पाकिस्तान सेना के चीफ कमर जावेद बाजवा की अमेरिकी यात्रा ने दोनों देशों के बीच के संबंधों को स्थायित्व दिया है। दरअसल बतौर आर्मी चीफ ये बाजवा की आधिकारिक तौर पर ये आखिरी अंतरराष्ट्रीय यात्रा थी। इसी साल नवंबर में वो रिटायर हो जाएंगे। इसी साल नवंबर में वो रिटायर हो जाएंगे। इमरान खान की सरकार के दौरान अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंध जिस तरह से तल्ख हुए थे, उसमें बाजवा की यात्रा को बेहद अहम माना जा रहा है।
ध्यान रहे कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने अपनी सरकार के जाने का जिम्मेदार अमेरिका को ठहराय़ा था। उनका कहना था कि अमेरिका ने साजिश करके उनकी सरकार को गिराने में मदद की। उस दौरान उनकी एक चिट्ठी भी खासी वायरल हुई थी। उसके बाद के दौर में अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में तल्खी देखी गई थी। माना जा रहा है कि रिटायरमेंट से कुछ हफ्ते पहले बाजवा की यात्रा तनाव को कम करने में मदद करेगी।
वाशिंगटन में पाकिस्तानी डिप्लोमेट से रूबरू होने के दौरान बाजवा ने दोनों देशों के रिश्तों की अहमियत को माना। उनका कहना था कि वो अपना दूसरा तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे अहम है देश की आर्थिक स्थिति को फिर से उबारना।
उनकी अमेरिका में सेंक्रेट्री ऑफ डिफेंस लॉयड आस्टिन और NSA जेक सुलिवान से भी मुलाकात हुई। उसके बाद पाकिस्तान की सेना ने एक स्टेटमेंट में कहा कि इस दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा हुई। पेंटागन का कहना था कि बातचीत के दौरान सुरक्षा मामलों पर सारा फोकस रहा।
बाजवा ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान वाशिंगटन डीसी में कहा कि अमेरिका के लिए पाकिस्तान से कारोबार करना कितना मुफीद है। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी कहते हैं कि इस्लामाबाद अब उस नुकसान की भरपाई करने में लगा है जो इमरान खान के बेसिरपैर के बयानों से हुआ। यही वजह है कि बाजवा उन सारे देशों की यात्रा कर रहे हैं, जिनके साथ इमरान सरकार के दौरान पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख हुए थ।