संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने शहीद हुए शांतिरक्षकों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्मारक दीवार स्थापित करने का फैसला लिया है। महासभा ने इसके लिए भारत के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बुधवार को शहीद शांति सैनिकों के लिए स्मारक दीवार बनाने का प्रस्ताव पेश किया था। प्रस्ताव पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि स्मारक दीवार इस बात का प्रमाण होगी कि संयुक्त राष्ट्र अपने शांति अभियानों को कितना महत्व देता है। दीवार लोगों को शहीदों के बलिदान की याद दिलाएगी।
खास बात है कि प्रस्ताव को ऐसे समय में पारित किया गया है, जब पीएम नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह अमेरिका की अपनी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं। वो 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भी हिस्सा लेंगे। भारत मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में तीसरा सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश है।
शांति अभियानों में 177 भारतीय दे चुके हैं बलिदान
अबेई, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कांगो, लेबनान, खाड़ी क्षेत्र और पश्चिमी सहारा में भारत के 6 हजार से ज्यादा सैनिक और पुलिस कर्मी संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्सा हैं। शांति अभियानों के दौरान अब तक 177 भारतीय शांतिरक्षक सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। शहीद शांतिरक्षकों की यह संख्या किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक है।
यूएनजीए में भारत समेत 18 देशों ने पेश किया था प्रस्ताव
यूएनजीए में भारत, बांग्लादेश, कनाडा, चीन, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, इंडोनेशिया, जॉर्डन, नेपाल, रवांडा और अमेरिका सहित 18 देशों ने यह प्रस्ताव पेश किया था। इसमें प्रस्ताव का मसौदा अपनाए जाने के तीन साल के भीतर स्मारक दीवार का निर्माण पूरा किए जाने का प्रावधान किया गया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर जताया समर्थन करने वाले देशों का आभार
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के पेश प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया। उन्होंने ट्वीट किया- मुझे खुशी है कि शहीद शांतिरक्षकों के लिए एक नयी स्मारक दीवार स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है। प्रस्ताव को रिकॉर्ड 190 देशों ने सह-प्रायोजित किया। समर्थन के लिए सभी का आभारी हूं।
नयी स्मारक दीवार पर सदस्य देशों के उन सभी शांतिरक्षकों के नाम अंकित होंगे, जिन्होंने 1948 से लेकर अब तक संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के तहत दुनिया के विभिन्न संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में संचालित शांति अभियानों के दौरान विश्व निकाय के मूल्यों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी।