What is Trump tariff plan: डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद विदेशी सामानों पर कड़े टैरिफ़ लगाने की बात कही है। उनका कहना है कि जब तक कनाडा और मैक्सिको अवैध प्रवासियों और घातक फेंटानिल ड्रग को अमेरिका में आने से नहीं रोकते, तब तक वह इन दोनों देशों से आयातित सामानों पर 25% टैरिफ़ लगाएंगे। इसके अलावा उन्होंने चीन से आयात पर 10% अतिरिक्त टैरिफ़ और यूरोपीय संघ के देशों पर भी टैरिफ़ लगाने की धमकी दी है।

टैरिफ क्या है और इसका असर कैसे पड़ता है?

टैरिफ किसी देश से आयात किए गए उत्पादों पर लगाया जाने वाला कर है। इसे आमतौर पर आयात करने वाली कंपनियों पर लगाया जाता है। जैसे अगर किसी कंपनी ने 50,000 डॉलर की कार आयात की है और उस पर 25% टैरिफ़ लगाया गया है, तो कंपनी को 12,500 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क देना होगा। आखिरकार, यह अतिरिक्त लागत या तो अमेरिकी उपभोक्ताओं को बढ़ी कीमतों के रूप में भुगतनी पड़ती है, या आयात करने वाली कंपनियां इसे अपनी लाभ में कटौती के रूप में सहन करती हैं।

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ट्रंप का दावा है कि टैरिफ़ से अमेरिका में नौकरियां बढ़ेंगी और घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी कर्मचारी अपनी नौकरी गंवाने को लेकर चिंतित नहीं होंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक ढांचे को बदलना और अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है।

2018 में भी ट्रंप ने टैरिफ़ लगाकर वॉशिंग मशीन, सोलर पैनल, स्टील और एल्युमीनियम के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास किया था। हालांकि, इसके चलते कीमतें बढ़ीं और दूसरे उद्योगों में नौकरियां घटीं।

दूसरे देशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अगर ट्रंप की नई टैरिफ़ योजना लागू होती है, तो इसका सबसे बड़ा असर कनाडा और मैक्सिको पर पड़ेगा, जो अपने निर्यात का बड़ा हिस्सा अमेरिका को भेजते हैं। उदाहरण के लिए मैक्सिको अपनी 83% निर्यात सामग्री अमेरिका को बेचता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मैक्सिको की जीडीपी में अगले पांच सालों में 12.5% की गिरावट हो सकती है। वहीं, कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी 7.5% तक का असर पड़ सकता है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ और चीन पर लगाए जाने वाले टैरिफ़ इन देशों की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक साझेदारी को प्रभावित करेंगे।

भारत से क्या है इसका संबंध?

भारत पर ट्रंप की टैरिफ़ योजना का प्रत्यक्ष असर भले ही कम हो, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।

  1. चीन से व्यापारिक प्रतिस्पर्धा: अगर चीन पर टैरिफ़ बढ़ता है, तो भारत के लिए अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ाने का अवसर बन सकता है।
  2. आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव: अमेरिकी कंपनियां चीन की जगह भारत जैसे देशों में अपने उत्पादन को स्थानांतरित कर सकती हैं।
  3. कीमतों में बदलाव: ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ने से कच्चे माल और अन्य उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर भारत पर भी पड़ेगा।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ नीति अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच आर्थिक संतुलन को बदल सकती है। जहां एक तरफ अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ सकता है। भारत को इस नीति के चलते नए अवसर मिल सकते हैं, लेकिन वैश्विक व्यापार में बदलावों के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता होगी।