क्वाड सम्मेलन के बाद ताइवान को लेकर एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। इस बार चीन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर ताइवान आजादी का ऐलान करता है तो वह युद्ध शुरू कर देगा। शुक्रवार को वू कियान ने लॉयड ऑस्टिन के साथ बैठक के दौरान रक्षा मंत्री वेई फेंघे के हवाले से कहा, अगर किसी ने ताइवान को चीन से अलग करने की कोशिश की तो हम युद्ध शुरू करने में हिचकिचाएंगे नहीं, भले ही कीमत कुछ भी हो।
वू कियान एक चीनी सैन्य अधिकारी हैं। वर्तमान में ये चाइना के रक्षा मंत्रालय में सूचना ब्यूरो के निदेशक और प्रवक्ता हैं। लॉयड ऑस्टिन अमेरिकी रक्षा मंत्री हैं। शुक्रवार को दोनों के बीच हुई आमने-सामने की वार्ता के दौरान वू कियान ने अपने रक्षा मंत्री के हवाले ये चेतावनी दी। दरअसल 10 जून से सिंगापुर में 19वें शांगरी-ला डायलॉग (Shangri-La Dialogue) की शुरुआत हुई है, ये 12 जून तक चलेगा। इस वार्षिक सम्मेलन में 40 से अधिक देशों के अधिकारी और स्कॉलर्स भाग ले रहे हैं। इसी सम्मलेन में ऑस्टिन ने वू कियान के सामने कहा, ‘बीजिंग को ताइवान को अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों से बचना चाहिए’ अमेरिकी रक्षा मंत्री के इसी बयान के बाद चीन की धमकी भरी प्रतिक्रिया आयी।
क्वाड के दौरान भी हुई थी बयानबाजी
अभी ज्यादा नहीं बीते जब क्वाड सम्मेलन में जापानी प्रधानमंत्री के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ‘मिलिट्री एक्शन’ की धमकी दे डाली थी। बाइडन के कहा था, हम वन चाइना नीति को लेकर सहमत हैं। हमने इस नीति पर हस्ताक्षर किया है। लेकिन ताइवान को बलपूर्वक चीन में शामिल नहीं किया जा सकता है। अगर चीन की ओर से ताइवान पर हमला किया जाता है तो अमेरिका मिलिट्री एक्शन लेगा। तब चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था, हम अपने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय एकता के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे।
ताइवान को लेकर क्या है झगड़ा?
1949 में माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) को हरा दिया था। बीजिंग पर CCP का अधिकार हो गया था। कुओमिंतांग के लोगों को भागना पड़ा। ये सभी भागकर पहुंचे दक्षिण पूर्वी चीन के तट से करीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप पर। यही द्वीप ताइवान है। चीन ताइवान को अपना एक प्रांत मानता है। दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। हालांकि दुनियाभर के सिर्फ 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु देश मानते हैं। इन 13 देशों में अमेरिका शामिल नहीं है। लेकिन फिर भी अमेरिका बीच-बीच में ताइवान की तरफदारी करता रहता है। इसका कारण है ताइवान के नजदीक वाले वो द्वीप (गुआम और हवाई) जिन पर अमेरिकी सैन्य ठिकाने हैं।