पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय गोपीकिशन पीरामल (Ajay Gopikisan Piramal) मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के समधी हैं। उद्योगपति अजय पीरामल के बेटे आनंद पीरामल (Anand Piramal) की शादी मुकेश अंबानी की बेटी ईशा (Isha Ambani) से हुई है। पीरामल समूह का बिजनेस प्रमुख रूप से फार्मास्युटिकल, हेल्थकेयर एनालिटिक्स, रियल एस्टेट, फाइनेंशियल सर्विस और ग्लास पैकेजिंग की क्षेत्र में फैला हुआ है।  

ईशा अंबानी और आनंद पीरामल 50,000 वर्ग फुट में फैले आलीशान घर में रहते हैं। साउथ मुंबई के वर्ली स्थित इस सी-फेसिंग बंगले का नाम ‘गुलिता’ है। इस घर में तीन बेसमेंट हैं। पहले में गार्डन लगा है। दूसरे में स्विमिंग पूल है और तीसरे में पार्किंग की सुविधा है। साल 2012 में अजय पीरामल ने इस प्रॉपर्टी को हिंदुस्तान यूनिलीवर से 452.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। बिजनेस टाइकून ने इस घर को फिर से तैयार करने के लिए लंदन से एक इंजीनियरिंग फर्म को काम पर रखा था।

ढाई खरब रुपये नेटवर्थ

फोर्ब्स के मुताबिक, अजय पीरामल का नेटवर्थ तीन बिलियन डॉलर है, भारतीय करेंसी में 2,45,26,92,00,000 रुपये। वह दुनिया भर के अमीरों की लिस्ट में 1032वें नंबर पर हैं।

अजय पीरामल ने यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से बैचलर ऑफ आर्ट एंड साइंस की पढ़ाई की है और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1977 में 22 साल की उम्र में अपने परिवार के कपड़ा व्यवसाय से की थी। बाद उन्होंने अपने दम पर फार्मा इंडस्ट्री खड़ा किया। पीरामल ने 2010 में अपना सबसे बड़ा सौदा किया जब उन्होंने अपने घरेलू फॉर्मूलेशन बिजनेस को एबट लैब्स (Abbott Labs) को 3.8 अरब डॉलर में बेच दिया।

नवंबर 2020 में पीरामल ने अपने ग्लास मैन्युफैक्चरर ‘पीरामल ग्लास’ को निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन को 1 बिलियन डॉलर में बेच दिया था। 2022 में पीरामल ने अपने पीरामल एंटरप्राइजेज के फार्मा और फाइनेंशियल सर्विस के बिजनेस को अलग कर दिया था। पीरामल की पत्नी स्वाति ग्रुप की वाइस चेयरमैन हैं जबकि उनकी बेटी नंदिनी और बेटे आनंद के पास बोर्ड की सीटें हैं। अजय पीरामल के बड़े भाई दिलीप लीडिंग लगेज मेकर VIP के मालिक हैं।

खानदानी रईस हैं अजय पीरामल

अजय पीरामल खानदानी रईस हैं। अजय के दादा सेठ पीरामल चतुर्भुज मखारिया (1892-1958 ई.) ने जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय के स्वागत के लिए शेखावटी में पीरामल गेट का निर्माण (1928) कराया था। यह परिवार मूलरूप से शेखावटी के मखर गांव से निकला था।

सेठ के स्वागत से खुश होकर जयपुर के महाराजा ने बदले में उन्हें ताज़ीम भेंट की। सेठ की प्रसिद्धि इतनी व्यापक थी कि उनके वंशजों ने उनके उपनाम के रूप में उनके ईसाई नाम ‘पीरामल’ को अपनाया।

पिछली सदी के शुरुआती सालों में सेठ पीरामल चतुर्भुज मखारिया राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के बागड़ से अपनी जेब में 50 रुपये लेकर बंबई (अब मुंबई) पहुंचे। सेठ पीरामल कपास, रेशम, चांदी, अफीम और अन्य वस्तुओं का व्यापार किया और सफल भी हुए। साल 1920 तक में जब वह 28 वर्ष के हुए, उन्होंने मोरारजी मिल्स का अधिग्रहण कर लिया। सेठ पिरामल चतुर्भुज मखारिया का शेखावटी स्थित बंगला, आज राजस्थान की प्रमुख विरासतों में से एक है। 1934 में पीरामल चतुर्भुज ने कपड़ा व्यवसाय की शुरुआत की, जिसे आगे चलकर उनके बेटे ने संभाला।