दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी आम आदमी पार्टी का संकट खत्म नहीं हो रहा है क्योंकि केजरीवाल जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं।

केजरीवाल की जमानत याचिका के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में 17 जुलाई को सुनवाई होनी है।

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ 6 महीने का वक्त ही बचा है। ऐसे में केजरीवाल अगर जल्दी जेल से बाहर नहीं आते हैं तो विधानसभा चुनाव में पार्टी की चुनावी कमान कौन संभालेगा, यह एक बड़ा सवाल है।

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केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत तो निशाने पर आई CBI (सोर्स – PTI/File)

केजरीवाल की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आम आदमी पार्टी और दिल्ली बीजेपी आमने-सामने हैं। आम आदमी पार्टी ने इसे जहां न्याय की जीत बताया है, वहीं दिल्ली बीजेपी ने कहा है कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी सिंह का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली सरकार के कामों को रोकने के लिए एक झूठे मामले में अरविंद केजरीवाल को जेल में डालने की साजिश रची है। आतिशी का कहना है कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि जांच एजेंसी ईडी के पास कोई सबूत नहीं है। जबकि दूसरी ओर दिल्ली बीजेपी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आम आदमी पार्टी के नेताओं को ढंग से पढ़ना चाहिए और आत्म चिंतन करना चाहिए।

केजरीवाल की जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘केजरीवाल को 90 दिनों से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा है। वह एक चुने हुए नेता हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वह अपनी इस भूमिका में रहना चाहते हैं या नहीं।’

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन करेगा आप की अगुवाई? (Source-PTI)
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन करेगा आप की अगुवाई? (Source-PTI)

कोर्ट ने लगाई शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते वक्त कुछ शर्तें भी लगाई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों में कहा है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री के दफ्तर नहीं जा सकेंगे और दिल्ली सचिवालय जाने का भी अधिकार उन्हें नहीं होगा। केजरीवाल तब तक आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक यह जरूरी ना हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक ना हो। अदालत ने कहा है कि केजरीवाल इस मामले में अपनी भूमिका को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

अदालत ने कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री किसी भी गवाह से किसी तरह की बातचीत भी नहीं करेंगे या इस मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक तक भी वह नहीं पहुंचेंगे।

अगर केजरीवाल कुछ दिनों के बाद जेल से बाहर आ भी जाते हैं तो भी उन्हें कई तरह की बंदिशों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वह मुख्यमंत्री की शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे और इससे निश्चित रूप से सरकार का कामकाज प्रभावित होगा।

निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए जिस तरह की शर्तें लगाई हैं, उससे दिल्ली में विपक्ष में बैठी बीजेपी को एक नया हथियार मिला है।

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (PC- FB)

बिजली के दाम बढ़ाने का आरोप

बीजेपी के नेताओं ने दिल्ली में बिजली के दामों में बढ़ोतरी किए जाने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। दिल्ली बीजेपी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने बिजली पर लगने वाली पावर परचेज एडजस्टमेंट कास्ट (पीपीएसी) को बढ़ा दिया है जबकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी पीपीएसी के जरिए बिजली की कीमतें बढ़ाने की बात कह कर दिल्ली के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।

बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार ने 2015 में पीपीएसी का जो रेट 1.7% था उसे बढ़कर 37% कर दिया है इसके जवाब में आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली की बिजली कंपनियों के पास बिजली बिल 2023 के तहत यह प्रावधान था जो उन्हें पीपीएसी को 10% तक बढ़ाने की अनुमति देता है।

मुफ्त बिजली के वादे पर घेर रही बीजेपी

केजरीवाल जब दिल्ली में 2013 में पहली बार जीते थे तो उन्होंने राजधानी के लोगों को एक निश्चित लिमिट तक मुफ्त बिजली और पानी देने का वादा किया था और 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने बिजली और पानी में दी जा रही रियायतों को जारी रखा। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को पिछले दो चुनाव में मिली प्रचंड जीत के पीछे इसे एक बड़ा हथियार माना जाता है लेकिन अब बीजेपी ने बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का आरोप लगाकर केजरीवाल सरकार को घेरने की कोशिश की है।

कथित आबकारी घोटाले के अलावा दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के प्रकरण की वजह से भी आम आदमी पार्टी मुश्किलों का सामना कर रही है।

विभव कुमार की याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के मामले में विभव कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा कि ऐसा अनुमान लगाया जाना ठीक नहीं होगा कि विभव कुमार को गलत ढंग से फंसाया गया। अदालत ने कहा कि विभव कुमार के खिलाफ शिकायत को सिर्फ इस आधार पर दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई है। इस घटना के बाद जो कुछ हुआ है उससे पता चलता है कि शिकायतकर्ता इस हमले के बाद गहरे सदमे में थी।

बताना होगा कि स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाए थे कि विभव कुमार ने उनके साथ अरविंद केजरीवाल के आवास पर ही मारपीट की है। इस मामले में स्वाति ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ही मोर्चा खोला हुआ है और बीजेपी ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया है।

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लोकसभा चुनाव में नहीं खुला खाता, अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान

दिल्ली के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद भी आम आदमी पार्टी को उसके हिस्से में आई चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद भी पार्टी वहां लोकसभा की 13 में से सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत सकी है। अब उसने दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन तोड़ दिया है और वह अकेले ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।

अरविंद केजरीवाल के अलावा पार्टी के दूसरे सबसे बड़े चेहरे और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन भी कथित आबकारी घोटाले के मामले में लंबे वक्त जेल में हैं।

निश्चित रूप से अब जब दिल्ली का विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक है और ऐसे में कथित आबकारी घोटाले, स्वाति मालीवाल प्रकरण और अन्य वजहों से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं।