Axiom 4 Shubhanshu Shukla Space Mission: Axiom-4 मिशन 25 जून को लॉन्च हो गया है। इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। मिशन के सभी अंतरिक्ष यात्री अगले दो हफ्ते तक इंटरनेशल स्पेस स्टेशन में रहेंगे। शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखा है। ऐसे में इसकी क्या खासियत हैं, चलिए इसके बारे में समझते हैं।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन वैश्विक वैज्ञानिक सहयोगों का प्रतीक है, जो कि इंजीनियरिग उत्कृष्टता और पृथ्वी से परे मानवता की उन्नति की खोज का प्रतीक माना जाता है। आईएसएस पृथ्वी की परिक्रमा 28000 किमी प्रति घंटे की गति से चलता है और हर 90 मिनट एक चक्कर पूरा करता है, और पूरे दिन में पृथ्वी के 16 चक्कर लगाता है। इसका मतलब ये कि इस मिशन में शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम कई सनराइज और सनसेट देखेगे।

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क्या है इंटरनेशल स्पेस स्टेशन

असल में ISS पृथ्वी क कक्षा में स्थित है। लगभग 4.2 लाख किलो के वजन वाले ISS में 15 से अधिक दबाव वाले मॉड्यूल हैं, जिन्हें पांच मुख्य देशों की भागीदारी में बनाया गया है। इसमें अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा मुख्य हैं।

आठ बड़े सौर ऊर्जा पैनल और 120 किलोवाट तक बिजली उत्पन्न करते हैं जिसे रिचार्जेबल बैटरियों में स्टोर किया जाता है, इसकी मदद से ही पूरे दिन यह संचालित होते हैं। ये पैनल वैज्ञानिक उपकरणों से लेकर दैनिक चालक दल की जरूरों तक, सभी महत्वपूर्ण ऑक्सीजन उत्पादन प्रणालियों और पर्यावरण नियंत्रकों को भी बिजली देते हैं।

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कितने लोग रह सकते है?

स्पेस स्टेशन छह लोगों के मुख्य चालक दल को सपोर्ट कर सकता है। वहीं एक्सिओम-4 जैसे छोटे मिशन के दौरान ये दस अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को समायोजित कर सता है। जहाज पर जीवन सावधानीपूर्वक विनियमित है। अंतरिक्ष यात्री एक कार्यक्रम का पालन करते हैं, गुरुत्वाकर्षण के ‘कारण मांसपेशियों और हड्डियों के नुकसान का मुकाबला करने के लिए दो घंटे का व्यायाम शामिल है। स्टेशन की सुविधाओं में निजी शयन कक्ष, एक गैलरी, शौचालय है। यहां संचार में देरी न्यूनतम है। इसके चलते मिशन कंट्रोल और अपने करीबियों के साथ लगभग वास्तविक समय में बातचीत करना संभव हो जाता है।

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आईएसएस सिर्फ़ एक घर नहीं है। यह पथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में सबसे उन्नत अनुसंधान प्रयोगशाला है। इस पर किए गए प्रयोग सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण भौतिकी, जीवन विज्ञान, जेव प्रोद्योगिकी, पृथ्वी अवतोकन और यहां तक कि अंतरिक्ष कृषि से संबंधित हैं। उल्लेखनीय जांचों में कपोला मॉड्यूल शामिल है। अपनी सात खिड़कियों के साथ, मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के शानदार मनोरम दृश्य प्रदान करता है।

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कैसे पहुंचते हैं स्पेस स्टेशन

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक परिवहन अब कई अंतरिक्ष यानों के बीच साझा किया जाता है। कार्गों मिशन के दौरान खाना, पानी, वैज्ञानिक उपकर और स्पेयर पार्टस की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण डरैगन, सिग्नस, एचटीवी और बहुत जल्द, ड्रीम चेज़र जैसे अंतरिक्ष यान भी हैं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कम से कम 2030 तक चलने की उम्मीद है।

आईएसएस अंततः एक्सिओम स्टेशन, स्टारलैब और अन्य जैसे वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए रास्ता देगा। नासा और रोस्कोस्मोस द्वारा प्रबंधित एक नियंत्रित डीऑर्बिट की योजना बनाई गई है, ताकि दशकों से परिक्रमा कर रहे इस प्रयोगशाला के मिशन का सुरक्षित अंत सुनिश्चित किया जा सके।

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