Bangladesh News: बांग्लादेश में तख्तापलट हुए एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है और अब मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अपनी ही सेना की कार्रवाई पर भड़क गई। बांग्लादेशी सेना ने स्थानीय पुलिस से मिलकर गण अधिकारी परिषद के कार्यकर्ताओं पर उस बड़ा एक्शन लिया है। सरकार और अन्य राजनीतिक दलों ने अपनी ही सेना की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।

बता दें कि गण अधिकार परिषद वही राजनीतिक संगठन है जो कि पिछले साल तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन में शामिल था। बांग्लादेशी सेना ने यह कार्रवाई तब की जब इसके प्रमुख नेता नूरुल हक नूर अपने समर्थकों के साथ शुक्रवार रात पुराना पलटन इलाके में पूर्व राष्ट्रपति एच एम इरशाद की जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए पहुंचे थे।

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सेना ने पुलिस के साथ मिलकर लिया बड़ा एक्शन

सोशल मीडिया पर वीडियो फुटेज और स्थानीय अखबारों की रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस और सेना ने संयुक्त रूप से गण अधिकार कार्यकर्ताओं पर लाठी-डंडे बरसाए, क्योंकि कानून प्रवर्तन बलों द्वारा उन्हें वहां से चले जाने के लिए की गई प्राथमिक अपील कारगर साबित होती नहीं नजर आई। ऐसे में गंभीर रूप से घायल नूर और कई अन्य लोगों का स्थानीय अस्पतालों में इलाज चल रहा है। नूर, वीपी नूर के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि वह ढाका विश्वविद्यालय छात्र संघ (डीयूसीएसयू) के पूर्व उपाध्यक्ष हैं।

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मुहम्मद यूनुस की सरकार ने की निंदा

शनिवार को मुहम्मद यूनुस के नेृत्तव वाली अंतरिम अंतरिम सरकार प्रमुख के कार्यालय ने सेना की इस कार्रवाई को लेकर एक बयान जारी करते हुए निंदा की है। सरकार के बयान में कहा गया, “यह (अंतरिम सरकार) गण अधिकार परिषद के अध्यक्ष और जुलाई विद्रोह के एक प्रमुख नेता तथा लोकतंत्र, न्याय और जनता के अधिकारों के समर्थक नूरुल हक नूर पर हुए क्रूर हमले की कड़ी निंदा करती है।’’

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अपनी ही सेना की कार्रवाई के विरोध में अतरिंम सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘‘हिंसा के ऐसे कृत्य न केवल नूर पर, बल्कि उस लोकतांत्रिक आंदोलन की भावना पर भी हमला हैं जिसने न्याय और जवाबदेही के ऐतिहासिक संघर्ष में पूरे देश को एकजुट किया था।’’ ‘जुलाई विद्रोह’ शब्द का प्रयोग छात्रों के नेतृत्व में हुए विशाल विरोध प्रदर्शनों के लिए किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप शेख हसीना सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। वह 5 अगस्त 2024 को देश से बाहर चली गईं, जिसके तीन दिन बाद यूनुस ने अंतरिम सरकार प्रमुख का पदभार संभाला था।

हिंसा का किया विरोध

बता दें कि अंतरिम सरकार ने वादा किया कि वह इस जघन्य घटना की गहन और निष्पक्ष जांच काफी तत्परता से शुरू करेगी और इसमें संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इससे पहले, सेना ने शुक्रवार रात एक बयान में कहा, ‘‘बांग्लादेश पीपुल्स रिपब्लिक ने सभी प्रकार की भीड़ के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाई है।’’ इसमें कहा गया कि सभी शांतिपूर्ण तरीके आजमाने के बाद, सुरक्षा बलों को सार्वजनिक सुरक्षा के हित में बल प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’

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