पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी ने देश में नया बवाल शुरू कर दिया है। पाकिस्तान इस समय हिंसा की आग में जल रहा है। इमरान के समर्थक सरकार के खिलाफ काफी गुस्से में हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना के कोर कमांडर के घरों पर हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं। इस बीच इमरान खान ने अपनी जान को खतरे की आशंका जताई है। गिरफ्तारी के बाद बुधवार को उनका पहला बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि 24 घंटे में उन्हें वॉशरूम के लिए भी नहीं जाने दिया गया। इस दौरान, उन्होंने अपने पर्सनल फीजिशियन डॉ फैजल को बुलाने की भी बात कही थी। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि कहीं उन्हें भी मकसूद चपरासी जैसा ट्रटीमेंट ना दिया जाए।
उनके इस बयान के बाद मकसूद चपरासी एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है, जिसकी पिछले साल मौत हो गई थी। मकसूद को पाकिस्तान की जांच एजेंसी ने उस केस में मुख्य गवाह बनाया था, जिसमें पाक पीएम शहबाज शरीफ और उनके खानदान पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। हालांकि, कल ही शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा को नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने इस मामले में क्लीन चिट दे दी है।
कौन था मकसूद चपरासी?
मकसूद चपरासी का नाम मकसूद अहमद था। वह रमजान शुगर मिल में एक चाय वाले और चपरासी के तौर पर काम करता था। फेडरल इनवेस्टिगेश एजेंसी ने मकसूद को शहबाज शरीफ और उनके बेटों समेत 14 लोगों पर चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग केस का मुख्य गवाह बनाया था। जिस मिल में मकसूद काम करता था वह शहबाज शरीफ के बेटों की है। इस मामले की जांच कर रही फेडरल इनवेस्टिगेश एजेंसी को मकसूद के बैंक अकाउंट से तीन अरब पाकिस्तानी रुपये मिले थे। यही वजह है कि पाकिस्तान की सियासत में मकसूद अपनी मौत के बाद भी चर्चाओं में है।
एजेंसी को जांच में यह भी पता चला कि 2018 में यूएई जाने से पहले तक वह 25 हजार रुपये सैलरी पर काम करता था, फिर उसके अकाउंट में इतनी बड़ी रकम कैसे आ गई। इसकी जांच हुई तो पता चला कि उसके नाम पर सात फर्जी बैंक अकाउंट्स खोले गए थे, जिनमें 3 अरब पाकिस्तानी रुपये ट्रांसफर किए गए। हालांकि, पाकिस्तान की सत्ता में इमरान खान के आने से पहले ही मकसूद ने देश छोड़ दिया था।
इसके बाद, मकसूद की पिछले साल 4 जून को यूएई में मौत हो गई थी। उसकी मौत का कोई कारण भी सामने नहीं आया। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में मौत का कारण कार्डियेक अरेस्ट बताया गया। मकसूद की अचानकर मौत पर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने काफी हंगामा मचाया था और स्वतंत्र जांच की मांग की थी। पीटीआई ने सवाल उठाए थे कि आखिर शहबाज शरीफ केस की जांच करने वालों और गवाहों की अचानक मौत क्यों हो रही है। मकसूद से पहले एफआईए की लाहौर यूनिट के डायरेक्टर मुहम्मद रिजवान की मई में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वह शहबाज शरीफ की सरकार बनने से पहले ही लंबी छुट्टियों पर चले गए थे।