभाजित) | 54 |
शिवसेना (अविभाजित) | 56 |
निर्दलीय | 13 |
अब जब महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं तो ऐसा लगता है कि अजित पवार कुछ सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं।
एनसीपी (एसपी) के एक नेता ने कहा, “हर कोई इस बात को जानता है कि अजित पवार ने शरद पवार को धोखा दिया और वह अपना रास्ता चुन चुके हैं। मतदाताओं ने उनके कदम का समर्थन नहीं किया और ऐसा लोकसभा चुनाव के नतीजे में भी साफ दिखाई दिया है। सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती में अपनी पत्नी को उतार कर उन्होंने गलत किया था, इस बात को स्वीकार करके वह सार्वजनिक रूप से सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहे हैं और लोगों को बहकाने की कोशिश भी कर रहे हैं।”
2013 में विवादित बयान के लिए मांगी थी माफी
2013 में अजित पवार जब कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में उपमुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बांधों को भरे जाने को लेकर विवादित बयान दिया था। अजित पवार ने कहा था कि सूखाग्रस्त क्षेत्र का कोई किसान पिछले 55 दिनों से अनशन कर रहा है, अगर बांध में पानी नहीं है तो हम उसे कैसे छोड़ें। क्या हम उसमें पेशाब कर दें?
अजित पवार के इस बयान के बाद जब विवाद खड़ा हुआ था तो उन्हें न सिर्फ इसके लिए माफी मांगनी पड़ी बल्कि उन्होंने सतारा जिले के कराड में स्थित यशवंत राव चव्हाण समाधि स्थल पर एक दिन का उपवास भी किया था और इसके जरिए पश्चाताप और आत्मनिरीक्षण किया था।

भतीजे से हो सकती है चुनावी लड़ाई
एनसीपी (एसपी) के सूत्रों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव में अजित पवार को बारामती विधानसभा सीट पर अपने भतीजे युगेंद्र पवार के सामने चुनाव लड़ना पड़ सकता है। युगेंद्र पवार शरद पवार के पोते हैं।
अजित पवार 1991 से लगातार सात बार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस लोकसभा चुनाव में युगेंद्र पवार ने सुप्रिया सुले के चुनाव प्रचार में काफी मेहनत की और सुप्रिया सुले ने सुनेत्रा पवार के खिलाफ बड़ी लीड हासिल की थी।
सुप्रिया सुले की जीत से उत्साहित शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के कई कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से कहा है कि वह युगेंद्र पवार को विधानसभा चुनाव में अजित के खिलाफ मैदान में उतारें। इसके बाद से ही इस बात का डर पैदा हो गया है कि पवार परिवार में एक और चुनावी मुकाबला हो सकता है लेकिन अजित पवार ने बारामती से अपनी पत्नी को उतारने को लेकर माफी मांगने के बाद गेंद शरद पवार के खाते में डाल दी है।
शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के एक नेता ने कहा कि अब इस बारे में शरद पवार को फैसला लेना होगा कि क्या वह परिवार के भीतर एक और चुनावी लड़ाई होने की इजाजत देंगे?