पाकिस्तान का आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। कच्चा तेल ना होने से उसकी सबसे बड़ी रिफाइनरी पर पिछले दिनों ताला लगने की खबर आई थी। खाने पीने समेत सभी जरूरी चीजों के दाम में बढ़ोतरी हो गई है। पाकिस्तान को अब इस संकट से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से ही आस लगी है। हालांकि एक बार फिर आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर दिया है। आईएमएफ ने पाकिस्तान के सामने शर्त रख दी है कि अगर उसे मदद चाहिए तो अपने रक्षा बजट में कटौती करनी पड़ेगी। आखिर आईएमएफ पाकिस्तान को कर्ज क्यों नहीं दे रहा है, इसे विस्तार से समझते हैं।

आईएमएफ कैसे करता है काम?

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आईएमएफ (International Monetary Fund) क्या है। आईएमएफ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो अपने सदस्य देशों के आर्थिक विकास, व्यापार को बढ़ावा आदि के लिए काम करता है। जरूरत पड़ने पर यह आर्थिक मदद भी करता है। इसकी स्थापना 1945 में ब्रेटन वुड्स एग्रीमेंट के तहत हुई थी। वर्तमान में दुनिया के 190 देश इसके सदस्य है। वहीं इसका मुख्यालय अमेरिका के वॉशिंगटन में स्थित है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर कर्ज देने की क्षमता रखता है।

वोटिंग से तय होता है किसे मिलेगा लोन?

आईएमएफ आर्थिक संकट में फंसे देशों की मदद करता है। हालांकि इसके लिए सदस्य देशों की सहमति जरूरी है। इसके लिए वोटिंग की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यहां खास बात यह है कि सभी देशों के लिए वोट की कीमत एक समान नहीं होती है। इसके लिए एक कोटा प्रक्रिया का पालन किया जाता है। IMF सदस्य देशों से कोटा और सब्सक्रिप्शन के जरिए पैसे इकट्ठा करता है। अमेरिका आईएमएफ में सबसे ज्यादा पैसे देता है इसलिए उसके वोट की कीमत भी सबसे ज्यादा है।

कैसे तय होती है वोट की कीमत?

आईएमएफ की अपनी एक कृत्रिम मुद्रा है। इसे SDR कहा जाता है। इस मुद्रा को 1969 में बनाया गया था। वोटिंग के समय एक वोट की कीमत करीब 1,00,000 SDR के बराबर होती है। आईएमएफ की वेबसाइट के मुताबिक आईएफएफ 713 अरब एसडीआर के बराबर कर्ज देने की क्षमता रखता है। अब आपके मन में सवाल होगा कि यह कैसे तय होगा कि किस देश के वोट की कीमत कितनी होगी? इसके लिए देश अपने कोटे से एसडीआर को खरीदते हैं। आसान भाषा में समझे तो वह आईएमएफ के लिए फंड देते हैं। जो देश जितना अधिक फंड देगा उसके वोट की कीमत उतनी अधिक होगी। वर्तमान में अमेरिका के पास 82,994 मिलियन एसडीआर हैं। ऐसे में उसके पास 16.50 फीसदी वोटिंग राइट है। भारत के पास 13,114.4 मिलियन एसडीआर हैं और उसके पास 2.64 फीसदी वोटिंग राइट हैं। वहीं पाकिस्तान की बात करें तो उसके पास 2031 मिलियन एसडीआर हैं और उसका वोटिंग राइट मजह 0.43 फीसदी है।