भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी ने अब नया मोड़ ले लिया है। मामला सिर्फ शुल्क और तेल का नहीं, बल्कि अब बयानबाजी तक पहुंच गया है। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि अमेरिका रूस से रसायन और उर्वरक आयात करता है।

असल में, ट्रंप का यह बयान भारत के उस दावे के बाद आया है जिसमें भारत ने साफ कहा था कि अमेरिका अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, उर्वरक और रसायन लगातार खरीदता रहा है।

ट्रंप के आधिकारिक जवाब का इंतजार किया जा रहा है

जब व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्रंप से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बिना झिझक कहा, “मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता। हमें इसकी जांच करनी होगी। ट्रंप के इस जवाब के बाद एएनआई ने अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रेस टीम से संपर्क किया है और अभी उनके आधिकारिक जवाब का इंतजार किया जा रहा है।

यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब ट्रंप भारत को चेतावनी दे चुके हैं कि वह रूसी तेल खरीदने के चलते भारत पर भारी शुल्क लगाने जा रहे हैं। अब देखना यह है कि ट्रंप को वाकई जानकारी नहीं थी या यह भारत पर दबाव बनाने की नई रणनीति है। दोनों देशों के बीच यह विवाद अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक बड़ी बहस का रूप ले चुका है।

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ट्रंप ने कहा, ‘‘भारत भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है और उस तेल को खुले बाजार में ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमा रहा है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कितने लोग मारे जा रहे हैं। इसलिए मैं भारत पर शुल्क काफी अधिक बढ़ाने जा रहा हूं।’’

ट्रंप की इस धमकी के जवाब में भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को निशाना बनाना गलत और अविवेकपूर्ण है। भारत ने साफ किया कि रूस से तेल आयात हमारी ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ताओं के लिए सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था। जब युद्ध के कारण पश्चिमी देश आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ रहे थे, तब खुद अमेरिका ने भारत से रूस से तेल खरीद को प्रोत्साहित किया था।

भारत ने यह भी कहा कि खुद अमेरिका और यूरोपीय देश अब भी रूस से व्यापार कर रहे हैं। अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन खरीदता है। वहीं, यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस से 67.5 अरब यूरो का व्यापार किया, जिसमें 16.5 मिलियन टन एलएनजी भी शामिल है। भारत ने दोहराया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।

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