उइगुर मुस्लिमों के नेता डोलकुन इसा ने भारत सरकार की ओर से उनका वीजा रद्द किए जाने पर निराशा जताई है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने चीन के साथ रिश्तों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। चीन इसा को आतंकवादी मानता है। सूत्र बताते हैं कि भारत सरकार ने यह कहते हुए ई-वीजा रद्द किया है कि इसा के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है। उन्हें वीजा दिए जाने की खबर को मीडिया में इस रूप में प्रचारित किया गया था कि यह चीन को मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहल को समर्थन नहीं दिए जाने का जवाब है। लेकिन अब वीजा रद्द किए जाने के बाद जानकार इसे दबाव में उठाया गया कदम बता रहे हैं।
डोलकुन इसा वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस (WUC) के एग्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन हैं। वह जर्मनी में रहते हैं।
वह 1997 में जाली पासपोर्ट की मदद से यूरोप भाग गए थे और 2006 में जर्मनी के नागरिक बन गए।
डोलकुन इसा को अमेरिकी संस्था ‘इनीशिएटिव्स फॉर चाइना’ की ओर से धर्मशाला कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए भारत बुलाया गया था।
चीन का कहना है कि उसके यहां मुस्लिम बहुत प्रांत शिनजियांग में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के पीछे वर्ल्ड उइगुर कांग्रेस का ही हाथ है।
1997 से इंटरपोल की लिस्ट में उनका नाम है।
कौन हैं उइगुर मुस्लिम और क्या उनका चीन सरकार से विवाद
चीन के शिनजियांग प्रांत में एक करोड़ उइगुर मुस्लिम रहते हैं। उइगुर तुर्की मूल के हैं।
शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगुर मुस्लिम ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट चला रहे हैं, जिसका मकसद चीन से अलग होना है।
1949 में ईस्ट तुर्किस्तान (अब शिनजियांग) अलग राष्ट्र के तौर पर कुछ समय के लिए पहचान मिली थी, लेकिन उसी साल यह चीन का हिस्सा बन गया।
उइगुर मुसलमान उदार सूफी चिंतन से प्रभावित हैं।
शिनजियांग में हान चीनियों और उइगुरों के बीच कई बार दंगे हो चुके हैं। चीन की कम्युनिस्ट सरकार हान चीनियों को शिनजियांग में रहने के लिए प्रेरित कर रही है, जिससे कि ईस्टर्न तुर्किस्तान मूवमेंट (उइगुरों का आंदोलन) को दबाया जा सके।
2009 में शिनजियांग की राजधानी उरुम्ची में हुए दंगों में 156 उइगुर मुस्लिम मारे गए थे। तुर्की के प्रधानमंत्री ने इसे नरसंहार की संज्ञा दी थी।
चीन के शिनजियांग प्रांत का बॉर्डर आठ देशों के साथ लगता है। इन देशों के नाम हैं- मंगोलिया, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, तजाखस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत। इस प्रांत में उइगुर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं।
सामरिक दृष्टि से शिनजियांग प्रांत बेहद महत्वपूर्ण है। सिल्क रूट का रास्ता भी इसी प्रांत के काशगर से होकर निकलता है, जो कि मध्य एशियाई देशों को जोड़ता है।
बीजिंग और इस्लामाबाद मिलकर काशगर से ग्वादर तक इकनॉमिक कॉरिडोर भी बना रहे हैं।
2000 में हुई जनगणना के मुताबिक, शिनजियांग में 40 प्रतिशत हान चीनियों की जनसंख्या बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है। बहुसंख्यक उइगुर मुस्लिमों के आंदोलन को दबाने के लिए चीन ने यहां बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रखी है।
1990 में सोवियत संघ के पतन के बाद मध्य एशिया में कई मुस्लिम राष्ट्र उभरे, जिन्होंने ईस्टर्न तुर्किस्तान मूवमेंट को सपोर्ट किया।
शिनजियांग प्रांत में रहने वाले हान चीनियों को मजबूत करने के लिए चीन सरकार हर संभव मदद दे रही है। वहीं, उइगुरों को दोयम दर्जे की नौकरियां दी जाती हैं। उइगुर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी कम्युनिस्ट सरकार ने अंकुश लगा रखा है।
2014 में शिनजियांग सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने पर पाबंदी लगा दी थी।
2013 में पुलिस फायरिंग में 27 उइगुरों की हत्या कर दी गई थी। सरकारी मीडिया ने दावा किया था कि भीड़ हथियारों से लैस थी, इसलिए पुलिस को फायर करना पड़ा।
शिनजियांग से पलायन कर बड़ी संख्या में उइगुर मुस्लिम तुर्की में चले गए हैं। जहां से वे ईस्टर्न तुर्किस्तान मूवमेंट को मजबूत कर रहे हैं। इनकी संख्या के बारे में तुर्किस्तान ने कभी कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया, लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, यह करीब 20,000 है।