Yogi Adityanath Photo Controversy: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के फायर ब्रांड चेहरे के रूप में जाना जाता है। न सिर्फ उत्तर भारत बल्कि देश के तमाम हिस्सों में योगी आदित्यनाथ की मांग बीजेपी की ओर से चुनावी रैलियों में स्टार प्रचारक के रूप में होती है। मुख्यमंत्री होने के अलावा योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के महंत भी हैं। लेकिन अब भारत के पड़ोसी मुल्क में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। आइए, आपको समझाते हैं कि पूरा मामला क्या है?

नेपाल में इन दिनों राजशाही की मांग को लेकर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थकों ने आवाज बुलंद की हुई है। रविवार को पूर्व राजा के स्वागत में जब उनके समर्थक काठमांडू में सड़क पर उतरे तो उन्होंने ज्ञानेंद्र शाह के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी हाथों में लिए हुए थे। योगी आदित्यनाथ के इन्हीं पोस्टर्स को लेकर वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आपत्ति जताई है।

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योगी की तस्वीर को लेकर जताई चिंता

नेपाल की वेबसाइट ratopati के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ की तस्वीर पर लिखा था ‘राजतंत्र बहाल करो’। यह तस्वीर जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो इसे लेकर नेपाल में बड़े पैमाने पर चर्चा होने लगी। पहले प्रधानमंत्री ओली के राजनीतिक सलाहकार बिष्णु रिमल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस फोटो को पोस्ट किया और योगी आदित्यनाथ की तस्वीर का नेपाल में इस्तेमाल किए जाने को लेकर चिंता जताई।

इसके बाद खुद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी इस मामले में बयान दिया। ओली ने कहा कि देश में ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए जहां पर विरोध प्रदर्शन के दौरान विदेशी नेताओं की तस्वीरों के इस्तेमाल की जरूरत पड़े। उनका इशारा स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर को लेकर था।

ओली ने कहा कि काठमांडू की रैली में शामिल होने वाले लोग मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय कुछ विवादास्पद शख्सियतों की तस्वीर दिखा रहे थे।

ओली ने की थी योगी के बयान की आलोचना

याद दिलाना होगा कि इससे पहले केपी शर्मा ओली योगी आदित्यनाथ के बयान की आलोचना कर चुके हैं। जून, 2020 में ओली ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान की निंदा की थी जिसमें योगी ने कहा था कि नेपाल को तिब्बत जैसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए।

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योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नेपाल को अपनी राजनीतिक सीमाएं निर्धारित करते समय ‘तिब्बत की गलती नहीं दोहरानी चाहिए’। उन्होंने कहा था, ‘नेपाल को इसके नतीजों के बारे में सोचना चाहिए और याद रखना चाहिए कि तिब्बत के साथ क्या हुआ था।’ योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भारत और नेपाल दो राजनीतिक इकाईयां जरूर हैं लेकिन उनकी आत्मा एक है। उन्होंने कहा था, ‘दोनों देशों के बीच कई सदियों पुराने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक संबंध हैं और नेपाल को इसे याद रखना चाहिए।’

इसके बाद केपी शर्मा ओली ने योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारतीय नेता को सलाह दी जानी चाहिए कि वह “धमकी भरे” बयान न दें। ओली ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ का बयान नेपाल की संप्रभुता को कमजोर करने जैसा है।

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