रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में दो दशक से अधिक के कार्यकाल को सबसे बड़ी चुनौती देते हुए ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन ने बीते हफ्ते अपने लड़ाकों को मास्को की तरफ कूच करने का आदेश दिया था। बाद में प्रीगोझिन ने क्रेमलिन के साथ समझौता कर पीछे हटने और बेलारूस जाने की घोषणा कर दी।

प्रीगोझिन को बेलारूस में निर्वासन में रहना होगा। यह एक ऐसा देश है जहां बागी तेवर उनके अपने वतन (रूस) से भी ज्यादा अस्वीकार्य हैं। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने यह समझौता कराया है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सप्ताहांत की घटनाओं को ‘असाधारण’ करार दिया और कहा कि 16 महीने पहले पुतिन यूक्रेन की राजधानी पर कब्जा करने को तैयार थे और अब उन्हें उस व्यक्ति के नेतृत्व वाली सेनाओं से मास्को की रक्षा करनी पड़ रही है, जो कभी उनका शिष्य था।

ब्लिंकन ने चैनल ‘एनबीसी’ के ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में कहा, ‘मुझे लगता है कि हमने रूस की दीवार में और अधिक दरारें उभरती देखी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि आगे की दशा और दिशा क्या होगी, लेकिन निश्चित रूप से हमारे पास कई सवाल हैं, जिन्हें आने वाले हफ्तों या महीनों में पुतिन को सुलझाना होगा।’

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि 24 घंटे के विद्रोह का यूक्रेन में युद्ध पर कोई असर होगा या नहीं। हालांकि, परिणामस्वरूप रूस के लिए लड़ने वाली कुछ ताकतें युद्ध के मैदान से जरूर हट गई हैं। ‘सीएनए अनुसंधान समूह’ में रूस अध्ययन के निदेशक माइकल काफमैन ने एक पाडकास्ट में कहा, ‘मुझे सच में लगता है कि यूक्रेन के हमले में पिछले तीन हफ्तों में रूस को पहुंचे नुकसान की तुलना में वैग्नर ने शायद पिछले एक दिन में रूस के हवाई बलों को अधिक नुकसान पहुंचाया है।’

यूक्रेन को उम्मीद थी कि रूस की अंदरूनी लड़ाई उनकी सेना को रूस द्वारा कब्जे में लिए गए उसके क्षेत्रों को वापस हासिल करने का मौका देगी।ब्रिटिश सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के पूर्व प्रमुख लार्ड रिचर्ड डैनाट ने कहा, ‘पुतिन और रूसी सेना पर असर पड़ा है और जहां तक यूक्रेन का सवाल है यह (घटनाक्रम) उसके लिए महत्त्वपूर्ण है।

प्रीगोझिन ने बेलारूस जाने के लिए अपने रुख को वापस ले लिया है, लेकिन क्या यह येवगेनी प्रीगोझिन और वैग्नर समूह का अंत है।’ इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रविवार को उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि रूस में शांत पड़ चुके इस विद्रोह ने ‘पुतिन के शासन की कमजोरियों को उजागर किया है।’